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lacet Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


lacet ka kya matlab hota hai


तसमा

Noun:

जाली, पट्ठा, तसमा, तस्मा, फ़ीता, बेल, लेस,

Verb:

फीतों से बंधना, सजाना,



lacet शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



शाही टकसाल के प्रबंधक के रूप में, न्यूटन ने अनुमान लगाया कि दुबारा ढलाई किये जाने वाले सिक्कों में 20% जाली थे।

इन चारों भागों में धम्मसंगणि में निर्दिष्ट 22 तिकों और 100 दुकों का 24 प्रत्ययों से संबंध निम्न छह पट्ठाणों द्वारा समझाया गया है :(1) तिक पं॰ (2) दुक पं॰ (3) दुक-तिक पं॰ (4) तिक-दुक पं॰ (5) तिक-दिक पं॰ और (6) दुक-दुक प॰।

अन्तरजालीय हिन्दी समाचार स्थल।

13. पंचप्पकरण अट्ठकथा - अभिधम्मपिटक के कथावत्थु, पुग्गल पण्णति, धातुकथा, यमक और पट्ठाण इन पाँच खंडों पर की गई टीका है।

माँ ने इस उद्देश्य से कि पट्ठा जल्दी जवान हो जाये उसे सौ बादाम की गिरियों को खाँड और मक्खन में कूटकर खिलाना व ऊपर से भैंस का दूध पिलाना शुरू कर दिया।

यहां जालीदार दीवारों से बना संगीत कक्ष है, जिनके पीछे बने जनाना कक्षों में राज परिवार की स्त्रियां संगीत सभाओं का आनंद लेतीं और संगीत सीखतीं थीं।

इसके जगमोहन में जाली का खूबसूरत काम किया गया है।

चलोनेर की योजना थी कैथोलिक के जाली षड्यंत्र को तय करना और फिर अभागे षड़यंत्रकारी में बदल देना जिसको वह बंधक बना लेता था।

इसमें मुगल व राजपूत वास्तुकला का मिश्रित है, बारीक ढंग से नक्काशी की हुई जाली की चिलमन, बारीक शीशों और गचकारी का कार्य और चित्रित व नक्काशीदार निचली दीवारें।

हस्तशिल्प कलाकार चांदी में बेहद महीन जाली की कटाई की अलंकृत शिल्प कला के लिए विख्यात हैं।

यह निर्णय असफल साबित हुआ क्योकि लोगों ने अपने घरों में जाली सिक्कों को ढालना शुरू कर दिया और उससे अपना जजिया कर चुकाने लगे।

(1) अनुलोम पट्ठाण (प्रत्यय स्थान), (2) पच्चनिय पट्ठाण।

सिद्दी सैयद जाली, खानपुर।

शिल्प उद्योग के लिए शहर महत्वपूर्ण केन्द्र है और ठप्पे व जालीदार छपाई की इकाइयों द्वारा हाथ से बने बढिया कपड़े यहां बनते है।

मकबरे का आंतरिक भाग पर्याप्त रूप से हवादार है और दीवारों के शीर्ष भाग पर बड़ी खिड़कियों के माध्यम से अलग-अलग पैटर्न में पत्थर की जाली से सुसज्जित है।

धम्मसंगणि, विभंग, जातुकथा, पुग्गलपंंत्ति, कथावत्थु, यमक और पट्ठान।

निर्माण सामग्री के रूप में जिस समय पत्थर का इस्तेमाल अधिक सुविधाजनक और विश्वसनीय था, इस समय भी गुजरात के लोगों ने मंदिरों के मंडप तथा आवासीय भवनों के अग्रभागों, द्वारों, स्तंभों, झरोखों, दीवारगीरों और जालीदार खिड़कियों के निर्माण में निर्माण में बेझिझक लकड़ी का प्रयोग जारी रखा।

इन छह पट्ठाणों का पूर्ववत् चार विभागों में प्ररूपण होने से संपूर्ण ग्रंथ 24 पट्ठाणों में विभक्त हो जाता है।

उसने संसद में अर्जी दी कि सिक्कों की ढलाई के लिए उसकी योजना को स्वीकार कर लिया जाये ताकि जालसाजी न की जा सके, जबकि उसी समय जाली सिक्के सामने आये।

16वीं शती में सद्धम्मालंकार ने पट्ठाण प्रकरण पर पट्ठाणदीपनी नामक टीका लिखी तथा महानाम से आनंदकृत अभिधम्म-मूल-टीका पर मधुसारत्य दीपनी नामक अनुटीका लिखी।

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