manifestative Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
manifestative ka kya matlab hota hai
प्रदर्शन
Noun:
जुलूस, जलूस, प्रस्फुटन, घोषणा, एलान, प्रदर्शन, अभिव्यंजना, ज़ाहिर करना, दिखाना, अभिव्यक्ति,
People Also Search:
manifestedmanifesting
manifestly
manifesto
manifestoes
manifestos
manifests
manifold
manifolded
manifolder
manifolding
manifoldly
manifolds
maniform
manihot
manifestative शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
पूरे नागपुर शहर में एक विशाल जलूस निकाला गया, जिसमे आगे-आगे श्री भाऊराव देवरस जो आर.एस.एस. के उच्चतम श्रेणी के स्वयंसेवक थे, वे हाथी पर अपने हाथ में भगवा ध्वज ले कर चल रहे थे।
भूषण जवाहिर जलूस जरबाक जोति,।
जलूस में बैंड-बाजे-नाच-गाने सब शामिल होते हैं।
लगभग पूरे मालवा प्रदेश में होली पर जलूस निकालने की परंपरा है।
दरबार साहिब का महन्त शहर के चारों ओर जलूस का नेतृत्व करता है।
उन्होंने सार्वजनिक आंदोलनों, सत्याग्रहों और जलूसों के द्वारा, पेयजल के सार्वजनिक संसाधन समाज के सभी वर्गों के लिये खुलवाने के साथ ही उन्होनें अछूतों को भी हिंदू मन्दिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिये संघर्ष किया।
प्रांगण में युद्ध में विजय पाने पर सेना का जलूस निकाला जाता था।
गोआ में शिमगोत्सव की सबसे अनूठी बात पंजिम का वह विशालकाय जलूस है जो होली के दिन निकाला जाता है।
मुहर्रम के अवसर पर ताजिए के साथ निकलने वाले जुलूस में हिन्दू और मुसलमान दोनों हिस्सा लेते हैं।
उदाहरणस्वरूप-जेल, कानूनी कुमार, पत्नी से पति, लांछन, ठाकुर का कुआँ, शराब की दुकान, जुलूस, आहुति, मैकू, होली का उपहार, अनुभव, समर-यात्रा आदि।
सांस्कृतिक जुलूस और अन्य समारोहों को भी इसी दिन मनाया जाता है।
गणतंत्र दिवस की परेड एक वृहत जुलूस होता है, जिसमें भारत की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक झांकी का प्रदर्शन होता है।
जुलूस 1902 का है, लेकिन 1948 में रोक दिया गया था।
यह आज भी शक्तिशाली रोमन साम्राज्य के वैभव का प्रतीक है, पर्यटकों का सबसे लोकप्रिय गंतव्य है और रोमन चर्च से निकट संबंध रखता है क्यों कि आज भी हर गुड फ्राइडे को पोप यहाँ से एक मशाल जलूस निकालते हैं।
इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र की रंग पंचमी में सूखा गुलाल खेलने, गोवा के शिमगो में जलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन तथा पंजाब के होला मोहल्ला में सिक्खों द्वारा शक्ति प्रदर्शन की परंपरा है।
विद्रोह के सफल होने के बाद पहली जून को विजय जुलूस निकाला गया और कोतवाली के समीप एक ऊंचे चबूतरे पर खान बहादुर खान को बैठाकर उनकी ताजपोशी की गई, और जनता की उपस्थिति में उन्हें बरेली का नवाब घोषित कर दिया गया।
जुलूस 1989 में फिर से शुरू किया गया था।
यह जलूस अपने गंतव्य पर पहुँचकर सांस्कृतिक कार्यक्रम में परिवर्तित हो जाता है।
कच्छ जिले के क्षेत्र में, किसान अपनी बैलगाड़ियों को सजाते हैं और सामूहिक गायन और नृत्य के साथ कृष्ण जुलूस निकालते हैं।
शत्रुओं पर विजय के पश्चात् खुशी के जलूस निकाले जाते और जूपितर के मंदिर पर जाकर उसके प्रति कृतज्ञता स्वरूप उसकी पूजा की जाती थी।
जलूस निकलते हैं और गाना बजाना भी साथ रहता है।
शाही स्त्रियां शहर का दैनिक जीवन व शहर के जुलूस देख सकें इसी उद्देश्य से इमारत की रचना की गई थी।
जन्माष्टमी पर, बांग्लादेश के राष्ट्रीय मंदिर, ढाकेश्वरी मंदिर ढाका से एक जुलूस शुरू होता है, और फिर पुराने ढाका की सड़कों से आगे बढ़ता है।