nache Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
nache ka kya matlab hota hai
आला
Noun:
लगातार दर्द, पीड़ा,
Verb:
पीड़ा होना,
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nache शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
उनकी पीड़ा, वेदना, करुणा, कृत्रिम और बनावटी है।
केवल प्राणों का ही वध नहीं, बल्कि दूसरों को पीड़ा पहुँचाने वाले असत्य भाषण को भी हिंसा का एक अंग बताया है।
उनके सम्पूर्ण गद्य साहित्य में पीड़ा या वेदना के कहीं दर्शन नहीं होते बल्कि अदम्य रचनात्मक रोष समाज में बदलाव की अदम्य आकांक्षा और विकास के प्रति सहज लगाव परिलक्षित होता है।
इस विकार के कारण धीमा किन्तु लगातार दर्द से लेकर अचानक तेज दर्द हो सकता है।
अन्य लक्षणों में थकावट, भूख की हानि, वजन घटाने, एक उच्च तापमान और भारी पसीना, और पेट में लगातार दर्द शामिल हो सकते हैं।
नारियों की दुरवस्था तथा दुःखियों दीनों और असहायों की पीड़ा ने उसके हृदय में करुणा के भाव भर दिये थे।
पेट में दाईं तरफ़ ऊपर लगातार दर्द।
इस विरहिणी नारी के जीवन वृत्त और पीड़ा की अनुभूतियों का विशद वर्णन आख्यानकारों ने नहीं किया है।
दरअसल, हॉब्स इस भौतिकवादी और आनंदवादी विचार के प्रतिपादक थे कि मनुष्य का उद्देश्य अधिकतम आनंद और कम से कम पीड़ा भोगना है।
वह सो नहीं पा रहा था और अगले दो दिनों तक लगातार दर्द में बने रहे, लेकिन चिकित्सा सहायता प्राप्त नहीं किया था।
बाहरी कड़ियाँ आमवात या रूमेटीज्म (Rheumatism या rheumatic disorders) शरीर की वह दशा है जिसमें जोड़ों में लगातार दर्द बना रहता है।
तुलसीदास जी जब काशी के विख्यात् घाट असीघाट पर रहने लगे तो एक रात कलियुग मूर्त रूप धारण कर उनके पास आया और उन्हें पीड़ा पहुँचाने लगा।
उनकी पीड़ा, वेदना, करुणा और दुखवाद में विश्व की कल्याण कामना निहित है।
परिवार में रहती हुई पतिवियुक्ता नारी की पीड़ा को जिस शिद्दत के साथ गुप्तजी अनुभव करते हैं और उसे जो बानगी देते हैं, वह आधुनिक साहित्य में दुर्लभ है।
प्रभाकर श्रोत्रिय जैसे मनीषी का मानना है कि जो लोग उन्हें पीड़ा और निराशा की कवयित्री मानते हैं वे यह नहीं जानते कि उस पीड़ा में कितनी आग है जो जीवन के सत्य को उजागर करती है।
उन्होंने मन की पीड़ा को इतने स्नेह और शृंगार से सजाया कि दीपशिखा में वह जन-जन की पीड़ा के रूप में स्थापित हुई और उसने केवल पाठकों को ही नहीं समीक्षकों को भी गहराई तक प्रभावित किया।
रक्तावरोध होने पर ठंडी चिपचिपी त्वचा, तीव्र किंतु हल्की नाड़ी, सूखी गंदी जिह्वा, रक्ताभार में कमी, लगातार दर्द आदि लक्षण भी मिलते हैं।
धर्म और लोककथाओं में, जहन्नुम (नरक) जीवन के बाद का एक ऐसा स्थान है जिसमें बुरी आत्माओं को दंडात्मक पीड़ा के अधीन किया जाता है।
लक्षणों में जठरांत्रीय वेदना और ऊपरी दाएं उदर में लगातार दर्द शामिल हो सकता है।