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irritator Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


irritator ka kya matlab hota hai


चिड़चिड़े

Noun:

आवेग, संताप, चिड़चिड़ाहट, उत्तेजना, जलन,



irritator शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



अग्नि संताप- संज्वर, संताप, दाह, झुलस, जलन।

इस जाने माने संताप मंडलीय ओजोन (stratospheric ozone) रिक्तीकरण के अलावा, क्षोभ मंडलीय ओजोन रिक्तीकरण की घटनाएँ (tropospheric ozone depletion events) भी पाई गई हैं, जो बसंत ऋतु के दौरान ध्रुवीय क्षेत्रों की सतह के पास होता है।

माँ को जो सच्चे मन से याद करता है उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं।

साथ ही निर्वेद, ग्लानि, चिन्ता, औत्सुक्य, आवेग, मोह, श्रम, भय, विषाद, दैन्य, व्याधि, जड़ता, उन्माद, अपस्मार, त्रास, आलस्य, मरण, स्तम्भ, वेपथु, वेवर्ण्य, अश्रु, स्वरभेद आदि की व्यभिचारी या संचारी भाव के रूप में परिगणित किया है।

जो पहले आवेग (रजस) के रूप में उभरा था पर बाद में पवित्रता और अच्छाई (सत्त्व) में बदल गया।

कमल के पत्तों से बने हुए पंखे तथा मृणाखंड विरहिणी स्त्रियों की संतापशांति के साधन वर्णित किए गए हैं।

देवियों ने कहा: "द्वापरयुग के आरम्भ होने से पूर्व मूर दैत्य के अत्याचारों से व्यथित होकर पृथ्वी अपने गौस्वरुप में देव सभा में उपस्थित होकर बोलीं— “हे देवगण! मैं सभी प्रकार का संताप सहन करने में सक्षम हूँ।

मनोविज्ञान में डॉ॰ भगवानदास का नाम आवेगों अथवा रागद्वेष के पारम्परिक वर्गीकरण के लिए स्मरण किया जाता है।

फिर भी वह छोटी बहू के संताप से इतना व्याकुल हो जाता है कि वह उस सिंदूर को छोटी बहू के पास ले जाता है।

गीतगोविन्द में श्रीकृष्ण की गोपिकाओं के साथ रासलीला, राधाविषाद वर्णन, कृष्ण के लिए व्याकुलता, उपालम्भ वचन, कृष्ण की राधा के लिए उत्कंठा, राधा की सखी द्वारा राधा के विरह संताप का वर्णन है।

समुद्र के भीतर अचानक जब बड़ी तेज़ हलचल होने लगती है तो उसमें तूफान उठता है जिससे ऐसी लंबी और बहुत ऊंची लहरों का रेला उठना शुरू हो जाता है जो ज़बरदस्त आवेग के साथ आगे बढ़ता है, इन्हीं लहरों के रेले को सूनामी कहते हैं।

उसके जीवन के अंतिम वर्ष दैहिक संताप, मानसिक विषाद, काल्पनिक भय, विक्षोभ तथा उन्माद के आवेग से पूर्ण थे।

भूतनाथ छोटी बहू की ख़ूबसूरती और संताप से मंत्रमुग्ध हो जाता है और न चाहते हुये भी उसके राज़ों का भागीदार हो जाता है।

आवेग- जोश, वेग, स्फूर्ति, उत्तेजना, मनोवेग, संवेग, सनक, उद्वेग।

अत: इसको संचार की प्रमुख व्यवस्था के रूप में नहीं मानकर भावनात्मक आवेग से जोड़ने का दुराग्रह किया है।

ये ही छह आवेग अतिरंजित होने अथवा अनुपयुक्त विषयों के साथ संलग्न होने पर मनोविकार बन जाते हैं और अंतिम रूप में अनेक प्रकार के उन्मादों का रूप ले लेते हैं।

उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं।

उनकी कथाओं में तीन प्रमुख विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं – वक्तव्य प्रधान, समस्या प्रधान और आवेग प्रधान।

यह प्रेरणा, आवश्यकता, मूल्य प्रवृति और आवेग हो सकते है।

शब्द अनिवार्यत्: संगीत और प्राय: नृत्य के सहारे पूरे समूह के आवेगों को एक बिंदु पर संगठित कर कार्य संपन्न करने की प्रेरणा देते थे।

नैनोतकनीक में आवेग माध्यम और कोलाइडल् विज्ञान पर नवीकृत रुचि और नयी पीढी के विशलेष्णात्मक उपकरण, जैसे कि परमाण्विक बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र (AFM) और अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र (STM)।

अन्य संवेदी तंत्रिकाओं के समान इन अंत्यागों के उद्दीपन में भी संवेदी आवेगों का विकास होता है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के अभिवाही क्षेत्र (afferent tracts) से होती हुई मस्तिष्क में पहुँचती हैं।

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