glitzily Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
glitzily ka kya matlab hota hai
चकाचौंध से
Adjective:
धूमधाम से,
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glitzily शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
प्रकाश का पर्व दीपावली यहाँ बहुत धूमधाम से मनाई जाती है।
दक्षिण गुजरात के आदिवासियों के लिए होली सबसे बड़ा पर्व है, छत्तीसगढ़ की होरी में लोक गीतों की अद्भुत परंपरा है और मध्यप्रदेश के मालवा अंचल के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है भगोरिया, जो होली का ही एक रूप है।
नाशिक में स्थित कीर्ति कला मंदिर में कृष्णा जयंती महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
जब मैं मंच पर गया था, तब मंच उतना चकाचौंध से भरपूर नहीं था।
आधुनिक पर्यटन की चकाचौंध से दूर यह इलाका इको-फ्रैंडली पर्यटन का अद्वितिय उदाहरण भी है।
आधुनिक चकाचौंध से बिल्कुल अछूते बावला जी उम्र के 86वें पड़ाव पार करने के बाद भी गांव की प्राकृतिक वादियों में भोजपुरी साहित्य को समृद्घ करते हुए हिंदी साहित्य को भी एक नया आयाम देने में प्रयासरत हैं।
नक्षत्रों की चमक स्वाभाविक की अपेक्षा अधिक दिखाई जाती है, जिससे सूर्य की चकाचौंध से आनेवाले दर्शकों को उन्हें पहचानने में कठिनाई न हो।
रामनवमी पर्व यहां बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
स्थानीय निवासी इस उत्सव को बडी धूमधाम से मनाते हैं।
शिवरात्रि पर्व यहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
सीमित आवश्यकताओं में विश्वास रखनेवाले, अपने कृषिकर्म और आश्रमजीवन से संतुष्ट आर्य प्राय: ग्रामवासी थे और शायद इसीलिए, अपने परिपक्व विचारों के अनुरूप ही, समसामयिक सिंधु घाटी सभ्यता के विलासी भौतिक जीवन की चकाचौंध से अप्रभावित रहे।
अयोग्यता चमक ऐसे प्रभावों का वर्णन करता है जैसा कि सामने आती हुई कार के प्रकाश से होने वाली चकाचौंध से होता है या कोहरे में अथवा आंखों में बिखरती रौशनी से, जो कंट्रास्ट को कम कर देता है, साथ ही साथ मुद्रण और अन्य अंधेरी जगहों से आने वाली चकाचौंध जो उन्हें चमकाती है, जिससे दृष्टि क्षमताओं में काफी कमी आती है।
भगवान राम को समर्पित इस मंदिर में रामनवमी पर्व काफी धूमधाम से मनाई जाती है।
यहां सदियों से पारंपरिक तरीके से दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाया जाता है।
बादशाह जहाँगीर भी दीपावली धूमधाम से मनाते थे।
आश्रम सरंचना- इस पंथ के प्रायः सभी आश्रम आज भी भौतिक चकाचौंध से कोसों दूर हैं।
मार्च-अप्रैल में मनाया जाने वाला रामनवमी पर्व यहां बड़े जोश और धूमधाम से मनाया जाता है।
श्रीराम नवमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हनुमान जयन्ती, शिवरात्रि, दत्तात्रेय जयन्ती समेत अनेक पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाये जाते है।
वाराणासी में क्रींकुण्ड अघोर सम्प्रदाय का प्रमुख केंद्र है परन्तु क्रींकुण्ड से ही एक और शाखा का उदय 1916 में हुआ जो अपने को बहुत ही गुप्त एवम शांत तरीके से चकाचौंध से दूर ,फकीरी कुटिया के रूप में हुआ।
धूप के चश्मे चकाचौंध से आंखों की रक्षा करके आखों को दृश्यात्मक आराम और दृश्य स्पष्टता प्रदान करता है।