nondescriptly Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
nondescriptly ka kya matlab hota hai
अवर्णनीय रूप से
Adjective:
अनिर्वचनीय, बयान से बाहर, वर्णनातीत,
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nondescriptly शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
इसलिए व्यवहार के समय उन अनिर्वचनीय तत्वों का जिस प्रकार लोग व्यवहार करते हों उसी तरह सभी को करना चाहिए (2.143)।
अद्वैतभाव की पूर्णता के लिए आत्मा अथवा ब्रह्म से जड़ जगत् की उत्पत्ति कैसे होती है, इसकी व्याख्या के लिए माया की अनिर्वचनीय शक्ति की कल्पना की गई है।
शून्य का अर्थ निरस्वभाव, नि:स्वरूप अथवा अनिर्वचनीय है।
४ अनिर्वचनीय अनुपपत्ति- शंकर माया को अनिर्वचनीय कहते थे, रामानुज के अनुसार ऐसा कहना भी एक प्रकार से व्यक्त्य्व देने के समान है विश्व मे दो ही कोटिया हो सकती है सत्- असत इन दोने से परे अनिर्वच्नीयता को मान लेना तर्कशास्त्र के नियमो का उल्लघन है।
इस प्रकार भ्रम का स्वरूप सत तथा असत से विलक्षण होने के चलते यह अनिर्वचनीय ख्यातिवाद कहलाता है।
रस का यह अपूर्व रूप अप्रमेय और अनिर्वचनीय है।
वेदान्ती कहते है माया सत-असत से विलक्षण होने के चलते ही अनिर्वचनीय है, माया सत् नही है क्योंकि ब्रह्मज्ञान से इसका निराकरण हो जाता है पर यह बंध्यापुत्र की भांति असत भी नही क्योंकि इस की प्रतीति होती है ।
अनिर्वचनीय ख्यातिवाद ।
६ माया अनिर्वचनीय है वह चतुष्कोटि से परे है [सत्, असत, सद्सत, न सत् न असत ]।
यहाँ बाह्य एवम् अन्तः दोनों सत्ताओं का शून्य मेंं विलयन हुआ है, जो कि अनिर्वचनीय है।
2 रामानुज के अनुसार कोई वस्तु या तो सत होती है या असत, अनिर्वचनीय जैसी कोई तीसरी कोटि नही होती है।
यह प्रतिभास के स्तर पर होता है इसे तुराविधा कहते हैं दूसरी तरफ सीपी को सीपी मान लेना समष्टिगत भ्रम है यह व्यवहार का स्तर है इसे मूलाविधा कहते है ये दोनों प्रकार के भ्रम अनिर्वचनीय है यहाँ पहले भ्रम का खण्डन व्यवहार से जबकि दूसरे का परमार्थ से होता है ।
शिव की पूजा लिंगको की जाती है, क्योंकि वो पूजा से परे और अनिर्वचनीय है।
1 रामानुज के अनुसार भ्रम को अनिर्वचनीय कहना भी उस के निर्वचन के समान है अतः अनिर्वचनीयता की धारणा आत्म विरोधाभासी है ।
अनिर्वचनीय ख्याति के अनुसार अविद्या न तो सत् है और न असत्।
"ईश्वर अनादि, अनन्त, अपरिमित, अचिन्त्य, अव्यक्त और अनिर्वचनीय है।
জজজ
ब्रह्म की पूजा नहीं की जाती है, क्योंकि वो पूजा से परे और अनिर्वचनीय है।
"आत्मा" विषयजगत्, शरीर, इंद्रियों, मन, बुद्धि आदि सभी अवगम्य तत्वों स परे एक अनिर्वचनीय और अतींद्रिय तत्व है, जो चित्स्वरूप, अनंत और आनंदमय है।