itacism Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
itacism ka kya matlab hota hai
इस्सावाद
Noun:
किसी जाति की विशिष्टता, जातिवाद,
People Also Search:
italiaitalian
italian bee
italian bread
italian clover
italian dressing
italian honeysuckle
italian millet
italian monetary unit
italian parsley
italian peninsula
italian region
italian rice
italian rye
italian sandwich
itacism शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
भारत में धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का काम करना संस्कृति के विलुप्त होने का संकेत है हालांकि प्राचीन संस्कृति के अनुसार जातिवाद इतना कठोर नहीं था लेकिन वर्तमान समय में जातिवाद के इतने दुष्प्रभाव होने वाले हैं जिससे भारत के विकास में बाधक सिद्ध हो सकता हैं।
आइंस्टीन एक भावुक, प्रतिबद्ध जातिवाद विरोधी थे, और प्रिंसटन में नेशनल एसोसिएशन ऑफ द एडवांसमेंट ऑफ कलर्ड पीपल (एनएएसीपी) संस्था के सदस्य भी थे, जहां उन्होंने अफ्रीकी अमेरिकियों के नागरिक अधिकारों के लिए अभियान में हिस्सा भी लिया।
‘लालू प्रसाद यादव’ की राजनीति को हमेशा से जातिवादी और भेदभावपूर्ण बताकर बदनाम करने की कोशिश की जाती रही है।
स्वतंत्र भारत में जातिवाद से प्रेरित हिंसा और घृणा अपराध को बहुत ज़्यादा देखा गया।
জজজ ४०० ईसा पूर्व तक आते आते हिन्दू धर्म में जातिवाद देखने को मिल जाता है।
अनेक जातिवादी घटक हैं।
वे जातिवाद को अमेरिका की "सबसे खराब बीमारी" मानते थे, अपनी भागीदारी के समय, वे नागरिक अधिकार कार्यकर्ता डब्ल्यू ई.बी. डु बोइस के साथ जुड़ गए, और 1951 में उनके एक मुकदमे के दौरान उनकी ओर से गवाही देने के लिए तैयार हो गए।
उनके आध्यात्मिक आंदोलन ने परोक्ष रूप से देश में राष्ट्रवाद की भावना बढ़ने का काम किया, क्योंकि उनकी शिक्षा जातिवाद एवं धार्मिक पक्षपात को नकारती है।
1927 के अंत में सम्मेलन में, आम्बेडकर ने जाति भेदभाव और "छुआछूत" को वैचारिक रूप से न्यायसंगत बनाने के लिए, प्राचीन हिंदू पाठ, मनुस्मृति, जिसके कई पद, खुलकर जातीय भेदभाव व जातिवाद का समर्थन करते हैं, की सार्वजनिक रूप से निंदा की, और उन्होंने औपचारिक रूप से प्राचीन पाठ की प्रतियां जलाईं।
इन जातीय विवादों के कारण आज भारतीय राजनीति का मुख्य आधार ही जातिवाद बन गया है जिससे जनता सदैव आपसी संघर्षों में उलझी रहती है।
जातिवाद में कमी आई और साथ ही यह धारणा भी खत्म हुई कि, शासन केवल विशिष्टि वर्ग का व्यक्ति ही कर सकता है।
१२वीं शताब्दी में जातिवाद और अन्य सामाजिक कुप्रथाओं के विरोध स्वरूप उत्तरी कर्नाटक में वीरशैवधर्म का उदय हुआ।
भावार्थ: परमात्मा कबीर जी हिंदुओं में फैले जातिवाद पर कटाक्ष करते हुए कहते थे कि किसी व्यक्ति से उसकी जाति नहीं पूछनी चाहिए बल्कि ज्ञान की बात करनी चाहिए।