nole Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
nole ka kya matlab hota hai
कुलीन
Noun:
सुर, शब्द, मार्क, निशान, फ़ुटनोट, स्र्क्का, पत्री, टिप्पणी, नोट,
Verb:
ध्यान देना, बीच में कहना, मन में टांक रखना, देखना, व्याख्या करना, टीका करना, लिख देना,
People Also Search:
nolens volensnoli me tangere
nolition
noll
nolle prosequi
nolls
nom de guerre
nom de plume
noma
nomad
nomade
nomadic
nomadism
nomadize
nomads
nole शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
यही कारण है कि भारतीय संगीत के सुर और लय की सहायता से मीरा, तुलसी, सूर और कबीर जैसे कवियों ने भक्त शिरोमणि की उपाधि प्राप्त की और अन्त में ब्रह्म के आनन्द में लीन हो गए।
इस कारण, हर भाषा, हर प्रकार के जीव-जन्तु की तरह, सहायता और सुरक्षा के लायक है।
शक्ति - शक्ति व सुरक्षा।
अपभ्रंश के सम्बन्ध में ‘देशी’ शब्द की भी बहुधा चर्चा की जाती है।
कभी-कभी 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग नौ भारतीय राज्यों के सन्दर्भ में भी उपयोग किया जाता है, जिनकी आधिकारिक भाषा हिन्दी है और हिन्दी भाषी बहुमत है, अर्थात् बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखण्ड, जम्मू और कश्मीर (२०२० से) उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का।
हाल तक नियम 21 के तहत, GAA ने भी ब्रिटिश सुरक्षा बलों और RUC के सदस्यों पर गेरिक खेल खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन 1998 में गुड फ्राइडे समझौते के बाद इस प्रतिबंध को हटाया जा सका।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी महीने की प्रतिपदा को भगवान विष्णु के दशावतारों में से पहले अवतार मतस्यावतार अवतरित हुए एवं जल प्रलय के बीच घिरे मनु को सुरक्षित स्थल पर पंहुचाया था।
यह सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया।
जैसे संस्कृत शब्द 'असुर' का अवेस्ता में सजाति समकक्ष शब्द 'अहुर' था।
यही 'हिन्दीक' शब्द अरबी से होता हुआ ग्रीक में 'इण्डिके', 'इण्डिका', लैटिन में 'इण्डेया' तथा अंग्रेजी में 'इण्डिया' बन गया।
शुक्राचार्य ने दण्डनीति को इतनी महत्त्वपूर्ण विद्या बतलाया है कि इसमें अन्य सब विद्याओं का अन्तर्भाव मान लिया है- क्योंकि 'शस्त्रेण रक्षिते देशे शास्त्रचिन्ता प्रवर्तते' की उक्ति के अनुसार शस्त्र (दण्ड) द्वारा सुशासित तथा सुरक्षित देश में ही वेद आदि अन्य शास्त्रों की चिन्ता या अनुशीलन हो सकता है।
यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्दों का प्रयोग अधिक है और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं।
ये ‘देशी’ शब्द जनभाषा के प्रचलित शब्द थे, जो स्वभावतः अप्रभंश में भी चले आए थे।
संसार में सभी जातियों में बाँसुरी इत्यादि फूँक के वाद्य (सुषिर), कुछ तार या ताँत के वाद्य (तत), कुछ चमड़े से मढ़े हुए वाद्य (अवनद्ध या आनद्ध), कुछ ठोंककर बजाने के वाद्य (घन) मिलते हैं।
बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द के अर्थ में विस्तार होता गया तथा हिन्द शब्द पूरे भारत का वाचक हो गया।
हिन्दी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम प्रयोग शरफ़ुद्दीन यज्दी’ के ‘जफ़रनामा’(1424) में मिलता है।
ऐसा इसलिये होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं और क्रम बदलने पर भी सही अर्थ सुरक्षित रहता है।
भाषाओं की ताकतों का असमान वितरण, दुनिया में ज़्यादातर लोगों में भाषा असुरक्षा पैदा करती है, या फिर यह असमानता खुले आम भाषा अत्याचार का रूप लेती है।
यह विशेष रूप से आर्थिक निवेश और क्षेत्रीय सुरक्षा का प्रयास है।
जैसे संस्कृत शब्द 'असुर' का अवेस्ता में सजाति समकक्ष शब्द 'अहुर' था।
वास्तव में ‘देशी’ से देशी शब्द एवं देशी भाषा दोनों का बोध होता है।
भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र में उन शब्दों को ‘देशी’ कहा है जो संस्कृत के तत्सम एवं सद्भव रूपों से भिन्न हैं।
यूनानी शब्द ‘इण्डिका’ या लैटिन 'इण्डेया' या अंग्रेजी शब्द ‘इण्डिया’ आदि इस ‘हिन्दीक’ के ही दूसरे रूप हैं।
संक्षेप में, वेदों में इस संसार में दृश्यमान एवं प्रकट प्राकृतिक शक्तियों के स्वरूप को समझने, उन्हें अपनी कल्पनानुसार विभिन्न देवताओं का जामा पहनाकर उनकी आराधना करने, उन्हें तुष्ट करने तथा उनसे सांसारिक सफलता व संपन्नता एवं सुरक्षा पाने के प्रयत्न किए गए थे।
हिन्दी शब्द का सम्बन्ध संस्कृत शब्द 'सिन्धु' से माना जाता है।