hymnic Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
hymnic ka kya matlab hota hai
भजन
Noun:
स्तवन, स्तोत्र,
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hymnic शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
भक्तिभाव से उनका ध्यान करके स्तवन किया।
वैदिक देव-परम्परा में सूक्तों की सांख्यिक दृष्टि से विष्णु का स्थान गौण है क्योंकि उनका स्तवन मात्र 5 सूक्तों में किया गया है; लेकिन यदि सांख्यिक दृष्टि से न देखकर उनपर और पहलुओं से विचार किया जाय तो उनका महत्त्व बहुत बढ़कर सामने आता है।
शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए।
गुरुभक्ति, श्रोताओं की प्रार्थना, मराठी भाषा का अभिमान, गीता का स्तवन, श्रीकृष्ण और अर्जुन का अकृत्रिम स्नेह इत्यादि विषयों ने ज्ञानेश्वर को विशेष रूप से मुग्ध कर लिया है।
वैदिक दर्शन परम्परा में भी ॠषभदेव का विष्णु के 24 अवतारों में से एक के रूप में संस्तवन किया गया है।
जो लोग विष्णु की स्तुति करते हैं, उनका वे सर्वविध कल्याण करते हैं, क्योंकि उनके स्तवनादि कर्म से उसे परम स्फूर्ति मिलती है।
उन्होंने ‘ब्रह्मं सत्यं जगन्मिथ्या’ का उद्घोष भी किया और शिव, पार्वती, गणेश, विष्णु आदि के भक्तिरसपूर्ण स्तोत्र भी रचे, ‘सौन्दर्य लहरी’, ‘विवेक चूड़ामणि’ जैसे श्रेष्ठतम ग्रंथों की रचना की।
वैदिक दर्शन में, अथर्ववेद वा पुराणों कुछ ग्रंन्थो मे ऋषभदेव का वर्णन आता है | वैदिक दर्शन में ऋषभदेव को विष्णु के 24 अवतारों में से एक के रूप में संस्तवन किया गया है।
काशीखण्ड में “गंगासहस्रनाम” स्तोत्र भी है।
गणेश खंड में गणेश जी के जन्म की विस्तार से चर्चा तथा पुण्यक व्रत की महिमा, गणेश जी की स्तवन, दशाक्षरी विद्या व दुर्गा कवच का वर्णन है।
ऋग्वेद, मण्डल 6, सूक्त 69 में दोनों देवों का युग्मरूपेण स्तवन हुआ है।
उन्होंने एकादश छन्दयुक्त "शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र" भी लिखा।
अनेक देवगण जैसे आदित्य, मरुत, रुद्र, विश्वेदेवा आदि भी मन्त्रों में स्तवनीय हैं।
250 सूक्तों के अतिरिक्त 50 से अधिक मन्त्रों में उसका स्तवन प्राप्त होता है।
कहा गया है कि जयदेव ने दिव्य रस के स्वरूप राधाकृष्ण की रमणलीला का स्तवन कर आत्मशांति की सिद्धि की।
ब्रह्मा का उल्लेख पहले कुत्सायना स्तोत्र कहलाए जाने वाले छंद ५.१ में है।
पैगंबर की 'गाथाओं' अथवा स्तोत्रों में ईश्वर की प्राचीनतम, महत्तम एवं अत्यंत पवित्र भावना का समावेश मिलता है और उसमें प्राकृतिक शक्ति (स्थ्रोंपॉमर्फिक) पूजा का सर्वथा अभाव है जो प्राचीन आर्य और सामी देवताओं की विशेषता थी।
केवल यही ऐसी नदी है जिसके लिए ऋग्वेद की ऋचा ६.६१,७.९५ और ७.९६ में पूरी तरह से समर्पित स्तवन दिये गये हैं।
अनेक भक्तिपरक आख्यानों एवं स्तोत्रोंका भी इसमें अद्भुत संग्रह है।
सर्वेश्वरवादी कुत्सायना स्तोत्र कहता है कि हमारी आत्मा ब्रह्मन् है और यह परम सत्य या ईश्वर सभी प्राणियों के भीतर मौजूद है।
भाईयो मैं आप लोगों को एक स्तोत्र की कुछ पंक्तियाँ सुनाता हूँ जिसकी आवृति मैं बचपन से कर रहा हूँ और जिसकी आवृति प्रतिदिन लाखों मनुष्य किया करते हैं:।
पुराणों, संस्कृत साहित्य के ग्रंथों, स्तोत्रों आदि में तांबूल के वर्णन भरे पड़े हैं।
उनका हृदय अनिवर्चनीय आनंद से भर गया और मुख से मातृ वंदना की शब्दमयी धारा स्तोत्र बनकर फूट पड़ी।