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kaka Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


kaka ka kya matlab hota hai


काका

Noun:

काफ्का,



kaka शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



रमई काका की लोकवाणी भी इसी भाषा में गुंजरित हुई।

नई यॉर्कर के लिए एक लेख में, जॉन अपडाइक ने समझाया: "जब काफ्का का जन्म हुआ तब उस सदी मे आधुनिकता के विचारों का पनपना आरम्भ हुआ - जैसे कि सदियों के बीच में एक नइ आत्म-चेतना, नएपन की चेतना का जन्म हुआ हो।

कवियों में प्रतापनारायण मिश्र, बलभद्र दीक्षित "पढ़ीस", वंशीधर शुक्ल, चंद्रभूषण द्विवेदी "रमई काका", गुरु प्रसाद सिंह "मृगेश" और शारदाप्रसाद "भुशुंडि" विशेष उल्लेखनीय हैं।

काफ्का के इस अजीब और उच्च मूल मामले को देखें तो उनका यह भयानक गुण विशाल कोमलता, विचित्र व अच्छा हास्य, कुछ गंभीर और आश्वस्त औपचारिकता से भरपूर था।

व्यंग्य-विधा एवं काका

काफ्का का जन्म प्राग, बोहेमिया में, एक मध्यम वर्ग के, जर्मन भाषी यहूदी परिवार में हुआ।

इस विधा के निपुण विद्वान थे काका हाथरसी, जिनकी पैनी नज़र छोटी से छोटी अव्यवस्थाओं को भी पकड़ लेती थी और बहुत ही गहरे कटाक्ष के साथ प्रस्तुत करती थी।

2000 में बनी हिन्दी फ़िल्म फ्रैंज काफ्का (, ३ जुलाई १८८३ - ३ जून १९२४) बीसवीं सदी के एक सांस्कृतिक रूप से प्रभावशाली, लघु कहानियां और उपन्यास के जर्मन लेखक थे।

मार्केस ने लेखन की तकनीकें काफ्का, मिखाइल बुल्गाकोफ, एर्नेस्ट हेमिंग्वे, वर्जीनिया वुल्फ और जेम्स जॉयस जैसे लेखकों से हासिल की थीं।

इस गोष्ठी में काका कालेलकर, हरेकृष्ण मेहताब, निसीम इजेकिल, डॉ॰ सुनीति कुमार चैटर्जी, डॉ॰ मुल्कराज आनंद, सुरेंद्र मोहंती, देवेश दास, सियारामशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, उदयशंकर भट्ट, जगदीशचंद्र माथुर, डॉ॰ नगेन्द्र, डॉ॰ बी.आर.बेंद्रे, जैनेंद्र कुमार, मन्मथनाथ गुप्त, लक्ष्मीचंद्र जैन आदि प्रख्यात विद्वानों ने भाग लिया।

दोस्तोएवस्की ने रोमांचित हो कर साइबेरिया के जेल शिविर में इसे पढ़ा. फ्रांज काफ्का अपनी पहली किताब अमेरिका को "सरासर नकली" कहते हैं।

* सन १९०६ में हाथरस में जन्मे काका हाथरसी (असली नाम: प्रभुलाल गर्ग) हिंदी हास्य कवि थे।

डब्ल्यू.जे. वेर्त्बी के अनुसार, "द सैटेनिक वर्सेज" पर प्रभाव जेम्स जॉयस, इटालो कैल्विनो, फ्रांज काफ्का, फ्रैंक हर्बर्ट, थॉमस पायनचॉन, मर्विन पीक, गेब्रियल गार्सिया शारक्वेज़, जीन-ल्यूक गोडार्ड, जीजी बैलार्ड और विलियम एस।

इन सबके कोलाज और गुंफन के लिए ‘काफ्का के प्राहा में’ की ये पंक्तियां बहुत सारी उद्भावनाओं और निष्कर्षों को एक साथ समेट लेती हैं : ‘कभी-कभी एक जिंदगा से ज्यादा अर्थपूर्ण हो सकती है/ उस पर टिप्पणियां/ एक प्रेम से ज्यादा मधुर हो सकती है उसकी स्मृतियां/ एक पूरी सभ्यती की वीरगाथाओं से कहीं अधिक सारगर्भित/ हो सकती है एक स्मारक की संक्षिप्त भाषा’।

काफ्का की बहु-प्रचलित रचनाओं में से कुछ हैं - (कायापलट), जांच, एक भूख-कलाकार, (महल) आदि।

उनकी शैली की छाप उनकी पीढ़ी के अन्य कवियों पर तो पड़ी ही, आज भी अनेक लेखक और व्यंग्य कवि काका की रचनाओं की शैली अपनाकर लाखों श्रोताओं और पाठकों का मनोरंजन कर रहे हैं।

समकालीन आलोचकों और शिक्षाविदों, व्लादिमिर नबोकोव सहित, का मानना है कि काफ्का 20 वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में से एक है।

काफ्का के पिता, हरमन्न काफ्का यहूदी बस्ती में एक सूखी माल की दुकान चलाते थे और काफ्का की मां, जूली उनका (हरमन्न) हाथ बटाती थी।

इससे पूर्व काका कालेलकर, डॉ॰संपूर्णानंद, डॉ॰बी गोपाल रेड्डी, डॉ॰कर्ण सिंह, डॉ॰पी.वी.नरसिंह राव, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, डॉ॰आर.के.दासगुप्ता, डॉ॰विनायक कृष्ण गोकाक, डॉ॰ उमाशंकर जोशी, डॉ॰मसूद हुसैन, प्रो॰एम.वी.राज्याध्यक्ष, डॉ॰आदित्यनाथ झा, श्री जगदीशचंद्र माथुर सदृश विद्वान और साहित्यकार इस परिषद के अध्यक्ष या सदस्य रह चुके हैं।

उदाहरण के लिये देखिये अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार पर काका के दो व्यंग्य :।

अवधी के प्रमुख कवियों में रमई काका सुप्रसिद्ध कवि हैं।

हिन्दी साहित्य में इसके पश्चात भगवती चरण वर्मा व नन्ददुलारे वाजपेयी जगदंबा प्रसाद मिश्रा 'हितैषी' एवं डॉ॰ राम विलास शर्मा, डॉ॰ शिवमंगल सिंह 'सुमन' , प्रतापनारायण मिश्र, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' ,आल्हा सम्राट लल्लू बाजपेई , रमई काका दिनेश बैसवारी केे नाम से जाना जाता है।

७. साधना पुस्तक प्रकाशन , राम निवास ; बलिया काका मार्ग, जूनाढोर बाजार के सामने, कांकरिया, अमदाबाद -३८००२८।

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