latitat Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
latitat ka kya matlab hota hai
लैटिटाट
Noun:
घम, उत्पत्तिस्थान, ठौर-ठिकाना, स्थान, घर, वास, आवास,
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latitat शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
वायुराशि के उत्पत्तिस्थान को स्रोतक्षेत्र (source regions) कहते हैं।
नगर बोर्ड: 9 रेसुबेलपाडा, बाघमारा, नोइंगस्टोइन, नोंगपोह, मैडानार्टिंग, नोंगथाइमाय, नोंगमिनसोंग, पिन्थोरुमख्रा, आदिकस्बा समितियां: 1 पिनुर्स्ला।
हिंदचीन में आज भी एक प्रकार के कलदार धनुष का प्रचलन है, जिसका उत्पत्तिस्थान मंगोलिया कहा गया है।
तमिऴ साहित्य का आरंभिक काल, संघम साहित्य, ३०० ई॰पू॰ – ३०० ईस्वीं का है।
चावल (ಅಕ್ಕಿ) और रागी राज्य के प्रधान खाद्य में आते हैं और जोलड रोट्टी, सोरघम उत्तरी कर्नाटक के प्रधान खाद्य हैं।
इस पौधे का उत्पत्तिस्थान मिस्र तथा ईरान है।
जिले का मुख्यालय बाघमारा में है।
दक्षिण गारो हिल्स (बाघमारा, मेघालय)।
इस अन्न के उत्पत्तिस्थान के संबंध में मतभेद है।
इसमे भोग, घमंड, निंदा करना या दोष लगाना वर्जित थे एवं इन्हे पाप कहा गया।
नगर बोर्ड:विलियमनगर, रेसुबेलपाड़ा, बाघमारा।
फल ज़ैतून अँग्रेजी नाम ओलिव (olive), वानस्पतिक नाम 'ओलेआ एउरोपैआ', (Olea europaea); प्रजाति ओलिया, जाति थूरोपिया; कुल ओलियेसी; एक वृक्ष है, जिसका उत्पत्तिस्थान पश्चिम एशिया है।
मेघालय में तीन वन्य जीवन अभयारण्य हैं: नोंगखाईलेम, सिजू अभयारण्य एवं बाघमारा अभयारण्य, जहां कीटभोजी घटपर्णी (पिचर प्लांट) नेपेन्थिस खासियाना का पौधा मिलता है जिसे स्थानीय भाषा में "मे'मांग कोकसी" कहते हैं।
आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।
लसीका के उत्पत्तिस्थान लसीका अंतराल से लक्ष्य स्थान ग्रीवा की शिराओं के दबाव में बहुत अंतर है।
कनिंघम की पुस्तक में सबसे प्राचीन मुसलमानों सिक्के के रूप में महमूद गजनवी द्वारा चलाये गए चांदी के सिक्के का वर्णन है जिस पर देवनागरी लिपि में संस्कृत अंकित है।
इसके परिणामस्वरूप अर्द्धसैनिक बलों के साथ घमासान लड़ाई हुई जिसमें कई कर सेवक मारे गये।
अलूचा का उत्पत्तिस्थान दक्षिण-पूर्व यूरोप अथवा पश्चिमी एशिया में काकेशिया तथा कैस्पियन सागरीय प्रांत है।
" कनिंघम ने "बुंदेलखंड के अधिकतम विस्तार के समय इसमें गंगा और यमुना का समस्त दक्षिणी प्रदेश जो पश्चिम में बेतवा नदी से पूर्व में चन्देरी और सागर के अशोक नगर जिलों सहित तुमैन का विंध्यवासिनी देवी के मन्दिर तक तथा दक्षिण में नर्मदा नदी के मुहाने के निकट बिल्हारी तक प्रसरित था", माना है।
चतुरंग के उत्पत्तिस्थान के विषय में लोगों के भिन्न भिन्न मत हैं।