homelyns Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
homelyns ka kya matlab hota hai
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Adjective:
रहन-सहन का, सुखकर,
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homelyns शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
रत्नं वामदृशां दृशां सुखकरं श्रीसप्तशृङगास्पदं।
कुछ विकासशील देशों में, औसत रहन-सहन का मानक भी उच्च होता है।
कांट के अनुसार भार, संकोच, स्फूर्ति, एवं अंतर्बोध उदात्त के मूल तत्व हैं और इनमें भी आध्यात्मिक स्तर को प्राप्त ही इसका संपूर्ण सार है, जो कलाबोध को सुखकर बनाकर न केवल तृप्ति प्रदान करती है अपितु उदात्तानुभूति के स्तर तक भी ले जाती है।
ध्यान किए जा मन में सुमधुर सुखकर, सुंदर साकी का,।
कुछ विद्वानों का मत है कि विकास का अंतिम लक्ष्य लोगों के रहन-सहन व जीवन स्तर में वृद्धि करना होता है और रहन-सहन का स्तर उपभोग के लिए उपलब्ध वस्तुओं व सेवाओं की मात्रा पर निर्भर करता है।
भक्तगण सुखकर्ण को अर्घ्य देते हैं, जो घण्टाकर्ण महावीर को प्रिय है।
ये परिणाम सुखकर एवं दुखकर दोनों ही होते हैं।
इस परिसर में भारत के विभिन्न प्रदेशों यथा अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उड़ीसा और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह आदि की कुटीरों को दर्शाया गया है, जिसको देख कर हम वहाँ के रहन-सहन का अनुमान लगा सकते हैं।
इसके अनुसार वणिक् समाज और सरकार को विदेशी व्यापार में आयात और निर्यात दोनों को इस प्रकार से बढ़ाने का प्रयत्न करना चाहिए जिससे देश में उपयोगी वस्तुओं का बाहुल्य हो जाए और वस्तुओं का अधिक परिमाण में उपयोग करने से देशवासियों के रहन-सहन का दर्जा बराबर बढ़ता जाए।
इस तरह खेती के भरोसे जीवित रहने वालों की संख्या हद से ज़्यादा बढ़ गयी और सभी के रहन-सहन का स्तर गिर गया।
गौ-सेवा से धन-सम्पत्ति, आरोग्य आदि मनुष्य-जीवन को सुखकर बनानेवाले सम्पूर्ण साधन सहज ही प्राप्त हो जाते हैं।
किसी भी आवासीय व व्यापारिक भवन के लिए यह आवश्यक है कि उसमें निवास करने वाले व्यक्तियों के लिए वह सुखकर हो।
जिनकी छाया भी सुखकर है तथा जिन्हें भूल न सका (संस्मरण)।
भूषन भनत तेरौ हियौ रतनाकर सौ रतनाकर है तेरे हिय सुखकर सौ।
प्रकृति-प्रेमी होने के कारण बाबर ने इसमें तत्कालीन फल-फूल, भोजन, रहन-सहन का स्तर, नदी-नालों आदि के सम्बन्ध में भी विस्तृत वर्णन किया है।
आरंभ के ईसाई पादरियों की रहन-सहन का ढंग बहुत कुछ साम्यवादी था, वे एक साथ और समान रूप से रहते थे, परंतु उनकी आय का स्रोत धर्मावलंबियों का दान था और उनका आदर्श जनसाधारण के लिए नहीं, वरन् केवल पादरियों तक सीमित था।
वह कहते हैं-सुन्दर भवन त्याग कर निकुञ्ज में रहना सुखकर है, धन-सम्पत्ति दान की वस्तु है, संग्रह करने के लिए नहीं, तीर्थों के जल का पान कल्याणकर है, कुश की शय्या पर शयन करना सभी आस्तरणों के शयन से श्रेष्ठतम हैं,चित्त को धर्ममार्ग में प्रवृत्त करना श्रेयस्कर है तथा सर्वाधिक कल्याणदायक है-गंगा-यमुना के संगम पर रहकर पुराण-पुरुष कास्मरण करना।
तो सुरपुर से भी सुखकर है, मुझको मेरी गोशाला।