historial Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
historial ka kya matlab hota hai
ऐतिहासिक
Adjective:
ऐतिहासिक,
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historial शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं।
ऐतिहासिक भूगोल --प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक वैदिक, पौराणिक, इंजील संबंधी तथा अरबी भूगोल भी इसके अंग है।
ये कोश रूपविकास और अर्थविकास की ऐतिहासिक प्रमाणिकता के साथ साथ भाषवैज्ञानिक सिद्धांत की संगति ढूँढने का पूर्ण प्रयत्न करते हैं।
यह शब्द ऐतिहासिक रूप से दक्षिण एशिया में स्वदेशी या स्थानीय लोगों के लिए एक भौगोलिक, सांस्कृतिक, और बाद में मजहबी या पंथीय पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त किया गया है।
चरितकोश, कथाकोश इतिहासकोश, ऐतिहासिक कालकोश, जीवनचरितकोश पुराख्यानकोश, पौराणिक- ख्यातपुरुषकोश आदि आदि प्रकार के विविध नामरूपात्मक ज्ञानकोशों की बहुत सी विधाएँ विकसित और प्रचलित हो चुकी हैं।
हिंदू शब्द का ऐतिहासिक अर्थ समय के साथ विकसित हुआ है।
ये कोश रूपविकास और अर्थविकास की ऐतिहासिक प्रमाणिकता के साथ साथ भाषवैज्ञानिक सिद्धांत की संगति ढूँढने का पूर्ण प्रयत्न करते हैं।
शब्दों व संगीत की वह रचना जिसे जन गण मन से सम्बोधित किया जाता है, भारत का राष्ट्रगान है; बदलाव के ऐसे विषय, अवसर आने पर सरकार अधिकृत करे और वन्दे मातरम् गान, जिसने कि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभायी है; को जन गण मन के समकक्ष सम्मान व पद मिले।
फ़ारसी के ऐतिहासिक प्रभाव के साक्ष्य भारतीय उपमहाद्वीप की कुछ भाषाओं पर इसके प्रभाव की सीमा में देखा जा सकता है।
यह शब्द ऐतिहासिक रूप से दक्षिण एशिया में स्वदेशी या स्थानीय लोगों के लिए एक भौगोलिक, सांस्कृतिक, और बाद में मजहबी या पंथीय पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त किया गया है।
आज की कोशविद्या का विकसित स्वरूप भाषा विज्ञान, व्याकरणशास्त्र, साहित्य, अर्थविज्ञान, शब्दप्रयोगीय, ऐतिहासिक विकास, सन्दर्भसापेक्ष अर्थविकास और नाना शास्त्रों तथा विज्ञानों में प्रयुक्त विशिष्ट अर्थों के बौद्धिक और जागरूक शब्दार्थ संकलन का पुंजीकृत परिणाम है।
तद्भव शब्द- ये वे शब्द हैं जिनका जन्म संस्कृत या प्राकृत में हुआ था, लेकिन उनमें बहुत ऐतिहासिक बदलाव आया है।
दूसरे शबदो में इसका तात्पर्य यह है कि आधुनिक उत्कृष्ट कोशों में जहां एक ओर प्राचीन और पूर्ववर्ती वाङ्मय का शब्दप्रयोग के क्रमिक ज्ञान के लिये ऐतिहासिक अध्ययन होता है वहां भाषाविज्ञान के ऐतिहासिक, तुलनात्मक और वर्णनात्मक दुष्टिपक्षों का प्रौढ़ सहयोग और विनियोग अपेक्षित रहता है।
ऐसे कोर्शो को ऐतिहासिक विवरणात्मक कहा जा सकता है।
'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं।
तद्भव शब्द- ये वे शब्द हैं जिनका जन्म संस्कृत या प्राकृत में हुआ था, लेकिन उनमें बहुत ऐतिहासिक बदलाव आया है।
किसी प्रदेश में जनसंख्या, कृषि, पशुपालन, खनन, उद्योग धंधों, परिवहन के साधनों, व्यापारिक एवं वाणिज्कि संस्थाओं आदि के ऐतिहासिक विकास का अध्ययन मानव भूगोल में किया जाता है जिसके लिए उपयुक्त साक्ष्य और प्रमाण इतिहास से ही प्राप्त होते हैं।
फ़ारसी के ऐतिहासिक प्रभाव के साक्ष्य भारतीय उपमहाद्वीप की कुछ भाषाओं पर इसके प्रभाव की सीमा में देखा जा सकता है।
चरितकोश, कथाकोश इतिहासकोश, ऐतिहासिक कालकोश, जीवनचरितकोश पुराख्यानकोश, पौराणिक- ख्यातपुरुषकोश आदि आदि प्रकार के विविध नामरूपात्मक ज्ञानकोशों की बहुत सी विधाएँ विकसित और प्रचलित हो चुकी हैं।
ऐसे कोर्शो को ऐतिहासिक विवरणात्मक कहा जा सकता है।
बहुभाषी शब्दकोशों में तुलनात्मक शब्दकोश भी यूरोपीय भाषाओं में ऐतिहासिक और तुलनात्मक भाषाविज्ञान की प्रौढ़ उपलब्धियों से प्रमाणीकृत रूप में निर्मित हो चुके हैं।
शब्दों व संगीत की वह रचना जिसे जन गण मन से सम्बोधित किया जाता है, भारत का राष्ट्रगान है; बदलाव के ऐसे विषय, अवसर आने पर सरकार अधिकृत करे और वन्दे मातरम् गान, जिसने कि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभायी है; को जन गण मन के समकक्ष सम्मान व पद मिले।
हिंदू शब्द का ऐतिहासिक अर्थ समय के साथ विकसित हुआ है।
आज की कोशविद्या का विकसित स्वरूप भाषा विज्ञान, व्याकरणशास्त्र, साहित्य, अर्थविज्ञान, शब्दप्रयोगीय, ऐतिहासिक विकास, सन्दर्भसापेक्ष अर्थविकास और नाना शास्त्रों तथा विज्ञानों में प्रयुक्त विशिष्ट अर्थों के बौद्धिक और जागरूक शब्दार्थ संकलन का पुंजीकृत परिणाम है।
दूसरे शबदो में इसका तात्पर्य यह है कि आधुनिक उत्कृष्ट कोशों में जहां एक ओर प्राचीन और पूर्ववर्ती वाङ्मय का शब्दप्रयोग के क्रमिक ज्ञान के लिये ऐतिहासिक अध्ययन होता है वहां भाषाविज्ञान के ऐतिहासिक, तुलनात्मक और वर्णनात्मक दुष्टिपक्षों का प्रौढ़ सहयोग और विनियोग अपेक्षित रहता है।
बहुभाषी शब्दकोशों में तुलनात्मक शब्दकोश भी यूरोपीय भाषाओं में ऐतिहासिक और तुलनात्मक भाषाविज्ञान की प्रौढ़ उपलब्धियों से प्रमाणीकृत रूप में निर्मित हो चुके हैं।