maligancy Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
maligancy ka kya matlab hota hai
असाध्यता
Noun:
कपट, नुक़सानदेहता, हानिकरता, दुष्टता, द्रोह,
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maligancy शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
कपट रूप धरि छल के आयौ, परषोत्तम नहिं जान॥।
संस्कृत के कुछ अन्य पुराने स्त्रोतों में गोवा को गोपकपुरी और गोपकपट्टन कहा गया है जिनका उल्लेख अन्य ग्रंथों के अलावा हरिवंशम और स्कंद पुराण में मिलता है।
" श्री गो. विठ्ठलनाथ जी उनकी ये निष्कपट वैष्णवों जैसी सच्चे मन की बात सुनकर अति प्रसन्न हुए और पास में बैठे दूसरे वैष्णवन सों कह्यों "वैष्णवन कौ धरम ऐसों ई होई हैं वाई ऐसौई क्रनों चाहिएँ...।
उत्तर भारत का एकमात्र सूर्य मंदिर भी इसी जिले के तुर्कपट्टी में स्थित है।
2006 की उद्योग रिपोर्टों में यह दावा किया गया कि लगभग 14 से 20 प्रतिशत क्लिक कपटी या अमान्य थे।
ईषर्या द्वेष भेदभाव छूआछूत कपटी धूर्त जैसे लोग मानव समाज में समान्य है ।
জজজ
1950 में पंडित नेहरू को लिखे एक पत्र में पटेल ने चीन तथा उसकी तिब्बत के प्रति नीति से सावधान किया था और चीन का रवैया कपटपूर्ण तथा विश्वासघाती बतलाया था।
शकुनि के छलकपट से दुर्योधन ने पाण्डवों को बचपन में कई बार मारने का प्रयत्न किया तथा युवावस्था में भी जब युधिष्ठिर को युवराज बना दिया गया तो लाक्ष के बने हुए घर लाक्षाग्रह में पाण्डवों को भेजकर उन्हें आग से जलाने का प्रयत्न किया, किन्तु विदुर की सहायता के कारण से वे उस जलते हुए गृह से बाहर निकल गये।
उनका वैभव दुर्योधन के लिये असह्य हो गया अतः शकुनि, कर्ण और दुर्योधन आदि ने युधिष्ठिर के साथ जूए में प्रवृत्त होकर उसके भाइयो, द्रौपदी और उनके राज्य को कपट द्यूत के द्वारा हँसते-हँसते जीत लिया और कुरु राज्य सभा में द्रौपदी को निर्वस्त्र करने का प्रयास किया।
इस प्रकार प्रतिकार में प्रतिपक्षी पर शस्त्र से आक्रमण करने की बात छोड़कर उसे दूसरे हर प्रकार से तंग करना, छल कपट से उसे हानि पहुँचाना, अथवा उसके शत्रु से संधि करके उसे नीचा दिखाना आदि उचित समझा जाता था।
"" गास्वामी जी ने "छीतू" जी के मुख से ये निष्कपट भावभरे बचन सुने और अपने प्रति उनका यह प्रेमभाव देख उनसे कहा - ""अच्छौ, अच्छौ, आगे (भीतर) आऔ-।
उनके जीवन का सबसे बेहतरीन समय तब आया जब उन्होंने संविधान सभा में बेहद वाकपटुता से देश की आदिवासियों के बारे में सकारात्मक ढंग से अपनी बात रखी।
अर्थात जिस सभा में वृद्धजन (अनुभवी जन) नहीं वह सभा नहीं, जो धर्म की बात न कहें वे वृद्धजन(अनुभवी जन) नहीं, जिसमें सत्य नहीं वह धर्म नहीं और जो कपट से पूर्ण हो, वह सत्य नहीं।