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granth Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


granth ka kya matlab hota hai


ग्रंथ

सिख धर्म के प्रमुख पवित्र पाठ में भजन और कविता के साथ-साथ पहले पांच गुरु की शिक्षाएं भी शामिल हैं

Noun:

ग्रंथ,



granth शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



पूर्व तंत्रों या ग्रंथों का समाहार करते हुए यदाकदा इतना भी कह देना उसके लिये बहुधा पर्याप्त हो जाता था।

हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक देवता धर्म के तो दानव अधर्म के प्रतीक हैं।

संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गए हैं।

इस ग्रंथ की रचना उन आचार्य ने की जिन्होंने अन्याय तथा कुशासन से क्रुद्ध होकर नन्दों के हाथ में गए हुए शस्त्र, शास्त्र एवं पृथ्वी का शीघ्रता से उद्धार किया था।

उन्होंने चंद्रगुप्त के प्रशासकीय उपयोग के लिए इस ग्रंथ की रचना की थी।

प्रथम सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व में सिंधु की भूमि के लिए फारसी और ग्रीक संदर्भों के साथ, मध्ययुगीन युग के ग्रंथों के माध्यम से , हिंदू शब्द सिंधु (इंडस) नदी के चारों ओर या उसके पार भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले लोगों के लिए भौगोलिक रूप में, मानव-जाति के अनुसार (नृवंशतया), या सांस्कृतिक पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त होने लगा था।

(ग) यह भी हो सकता है कि "नागर" जन इसमें लिखा करते थे, अत: "नागरी" अभिधान पड़ा और जब संस्कृत के ग्रंथ भी इसमें लिखे जाने लगे तब "देवनागरी" भी कहा गया।

लिखित साहित्य से सग्रह्य शब्दों के लिये हस्तलिखित और मुद्रित ग्रंथो का सहारा लिया जाता है।

गुजराती प्रिटिंग प्रेस बम्बई से मुदित उपनिषद्-वाक्य-महाकोष में २२३ उपनिषदों की नामावली दी गई है, इनमें उपनिषद (१) उपनिधि-त्स्तुति तथा (२) देव्युपनिषद नं-२ की चर्चा शिवरहस्य नामक ग्रंथ में है लेकिन ये दोनों उपलब्ध नहीं हैं तथा माण्डूक्यकारिका के चार प्रकरण चार जगह गिने गए है इस प्रकार अबतक ज्ञात उपनिषदो की संख्या २२० आती हैः-।

जैन ग्रंथ, तत्त्वार्थ सूत्र में १० धर्मों का वर्णन है।

गुजराती प्रिटिंग प्रेस बम्बई से मुदित उपनिषद्-वाक्य-महाकोष में २२३ उपनिषदों की नामावली दी गई है, इनमें उपनिषद (१) उपनिधि-त्स्तुति तथा (२) देव्युपनिषद नं-२ की चर्चा शिवरहस्य नामक ग्रंथ में है लेकिन ये दोनों उपलब्ध नहीं हैं तथा माण्डूक्यकारिका के चार प्रकरण चार जगह गिने गए है इस प्रकार अबतक ज्ञात उपनिषदो की संख्या २२० आती हैः-।

परंतु इसके अंतर्गत प्राचीन हस्तलेखों और मुद्रित ग्रथो के आधार पर जब शब्दसंकलन होता है तब उभयविध आधारग्रंथों की प्रामाणिकता और पाठशुद्धि आवश्यक होती है।

दूसरे, जब ब्राह्मण ग्रंथों ने यज्ञ को बहुत अधिक महत्व दे दिया और पुरोहितवाद तथा पुरोहितों की मनमानी अत्यधिक बढ़ गई तब इस व्यवस्था के विरुद्ध प्रतिक्रिया हुई और विरोध की भावना का सूत्रपात हुआ।

पूर्व तंत्रों या ग्रंथों का समाहार करते हुए यदाकदा इतना भी कह देना उसके लिये बहुधा पर्याप्त हो जाता था।

बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं।

यह प्राचीन भारतीय राजनीति का प्रसिद्ध ग्रंथ है।

जैन ग्रंथ, तत्त्वार्थ सूत्र में १० धर्मों का वर्णन है।

बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं।

यह प्राचीन भारतीय राजनीति का प्रसिद्ध ग्रंथ है।

इसी युग को हिन्दू धर्म से जुड़े प्राचीनतम धर्म ग्रंथ, वेदों का रचनाकाल माना जाता है तथा पंजाब तथा गंगा के ऊपरी मैदानी क्षेत्र को वैदिक संस्कृति का निवास स्थान माना जाता है।

