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kutcha Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


kutcha ka kya matlab hota hai


कच्ची

Noun:

कच्छ,



kutcha शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



स्थानीय विक्रय केन्द्र पर खादी वस्त्र, मधु, कच्ची घानी सरसों तेल आदि उपलब्ध है।

आयात की वस्तुओं में कच्ची रूई, कोयला, इमारती लकड़ी, नमक आदि हैं।

उनका इतिहास प्राय: काव्यरूप में मिलता है जिसमें सब कच्ची-पक्की सामग्री मिली जुली, उलझी और गुथी पड़ी है।

जामनगर अरब सागर से लगा कच्छ की खाड़ी के दक्षिण में स्थित है।

"रुपया" शब्द का उद्गम संस्कृत के शब्द रुप् या रुप्याह् मे निहित है, जिसका अर्थ कच्ची चांदी होता है और रूप्यकम् का अर्थ चांदी का सिक्का है।

राजा मान सिंह आम्बेर (जयपुर) के कच्छवाहा राजपूत राजा थे।

आइसलैण्ड में 13,034 किमी लंबी प्रशासित सड़कें हैं, जिनमें से 4,617 किमी पक्की और 8,338 कच्ची सड़कें हैं।

* कच्ची सड़क (१९७५) हिन्दी में अनूदित,।

मेरा विकास कच्ची झोपड़ियों में गरीब किसान के खेतों की भूमि और शहरों के गंदे मकानों में हुआ है।

कच्ची गृहस्थी, घर में सहारे के रूप में केवल विधवा भाभी, दूसरी ओर कुटुंबियों तथा परिवार से संबद्ध अन्य लोगों का संपत्ति हड़पने का षड्यंत्र, इन सबका सामना उन्होंने धीरता और गंभीरता के साथ किया।

अहमदाबाद, अमरेली, बनास कंठा, भरूच, भावनगर, डेंग, गाँधीनगर, खेड़ा, महेसाणा, पंचमहल, राजकोट, साबर कंठा, सूरत सुरेंद्रनगर, वडोदरा, महीसागर, वलसाड, नवसारी, नर्मदा, दोहद, आनंद, पाटन, जामनगर, पोरबंदर, जूनागढ़ और कच्छ, प्रत्येक ज़िले का राजस्व और सामान्य प्रशासन ज़िलाधीश की देखरेख में होता है, जो क़ानून और व्यवस्था भी बनाए रखता है।

राजा आशा भील के समय अहमदाबाद साम्राज्य या अशावाल साम्राज्य , आशावाल की साबरमती से लेकर कच्छ तक फैला हुआ था ।

तटीय बस्तियाँ पाकिस्तान, ईरान सीमा से सटकर आधुनिक गुजरात, भारत में कच्छ तक फैली हुई हैं।

जनसंख्या का वितरण उत्तर (कच्छ) और पूर्वी पर्वतीय क्षेत्रों की ओर क्रमश कम होता जाता है।

वह एक कच्छवाहा राजपूत था और 16 99 और 1744 के आसपास के क्षेत्र में इस क्षेत्र पर शासन किया था।

|2006 || कच्ची सड़क || ||।

अर्थ – मैं पक्की शराब (सुरा) कच्ची शराब (मेरय), नशीली चीजों (मज्जपमादठटाना) के सेवन से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।

प्राचीन वैदिक सरस्वती नदी का महाभारत में कई बार वर्णन आता हैं, बलराम जी द्वारा इसके तट के समान्तर प्लक्ष पेड़ (प्लक्षप्रस्त्रवण, यमुनोत्री के पास) से प्रभास क्षेत्र (वर्तमान कच्छ का रण) तक तीर्थयात्रा का वर्णन भी महाभारत में आता है।

यहाँ मिले कच्ची ईंटों के दुर्ग, नालियां, मृदभांड, बांट, पत्थर के फलक आदि महत्त्वपूर्ण हैं।

कच्छ, सौराष्ट्र, काठियावाड, हालार, पांचाल, गोहिलवाड, झालावाड और गुजरात उसके प्रादेशिक सांस्कृतिक अंग हैं।

ज्यादातर सब्ज़ियों की चटनियाँ यूँ तो कच्ची सब्ज़ी को सिल-बट्टे पर पीसकर या ब्लेंडर में ब्लेंड कर के बनायी जा सकती हैं लेकिन किसी किसी फलों की चटनी बनाते समय उन्हें पकाने की जरूरत पड़ सकती है।

सिंध नदी पहले अपने वर्तमान मुहाने से ७० मील पूर्व में स्थित कच्छ के रन में विलीन हो जाती थी, पर रन के भर जाने से नदी का मुहाना अब पश्चिम की ओर खिसक गया है।

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