malmag Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
malmag ka kya matlab hota hai
मालमैग
Noun:
छाती, माता, अम्मा, अम्मी, कुच, स्तन, मां,
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malmag शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
१) जालंधर बन्ध :- गले को पूरा सिकोड कर ठोडी को छाती से सटा कर रखना है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि पौराणिक मान्यताओं में देव-दानवों को एक ही पिता, किंतु अलग-अलग माताओं की संतान बताया गया है।
बिलाल रजी., एक और मुस्लिम दास, उमायाह बिन खल्फ ने यातना दी थी, जिन्होंने अपनी छाती पर भारी चट्टान लगाया था ताकि वह अपना रूपांतरण लागू कर सके।
प्राय: क़िलों में छाती तक ऊँचे परकोटे ईटं द्वारा पुन: निर्मित हुए हैं जिनमें से बहुत से ऊपर की ओर वर्गाकार है जिन्हें संभवत: गोली बरसाने के उद्देश्य से बनाया गया होगा।
मंदिर के अंदर एक बहुत ही सुंदर मूर्त्ति थी जिसका हर अंग आकर्षक था सिवाय छाती के।
बच्चे के जन्म के समय बच्चे की छाती कुछ बढ़ी हुई होती है।
इन सबके अलावा हिन्दू धर्म में गाय को भी माता के रूप में पूजा जाता है।
देव और दानवों के माता-पिता का नाम ।
कोई रो रहा था, कोई छाती पीट रहा था, कोई अपने बाल नोच रहा था।
चट्टानों की छाती से दूध निकालो।
बाद के हिन्दू धर्म में नये देवी देवता आये (कई अवतार के रूप में)-- गणेश, राम, कृष्ण, हनुमान, कार्तिकेय, सूर्य-चन्द्र और ग्रह और देवियाँ (जिनको माता की उपाधि दी जाती है) जैसे-- दुर्गा, पार्वती, लक्ष्मी, शीतला, सीता, काली, इत्यादि।
पवित्र धाम गंगा महर्षि भृगु क्रोध में एक बार भगवान विष्णु की छाती पर लात भी मारी थी।
गूगल परियोजना उर का अर्थ होता है छाती।
इसी धरती माता का श्रद्धा से अलंकरण करके लोकमानव में अपनी आत्मीयता का परिचय दिया।
वहीं, देवताओं की माता का नाम अदिति और दानवों की माता का नाम दिति है।
मूर्त्ति का छाती वाला भाग अभी पूर्ण रूप से तराशा नहीं गया था।
वे गोमांस भी कभी नहीं खाते, क्योंकि गाय को हिन्दू धर्म में माता समान माना गया है।
कुरुक्षेत्र युद्ध में भीम ने दुःशासन की छाती का रक्त पिया था।
भारतवर्ष में पृथ्वी को धरती माता कहा गया है।
धार्मिक स्थल : महावीर मंदिर,बड़ी पटनदेवी,छोटी पटनदेवी,शीतला माता मंदिर,इस्कॉन मंदिर,हरमंदिर(पटना), महाबोधि मंदिर(गया),।
पन्ना धाय जैसी बलिदानी माता, मीरां जैसी जोगिन यहां की एक बड़ी शान है।
इस मंदिर के साथ साम्ब की कथा के अतिरिक्त, यहां देव माता अदिति ने की थी पूजा मंदिर को लेकर एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य में छठी मैया की आराधना की थी।