kbe Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
kbe ka kya matlab hota hai
काबे
Noun:
होना,
Verb:
होना,
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kbe शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
यदि बाँग्ला भाषा को ध्यान में रखा जाय तो इसका शीर्षक "बन्दे मातरम्" होना चाहिये "वन्दे मातरम्" नहीं।
किसी भी हिन्दू का शाकाहारी होना आवश्यक नहीं है हालांकि शाकाहार को सात्विक आहार माना जाता है।
एक बहुजातीय तथा बहुधार्मिक राष्ट्र होने के कारण भारत को समय-समय पर साम्प्रदायिक तथा जातीय विद्वेष का शिकार होना पड़ा है।
७वीं शताब्दी तक देवनागरी का नियमित रूप से उपयोग होना आरम्भ हो गया था और लगभग १००० ई तक देवनागरी का पूर्ण विकास हो गया था।
केन्द्र और राज्यों और अन्तर-राज्यीय पत्र-व्यवहार के लिए, यदि कोई राज्य ऐसी मांग करे, तो हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं का होना आवश्यक है।
किसी धर्म स्थान पर सामूहिक रूप से इकट्ठा होना ही भक्तों की श्रेणी मे गिना जाता है।
कोश को सफल होना ही था, हुआ।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए शीर्षक 'बन्दे मातरम्' होना चाहिये था।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए शीर्षक 'बन्दे मातरम्' होना चाहिये था।
बहुत से लोगों का विचार है कि भारत में अनेकों भाषाएँ होना कोई समस्या नहीं है जबकि उनकी लिपियाँ अलग-अलग होना बहुत बड़ी समस्या है।
मंत्रिमंडल के प्रत्येक मंत्री को संसद का सदस्य होना अनिवार्य है।
(५) समरूप वर्ण (ख में र+व का, घ में ध का, म में भ का भ्रम होना)।
केन्द्र और राज्यों और अन्तर-राज्यीय पत्र-व्यवहार के लिए, यदि कोई राज्य ऐसी मांग करे, तो हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं का होना आवश्यक है।
एक बहुजातीय तथा बहुधार्मिक राष्ट्र होने के कारण भारत को समय-समय पर साम्प्रदायिक तथा जातीय विद्वेष का शिकार होना पड़ा है।
स्वर के ना होना व्यंजन के नीचे हलन्त् या विराम लगाके दर्शाया जाता है।
कौन पहल करे ! गुजराती कहेगा ‘हमारी लिपि तो बड़ी सुन्दर सलोनी आसान है, इसे कैसे छोडूंगा?’ बीच में अभी एक नया पक्ष और निकल के आया है, वह ये, कुछ लोग कहते हैं कि देवनागरी खुद ही अभी अधूरी है, कठिन है; मैं भी यह मानता हूँ कि इसमें सुधार होना चाहिए।
स्वर के ना होना व्यंजन के नीचे हलन्त् या विराम लगाके दर्शाया जाता है।
बहुत से लोगों का विचार है कि भारत में अनेकों भाषाएँ होना कोई समस्या नहीं है जबकि उनकी लिपियाँ अलग-अलग होना बहुत बड़ी समस्या है।
कोश को सफल होना ही था, हुआ।
७वीं शताब्दी तक देवनागरी का नियमित रूप से उपयोग होना आरम्भ हो गया था और लगभग १००० ई तक देवनागरी का पूर्ण विकास हो गया था।
कौन पहल करे ! गुजराती कहेगा ‘हमारी लिपि तो बड़ी सुन्दर सलोनी आसान है, इसे कैसे छोडूंगा?’ बीच में अभी एक नया पक्ष और निकल के आया है, वह ये, कुछ लोग कहते हैं कि देवनागरी खुद ही अभी अधूरी है, कठिन है; मैं भी यह मानता हूँ कि इसमें सुधार होना चाहिए।
किसी भी हिन्दू का शाकाहारी होना आवश्यक नहीं है हालांकि शाकाहार को सात्विक आहार माना जाता है।
यदि बाँग्ला भाषा को ध्यान में रखा जाय तो इसका शीर्षक "बन्दे मातरम्" होना चाहिये "वन्दे मातरम्" नहीं।
मंत्रिमंडल के प्रत्येक मंत्री को संसद का सदस्य होना अनिवार्य है।
किसी धर्म स्थान पर सामूहिक रूप से इकट्ठा होना ही भक्तों की श्रेणी मे गिना जाता है।
(५) समरूप वर्ण (ख में र+व का, घ में ध का, म में भ का भ्रम होना)।