lambently Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
lambently ka kya matlab hota hai
लैम्बेंटली
Noun:
उज्ज्वलता, उद्योत, झलक, चमक,
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lambently शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
उद्योतकर द्वारा रचित ‘न्यायवार्तिक’ नामक टीका प्रकाशित होने के पश्चात् भी न्यायशास्त्र पर बौद्धों का आघात बन्द नहीं हुआ, जिसके कारण ख्यातिप्राप्त टीकाकार वाचस्पति मिश्र को न्यायवार्तिक के ऊपर भी एक टीका लिखनी पड़ी, जो ‘न्यायवार्तिकतात्पर्यटीका’ के नाम से प्रसिद्ध अत्यधिक महत्त्वपूर्ण टीका है।
ऐसे मानचित्र जो आकाश की वर्धित उज्ज्वलता को दर्शाते हैं उन्हें पूरे विश्व के लिए तैयार किया गया है।
इसके अतिरिक्त चन्द्रग्रहण को, सूर्यग्रहण के विपरीत, आँखों के लिए बिना किसी विशेष सुरक्षा के देखा जा सकता है, क्योंकि चन्द्रग्रहण की उज्ज्वलता पूर्ण चन्द्र से भी कम होती है।
केय्यट की "प्रदीप" नामक टीका और नागोज उद्योत नाम से "प्रदीपटीका" प्रकाशित है।
ईसा की छठी शताब्दी में वासवदत्ताकार सुबंधु ने मल्लनाग, न्यायस्थिति, धर्मकीर्ति और उद्योतकर इन चार नैयायिकों का उल्लेख किया है।
गद्य के टुकड़े उद्योतन सूरि (सातवीं शती) की 'कुवलयमाल कहा' में यत्रतत्र बिखरे हुए हैं।
इन पूर्ण RGB पैलेट में बराबर संख्या में बिट प्रयुक्त होतीं हैं, लाल, हरे एवं नीले रंग की उज्ज्वलता स्टोर करने हेतु।
HSV मान यानि (रंग, संतृप्ति, उज्ज्वलता) (Hue, Saturation, Brightness) एवं षड्दशमलव ट्रिप्लेट (HTML वेबरंगों हेतु) भी यहाँ सारणी में दिए गए हैं।
सीआरटी को कई घंटों तक 100% उज्ज्वलता के साथ चलाकर फॉस्फोर बर्न-इन को "ठीक" किया जा सकता है लेकिन यह सभी फॉस्फोर को समान रूप से जलाकर केवल नुकसान को छिपा देता है।
779 - उद्योतन सूरि की 'कुवलयमाला' में अपभ्रंश का प्रयोग।
ऐसे प्रतिरूप को व्यकलित प्रतिरूप कहते हैं, क्योंकि यह स्याही श्वेत में से उज्ज्वलता को घटा देता है।
हरिभद्र के शिष्य उद्योतन सूरि ने ७७८ ई० में जालोन में "कुवलयमाला" की रचना की।
उद्योतनसूरि ने अपनी कुवलयमाला नामक कथा में कौतूहलकृत प्राकृत भाषा रचित एवं मरहट्ठ देशीवचन निबद्ध शुद्ध सकलकथा का उल्लेख किया है, जिससे इसी रचना का अभिप्राय सिद्ध होता है।
इन सबको वायु अणुओं और एरोसोल्स के कारण आकाश की संचयी उज्ज्वलता के मापन के लिए बिखराव के भौतिक मॉडल में रखा जाता है।
| न्यायदर्शन के भाष्य || वात्स्यायनकृत न्यायभाष्य; वाचस्पति मिश्र का न्यायसूची, वात्स्यायन के न्यायभाष्य पर उद्योतकर की टीका - न्यायवार्तिक; न्यायवार्तिक पर वाचस्पति मिश्र की टीका - न्यायवार्तिकतात्पर्यटीका।
इस भाष्य पर उद्योतकर ने वार्तिक लिखा है।
कतिपय कवियों द्वारा इस काव्य के अनुकरण पर काव्य-रचना करना जयदेव की कीर्ति-कौमुदी की उज्ज्वलता तथा उत्कृष्टता की स्वीकृति का ही परिचायक है।
जैसा कि दशरूपककार ने अपने नाट्यशास्त्रीय ग्रंथ दशरूपक के द्वितीय उद्योत में धीरललित नायक के सम्बन्ध में कहा है, "निश्तिन्तो धीरललित: कलासक्तः सुखी मृदुः।
इसी प्रकार की एक कथा उद्योतनसूरिकृत कुवलयमाला (ई. सन् 778) है।
उद्योतकराचार्य ने प्रसिद्ध बौद्ध नैयायिक दिंनागाचार्य के 'प्रमाणसमुच्चय' नामक ग्रंथ का खंडन करके वात्स्यायन का मत स्थापित किया।
अगर पूर्णिमा है तो आकाश की उज्ज्वलता, सबसे काले आकाश की तुलना में 18 तीव्रता/स्क्वायर आर्कसेकेण्ड तक बढ़ जाती है।
घनी आबादी वाले क्षेत्रों में 17 तीव्रता/स्क्वायर आर्कसेकेण्ड की उज्ज्वलता असामान्य नहीं है, या स्वाभाविक की तुलना में 100 गुना अधिक उज्वल है।
वायु-प्रदीप्ति की मात्रा और राशि-चक्रीय प्रकाश काफी भिन्नात्मक होती है (जो अन्य बातों के अलावा सूर्य की गतिविधि और सौर चक्र पर निर्भर है) लेकिन इष्टतम स्थितियों में, संभावित सबसे अंधकारमय आकाश में करीब 22 तीव्रता/स्क्वायर आर्कसेकेण्ड की उज्ज्वलता होती है।
वात्स्यायन के ऊपर बौद्ध नैयायिक दिंनाग द्वारा किए गए आक्षेपों का परिहार करने के लिये उद्योतकर ने न्यायवार्तिक लिखा।