दूसरे, जब ब्राह्मण ग्रंथों ने यज्ञ को बहुत अधिक महत्व दे दिया और पुरोहितवाद तथा पुरोहितों की मनमानी अत्यधिक बढ़ गई तब इस व्यवस्था के विरुद्ध प्रतिक्रिया हुई और विरोध की भावना का सूत्रपात हुआ।

इस विषय के जितने ग्रंथ अभी तक उपलब्ध हैं उनमें से वास्तविक जीवन का चित्रण करने के कारण यह सबसे अधिक मूल्यवान् है।

प्रथम सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व में सिंधु की भूमि के लिए फारसी और ग्रीक संदर्भों के साथ, मध्ययुगीन युग के ग्रंथों के माध्यम से , हिंदू शब्द सिंधु (इंडस) नदी के चारों ओर या उसके पार भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले लोगों के लिए भौगोलिक रूप में, मानव-जाति के अनुसार (नृवंशतया), या सांस्कृतिक पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त होने लगा था।

(ग) यह भी हो सकता है कि "नागर" जन इसमें लिखा करते थे, अत: "नागरी" अभिधान पड़ा और जब संस्कृत के ग्रंथ भी इसमें लिखे जाने लगे तब "देवनागरी" भी कहा गया।

इसी युग को हिन्दू धर्म से जुड़े प्राचीनतम धर्म ग्रंथ, वेदों का रचनाकाल माना जाता है तथा पंजाब तथा गंगा के ऊपरी मैदानी क्षेत्र को वैदिक संस्कृति का निवास स्थान माना जाता है।

लिखित साहित्य से सग्रह्य शब्दों के लिये हस्तलिखित और मुद्रित ग्रंथो का सहारा लिया जाता है।

granth's Usage Examples:

The religious creed of Guru Govind Singh was the same as that of Guru Nanak: the God, the guru and the Granth remained unchanged.


The following are the main points of his teaching: Sikhs must have one form of initiation, sprinkling of water by five of the faithful; they should worship the one invisible God and honour the memory of Guru Nanak and his successors; their watchword should be, "Sri wah guru ji ka khalsa, sri wah guru ji ki fatah" (Khalsa of God, victory to God!), but they should revere and bow to nought visible save the Granth Sahib, the book of their belief; they should occasionally bathe in the sacred tank of Amritsar; their locks should remain unshorn; and they should name themselves singhs or lions.


Ideas of revolt and reform of decadent systems are always in the air, it may be for centuries, until some one man bolder than the rest stands out to give them free expression; and as John the Baptist preceded Jesus Christ, so Nanak was preceded by several reformers, whose writings are incorporated in the Granth itself.


The doctrines of Sikhism as set forth in the Granth are that it prohibits idolatry, hypocrisy, class exclusiveness, the concremation of widows, the immurement of women, the use of wine and other intoxicants, tobacco-smoking, infanticide, slander and pilgrimages to the sacred rivers and tanks of the Hindus; and it inculcates loyalty, gratitude for all favours received, philanthropy, justice, impartiality, truth, honesty and all the moral and domestic virtues upheld by Christianity.


Of these, excluding Welsh ones, we may with some certainty identify Canterbury (Caint), Caerleonon-Usk, Leicester (Lerion), Penzelwood, Carlisle, Colchester, Grantchester (Granth), London, Worcester (Guveirangon), Doncaster (Daun), Wroxeter (Guoricon), Chester (Legion - this is Roman), Lichfield (Licitcsith) and Gloucester (Gloui).


As all the guru's sons predeceased him, and as he was disappointed in his envoy Banda, he left no human successor, but vested the guruship in the Granth Sahib and his sect.


The eighth guru was the second son of Har Rai, but he died when a child and too young to leave any mark on in his favour and also in favour of the next guru for having altered a line of the Granth to please the emperor Aurangzeb.


It was Guru Arjan who compiled the Granth or Sikh Bible, out of his own and his predecessors' compositions.


Little is known of the ministry of Angad except that he committed to writing much of what he had heard about Guru Nanak as well as some devotional observations of his own, which were afterwards incorporated in the Granth.


Jaidev is better known as the author of the Gitagobind, which was translated by Sir Edwin Arnold, than as a religious reformer; but in the Adi Granth are found two hymns of his in the Prakrit language of the time, in which he represents God as distinct from nature, yet everywhere present.



granth's Meaning':

the principal sacred text of Sikhism contains hymns and poetry as well as the teachings of the first five gurus

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