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indology Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


indology ka kya matlab hota hai


इंडोलॉजी

Noun:

चित्तवृत्ति, विचारधारा,



indology शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



इन्हीं चित्तवृत्तियों की परम्परा को परखते हुए साहित्य-परम्परा के साथ उनका सामंजस्य दिखाने में आचार्य शुक्ल का इतिहास और आलोचना-कर्म निहित है।

आंदोलन की ताकत के साथ भाजपा ने १९८९ के लोक सभा चुनावों ८६ सीटें प्राप्त की और समान विचारधारा वाली नेशनल फ़्रॉण्ट की विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार का महत्वपूर्ण समर्थन किया।

1936 के [[बर्लिन]] में आयोजित ग्रीष्मकालीन ओलंपिक एक मिसाल था, शायद पीछे मुड़कर आत्मनिरीक्षण करने का, जहाँ एक विचारधारा विकसित हुई, जिसने प्रचार-प्रसार के माध्यम से खुद को मजबूत करने के लिए आयोजन का उपयोग किया।

भौतिकी की इस नवीन शाखा ने वैज्ञानिक विचारधारा को नवीन और क्रांतिकारी मोड़ दिया है तथा इससे सामाजिक विज्ञान और दर्शनशास्त्र भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित हुए हैं।

जैसे जगह के नाम, उनकी विचारधारा आवास, वयवसथा, सामाजिक संस्था, सामाजिक उत्थान और भाषा आदि।

राजयोग का विषय चित्तवृत्तियों का निरोध करना है।

रुद्रट (9 ई.) ने "सम्यक् ज्ञान" को, आनंदवर्धन ने "तृष्णाक्षयसुख" को, तथा अन्यों ने "सर्वचित्तवृत्तिप्रशम", निर्विशेषचित्तवृत्ति, "घृति" या "उत्साह" को स्थायीभाव माना।

बीबीसी हिन्दी सेवा अपनी स्वतंत्र विचारधारा के लिए हमेशा से जानी जाती रही है।

इस वाक्य के दो अर्थ हो सकते हैं: चित्तवृत्तियों के निरोध की अवस्था का नाम योग है या इस अवस्था को लाने के उपाय को योग कहते हैं।

"चित्तवृत्ति निरोध" को योग मानकर यम, नियम, आसन आदि योग का मूल सिद्धांत उपस्थित किये गये हैं।

राष्ट्रहित के मुद्दों पर निर्णय लेने अथवा संसद में उन मुद्दों को उठाते समय दलों के बीच विभिन्न विचारधाराओं को देखते हुए कभी सहमति तो कभी असहमति जैसी कठिनाई आती है जिसके कारण सहयोगी दलों के बीच विभाजित मतदान के कई मामले भी देखने में आये हैं।

पतञ्जलि ने योगसूत्र में, जो परिभाषा दी है 'योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः', चित्त की वृत्तियों के निरोध का नाम योग है।

इन क्षेत्रिय दलों में शिव सेना को छोड़कर भाजपा की विचारधारा किसी भी दल से नहीं मिलती थी; उदाहरण के लिए अमर्त्य सेन ने इसे "अनौपचारिक" (एड-हॉक) सामूहिकरण कहा था।

उनका कहना है कि चित्तवृत्तियों के प्रवाह का ही नाम चित्त है।

इसके सबसे बड़े कारण फासीवादी विचारधारा और दंगावादी से ग्रस्त हैं।

अपनी आरम्भिक उपपत्ति में आचार्य शुक्ल ने बताया है कि साहित्य जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिम्बित होता है।

योग का अर्थ है चित्तवृत्ति का निरोध।

इन विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं में किस प्रकार ऐसा समन्वय हो सकता है कि ऐसा धरातल मिल सके जिस पर योग की भित्ति खड़ी की जा सके, यह बड़ा रोचक प्रश्न है परंतु इसके विवेचन के लिये बहुत समय चाहिए।

भारत छोड़ते समय जैन भिक्षु बेचारजी के समक्ष हिन्दुओं को मांस, शराब तथा संकीर्ण विचारधारा को त्यागने के लिए अपनी अपनी माता जी को दिए गये एक वचन ने उनके शाही राजधानी लंदन में बिताये गये समय को काफी प्रभावित किया।

भाजपा की कथित विचारधारा "एकात्म मानववाद" सर्वप्रथम १९६५ में दीनदयाल उपाध्याय ने दी थी।

उस समय की विचारधारा के प्रेरणास्त्रोत गैलिलियो (१५६४-१६४२ ईस्वीं) तथा न्यूटन (१६४२-१७२७) थे।

चित्तवृत्तियों का कथानक के पात्र के रूप में अवतरण इस महाकाव्य की अन्यतम विशेषता है।

समसामयिक विचारधारा में प्राच्य दर्शन को धर्म-दर्शन माना जाता है और पाश्चात्य दर्शन को भाषा सुधार तथा प्रत्ययों का स्पष्टिकरण कहा जाता है।

पतंजलि के अनुसार चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना (चित्तवृत्तिनिरोधः) ही योग है।

योग के अंगों के सतत सेवन करने से चित्तवृत्तियों का निरोध हो जाता है, चित्त का विक्षेप नहीं होता।

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