glout Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
glout ka kya matlab hota hai
ग्लूट
Noun:
वात-रोग,
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glout शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
वात-रोग के उपचार के लिये अनेक नयी दवाओं पर शोध चल रही हैं, जिनमें ऐनाकिंरा, कैनाकिन्युमैब तथा राइलोनासेप्ट आदि शामिल हैं।
कॉराइनेबैक्टीरियम ग्लूटैमिकम जीवाणु का प्रयोग एल-ग्लूटामेट एवं एल-लाइसीन नामक अमीनो अम्ल के उत्पादन में किया जाता है, जिससे प्रति वर्ष दो मिलियन टन अमीनो अम्ल का उत्पादन होता है।
वात-रोग की दर को प्रभावित करने वाले कई कारक पाए गए हैं, जिनमें आयु, जाति और वर्ष के मौसम सम्मिलित हैं।
वात-रोग की दर वर्ष 1990 और 2010 के बीच लगभग दोगुनी हो गई है।
सामान्यतया बीटा ग्लोबिन प्रोटीन के छठे स्थान पर एक ग्लूटामेट अमीनो अम्ल होता है, जबकि हंसिया-कोशिका रोग में इसकी जगह वैलीन अम्ल आ जाता है।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि वात-रोग के आक्रमण वसंत ऋतु में अधिक बार होते हैं।
इसमे ग्लूटेन नही होने से वे लोग भी इसे प्रयोग कर सकते है जिन्हें गेंहू से एलर्जी हो जाती है।
कंपनी ने मोनोसोडियम ग्लूटामेट के होने से इंकार कर दिया था।
हालांकि दुनिया भर मे आहार प्रोटीन और खाद्य आपूर्ति का अधिकांश गेहूं द्वारा पूरा किया जाता है, लेकिन गेहूं मे पाये जाने वाले एक प्रोटीन ग्लूटेन के कारण विश्व का 100 से 200 लोगों में से एक व्यक्ति पेट के रोगों से ग्रस्त है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की इस प्रोटीन के प्रति हुई प्रतिक्रिया का परिणाम है।
वात-रोग, तथापि, प्राचीन काल से ज्ञात है।
सबसे पहले इन परीक्षणों का विकास पी. फैल्सीपैरम के किण्वक ग्लूटामेट डीहाइड्रोजनेज़ को एंटीजन के रूप में प्रयोग करके किया गया।
* छोटे एंजाइमों में शामिल हैं लारमय अम्लीय फॉसफेट ए+बी, एन-असिटाइलमुरामोयल-एल-अलानाइन अमीडेस, एनएडी (पी) एच डीहाइड्रोजीनेस (क्विनोन), सुपरओक्स्साईड डाईमूटेस, ग्लूटाथिओन ट्रांसफेरेस, श्रेणी 3 एलडिहाइड डिहाइड्रोजीनेस, ग्लूकोस-6-फॉसफेट आइसोमेरेस और ऊतक कल्लीक्रेन (कार्य अज्ञात).।
इसमें अमीनो अम्ल ग्लाइसिन, ग्लूटामाइन, ऐस्पार्टिक अम्ल तथा सह-किण्वक टैट्रा-हाइड्रो-फोलेट से स्थानांतरित हुए फॉर्मेट आयन के परमाणु प्रयोग होते हैं।
सामान्यतः बीटा ग्लोबिन प्रोटीन के छठे स्थान पर एक ग्लूटामेट अमीनो अम्ल होता है, जबकि हंसिया-कोशिका रोग में इसकी जगह वैलीन अम्ल आ जाता है।
मई 2015 में उत्तर प्रदेश के खाद्य विभाग द्वारा मैगी के जाँच के दौरान पता चला की इसमें 0.17 पीपीएम सीसा है साथ ही इसमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट पाया गया था।
1848 में अंग्रेजी चिकित्सक अल्फ्रेड बेरिंग गैरौड ने महसूस किया कि वात-रोग का कारण रक्त में यूरिक एसिड की अधिकता थी।
नपहाल में अन्य गेहूं की किस्मों से कम ग्लूटेन (Gluten) होता है जो इसकी Viscoelasticity को कम कर देता है।
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में अफ़्रीकी अमरीकी पुरुषों में वात-रोग होने की सम्भावना यूरोपीय अमरीकी पुरुषों की तुलना में दो गुनी तक होती है।
सामान्य ऐमिनो अम्ल हैं : ग्लाइसिन (Glycine), ऐलिनिन (Alanine), सेरिन (Serine), नोरल्युसिन (Norlucine), ऐस्पर्टिक अम्ल (Aspartic acid), ग्लूटैमिक अम्ल (Glutamic acid), हाइड्रॉक्सीग्लुटैमिक अम्ल (Hydroxyglutamic acid), प्रोलिन (Proline), सिट्रलिन (Citruline), टाइरोसिन (Tyrocine), तथा सिस्टीन (Cystine)।
मनुष्यों तथा अन्य बड़े वानरों में इस क्षमता का अभाव होता है अतः इनमें वात-रोग सामान्य होता है।
सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ज़ैन्थैन, ऐल्जिनेट, सैल्युलोज़, सायनोफाइसिन, पॉली-गामा ग्लूटोनिक अम्ल, लेवैन, हायल्युरॉनिक अम्ल, कार्बनिक ऑलिगोसैक्कराइड एवं पॉलीसैक्कराइड तथा पॉलीहाइड्रॉक्सीऐल्कैनोएट आदि के जैवसंश्लेषण हेतु भी होता है।
तथापि टायरानोसोरस रेक्स का वह प्रतिरूप, जिसे "सू" के रूप में जाना जाता है, के विषय में माना जाता है कि वह वात-रोग के पीड़ित थी।
वात-रोग पश्चिमी आबादी के लगभग 1-2% को उनके जीवन काल में किसी ना किसी समय पर प्रभावित करता है तथा यह और अधिक आम होता जा रहा है।