fulmine Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
fulmine ka kya matlab hota hai
बिजली चमकना
Noun:
दुष्काल, अनाहार, कमी, अकाल,
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fulmine शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
जैन परम्परा के अनुसार महावीर स्वामी निर्वाण (ईसवी सन् के पूर्व 527) के 160 वर्ष पश्चात (लगभग ईसवी सन् के 367 पूर्व) मगध देशों में बहुत भारी दुष्काल पड़ा, जिसके फलस्वरूप जैन साधुओं को अन्यत्र विहार करना पड़ा।
इस समय मगध में भयंकर दुष्काल पड़ा और जैन साधु मगध छोड़कर चले गए।
दिगंबर मान्यता के अनुसार उज्जैन में चंद्रगुप्त के राज्यकाल में आचार्य भद्रबाहु की दुष्काल संबंधी भविष्यवाणी सुनकर उनके शिष्य विशाखाचार्य अपने संघ को लेकर पुन्नाट चले गए, कुछ साधु सिंधु में विहार कर गए।
दुष्काल समाप्त हो जाने पर जैन आगमों को व्यवस्थित करने के लिए जैन श्रमणों का एक सम्मेलन पाटलिपुत्र में बुलाया गया।
अकाल- दुर्भिक्ष, भुखमरी, कुसमय, काल, दुष्काल, महँगी, मूल्यवृद्धि, तेजी।
शरीर (काया) का वजन मान इतना बड़ा है कि अनाहार रक्तशर्कराल्पता पूरी तरह असामान्य लगता है।
जब साधु उज्जैनी लौटकर आए तो वहाँ दुष्काल पड़ा हुआ था।
दुष्काल समाप्त होने पर जब लौटकर आए तब पाटलिपुत्र में जैन आगमों की प्रथम वाचना हुई जो 'पाटलिपुत्र-वाचना' के नाम से कही जाती है।
हल-कर्षण-यज्ञ के परिणामस्वरूप भूमि-सुता सीता धारा धाम पर अवतीर्ण हुयी, साथ ही आकाश मेघाच्छन्न होकर मूसलधार वर्षा आरंभ हो गयी, जिससे प्रजा का दुष्काल तो मिटा, पर नवजात शिशु सीता की उससे रक्षा की समस्या मार्ग में नृपति जनक के सामने उपस्थित हो गयी।
कोई ऐसा धंधा-रोजगार न था कि जिससे वर्षा न होने की सूरत में किसान दुष्काल से बच सकें।
इससे सिद्ध हुआ कि रोग और दुष्काल इन दोनों के मुख्य कारण अंग्रेज ही हैं।
दुष्काल समाप्त हो जाने पर श्रमण पाटलिपुत्र (पटना) में एकत्रित हुए और यहाँ खण्ड-खण्ड करके ग्यारह अंगों का संकलन किया गया, बारहवाँ अंग किसी को स्मरण नहीं था, इसलिए उसका संकलन न किया जा सका।
उस समय जब मगध में भयंकर दुष्काल पड़ा तो अनेक जैन भिक्षु भद्रबाहु के नेतृत्व में समुद्रतट की ओर प्रस्थान कर गए, शेष स्थूलभद्र के नेतृत्व में मगध में ही रहे।
वृहत्कल्पभाष्य, व्यवहारभाष्य, निशीथचूर्णि, आवश्यकचूर्णि, आवश्यकटीका, उत्तराध्ययन टीका आदि टीका-ग्रन्थों में पुरातत्व सम्बन्धी विविध सामग्री भरी पड़ी है, जिससे भारत के रीति-रिवाज, मेले त्यौहार, साधु-सम्प्रदाय, दुष्काल, बाढ़, चोर-लुटेरे, सार्थवाह, व्यापार के मार्ग, शिल्प, कला, भोजन-शास्त्र, मकान, आभूषण, आदि विविध विषयों पर बहुत प्रकाश पड़ता है।