karuna Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
karuna ka kya matlab hota hai
करुणा
Noun:
वरुणा,
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karuna शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
वरुणायसवित्रे विष्णवे विश्वेभ्यो देवेभ्यो मरुद्भ्यः स्वकेर्भ्यश्च इदं न।
गंगा यमुना एक्सप्रेस, वरुणा एक्सप्रेस और श्रमजीवी एक्सप्रेस ,सद्भावना एक्सप्रेस,और गोदान एक्सप्रेस जौनपुर को अनेक शहरों से जोड़ती है।
इदमग्नीवरुणाभ्यां इदं न मम॥ -२१.३।
कुछ सूक्तों में मित्रवरुणा, इन्द्रवायू, धावापृथिवी जैसे युगल देवताओं की स्तुतियां हैं।
त्रेता युग में मेरा नाम मुनिंदर था द्वापर युग में मेरा नाम करुणामय था और कलयुग में मेरा नाम कबीर है।
द्वापर में करुणामय कहलाया, कलयुग में नाम कबीर धराया।
महादेवी के गीतों की वेदना, प्रणयानुभूति, करुणा और रहस्यवाद काव्यानुरागियों को आकर्षित करते हैं।
भारत की यह जगत्प्रसिद्ध प्राचीन नगरी गंगा के वाम (उत्तर) तट पर उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी कोने में वरुणा और असी नदियों के गंगासंगमों के बीच बसी हुई है।
कहा जाता है 'वाराणसी' नाम वरुणा और असी नदियों पर इस नगरी की स्थिति होने से पड़ा है।
उनकी पीड़ा, वेदना, करुणा, कृत्रिम और बनावटी है।
कीथ के अनुसार वरुणा नदी का उल्लेख अर्थर्ववेद के इस मंत्र में है– वारिद वारयातै वरुणावत्यामधि।
इदमग्नीवरुणाभ्यां इदं।
बीच बीच में करुणा; हास्य इत्यादि और रस तथा और और लोगों के प्रसंग भी आने चाहिए।
उर्वशी, बभ्रुवाहन, करुणालय, ब्रह्मर्षि, पंचायत, प्रकृति सौंदर्य, सरोज, भक्ति आदि रचनाओं को 'चित्राधार' के इस परवर्ती संस्करण में निकाल दिया गया।
तव करुणारुणरागे निद्रित भारत जागे।
नारियों की दुरवस्था तथा दुःखियों दीनों और असहायों की पीड़ा ने उसके हृदय में करुणा के भाव भर दिये थे।
उन्होंने अपनी विविध रचनाओं के माध्यम से मानवीय करुणा और भारतीय मनीषा के अनेकानेक गौरवपूर्ण पक्षों का उद्घाटन कलात्मक रूप में किया है।
ईस परिसर में हरिमंदिर है, जहा एक ही मंदिर में दाये से गणेश, चंद्रमौलीश्वर महादेव, राधाकृष्ण, लक्ष्मीनारायण, जानकीवल्लभ, करुणामयी माता और हनुमानजी के दर्शन होते है।
उनकी पीड़ा, वेदना, करुणा और दुखवाद में विश्व की कल्याण कामना निहित है।
वरुणा और असि नामक नदियों के बीच पांच कोस में बसी होने के कारण इसे वाराणसी भी कहते हैं।
असी और वरुणा नदियों के मध्य स्थित पांच कोस के क्षेत्र (काशी) की बड़ी महिमा है।
सत्य, अहिंसा, करुणा, समन्वय और सर्वधर्म समभाव ये भारतीय संस्कृति के ऐसे तत्त्व हैं, जिन्होंने अनेक बाधाओं के बीच भी हमारी संस्कृति की निरन्तरता को अक्षुण्ण बनाए रखा है।
क्रुद्ध होकर विश्वामित्र ने एक के बाद एक आग्नेयास्त्र, वरुणास्त्र, रुद्रास्त्र, इन्द्रास्त्र तथा पाशुपतास्त्र एक साथ छोड़ दिया जिन्हें वशिष्ठ जी ने अपने मारक अस्त्रों से मार्ग में ही नष्ट कर दिया।
" प्रसाद जी के काव्य-शिल्प के प्रति असंतोष व्यक्त करने के बावजूद 'लहर' के सम्बन्ध में सुमित्रानंदन पंत ने 'छायावाद : पुनर्मूल्यांकन' नामक पुस्तक में लिखा है "लहर के प्रगीतों में गाम्भीर्य, मार्मिक अनुभूति तथा बुद्ध की करुणा का भी प्रभाव है।
जो वरुणा और असी नदियों की संगम पर बसी थी।