insooth Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
insooth ka kya matlab hota hai
इनसूथ
Noun:
सचाई, सत्य, यथार्थता, हक़ीक़त,
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insooth शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
सीसीएमबी के वरिष्ठ विश्लेषक कुमारसमय थंगरंजन का मानना है कि आर्य और द्रविड़ सिद्धांतों के पीछे कोई सचाई नहीं है।
औपचारिक तौर पर उन्हें प्रचारक १९५८ में घोषित किया गया पर सचाई यह है कि उन्होंने कार्यवाह पद को प्रचारक की भूमिका स्वयं प्रदान कर दी।
10. सती का अर्थ पति के प्रति सत्यनिष्ठा है।
खेल भावना एक दृष्टिकोण है, जो ईमानदारीपूर्वक खेलने, टीम के साथियों और विरोधियों के प्रति शिष्टाचार बरतने, नैतिक व्यवहार और सत्यनिष्ठा दिखाने तथा जीत या हार में बड़प्पन के प्रदर्शन की प्रेरणा देता है।
किन्तु इन ऐतिहासिक तथ्यों के पीछे एक सचाई गुम है, वह यह कि आजादी की लड़ाई शुरू करने वाले मेरठ के संग्राम से भी 15 साल पहले बुन्देलखंड की धर्मनगरी चित्रकूट में एक क्रांति का सूत्रपात हुआ था।
ऐसे विवरणों के कारण ही सिकंदर को महान समझा जाने लगा और पोरस को एक हारा हुआ योद्धा, जबकि सचाई इसके ठीक उलट थी।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम् ॥।
अन्य रचनाएँ हैं- बाल भूगोल, जगत सचाई सार (१८८७) , एकांतवासी योगी (१८८६) , काश्मीरसुषमा (१९०४) , आराध्य शोकांजलि (१९०५; पिता की मृत्यु पर ) , जार्ज वंदना (१९१२) , भक्ति विभा, श्री गोखले प्रशस्ति (१९१५) , श्रीगोपिकागीत, भारतगीत (१९२८) , तिलस्माती मुँदरी और विभिन्न स्फुट निबंध तथा पत्रादि।
जिस प्रकार दाऊद के भजन भक्तिभावना के सुंदर उदाहरण हैं उसी प्रकार सुलेमान की अधिकांश कहावतें हर देश और हर काल के लिए कीमती हैं और सचाई से भरी हैं।
पर्याप्त साधनों के होते हुए भी यह नहीं कहा जा सकता कि कल्पनामिश्रित चित्र निश्चित रूप से शुद्ध या सत्य ही होगा।
उस पर प्रसार लिपिगत साम्राज्यवाद और शोषण का माध्यम न होकर सत्य, अहिंसा, त्याग, संयम जैसे उदात्त मानवमूल्यों का संवाहक होगा, असत् से सत्, तमस् से ज्योति तथा मृत्यु से अमरता की दिशा में।
यह उद्धरण अर्थशास्त्र के विषय को जहां स्पष्ट करता है, वहां इस सत्य को भी प्रकाशित करता है कि ‘कौटिल्य अर्थशास्त्र’ से पूर्व अनेक आचार्यों ने अर्थशास्त्र की रचनाएं कीं, जिनका उद्देश्य पृथ्वी-विजय तथा उसके पालन के उपायों का प्रतिपादन करना था।
इस बात की सत्यता के प्रमाण हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों में हुई खुदाई में प्राप्त सामग्रियों से मिलते हैं।
इसीलिए उनके ये अनुभव एक जबर्दस्त सचाई लिए हुए उनके कथा-साहित्य में झलक उठे थे।
यह नहीं कि ज़िंदगी के हर स्तर पर फैली हुई कुरुपता, गंदगी, हिंसा, स्वार्थपरता, नीचता उन्हें दीखती नहीं, पर वे उसे घिसे हुए उग्र आक्रामक मुहाविरे की बजाय एक आयासहीन हल्के-धीमे अंदाज में रखते हैं जिससे सचाई की उनकी निजी पहचान शोर में खो नहीं जाती।
मिथक, इतिहास यथार्थ, फैंटेसी, सचाई, इन्द्रजाल आदि का अनूठा संगम इन कथाओं में है।
वही परम सत्य, सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ है।
रजि की कथा, कार्तवीर्य की कथा, नचिकेता की कथा, उद्दालक और श्वेतकेतु की कथा, सत्यकाम जाबाल की कथा आदि।
वे भारतीय सामासिक संस्कृति के अनन्य आराधक तथा सभी संप्रदायों के प्रति समादर भाव के सत्यनिष्ठ साधक थे।
काव्य में सत्यं शिवं सुंदरम् की भावना भी निहित होती है।
वह कहता था, ""सच्चा ज्ञान संभव है बशर्ते उसके लिए ठीक तौर पर प्रयत्न किया जाए; जो बातें हमारी समझ में आती हैं या हमारे सामने आई हैं, उन्हें तत्संबंधी घटनाओं पर हम परखें, इस तरह अनेक परखों के बाद हम एक सचाई पर पहुँच सकते हैं।
वो सभी गुणों से भी परे है, पर उसमें अनन्त सत्य, अनन्त चित् और अनन्त आनन्द है।
ज्ञानेन्द्रपति की कविता एक और तो छोटी-से-छोटी सचाई को, हल्की-से-हल्की अनुभूति को, सहेजने का जतन करती है प्राणी-मात्र के हर्ष-विषाद को धारण करती है; दूसरी ओर जनमत भूमि पर दृढ़ता से पाँव रोपे सत्ता-चालित इतिहास के झूठे सच के मुकाबिल होती है ।
शून्य का आविष्कार, जानिए सचाई क्या है... (वेबदुनिया)।