frowst Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
frowst ka kya matlab hota hai
पाला
Noun:
नीहार, पाला, तुषार, ठंढ,
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frowst शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
सारुमान ने ग़लती से उन लोगों की तरफ़ एक पालान्तीर दे मारा, जिसे पिप्पिन ने पकड़ा।
उनको फिर फ़राओ की पत्नी ने पाला और मूसा एक मिस्री राजकुमार बने।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने चेरो के पालामू किले पर कब्जा कर लिया।
नीहार की विषयवस्तु के सम्बंध में स्वयं महादेवी वर्मा का कथन उल्लेखनीय है- "नीहार के रचना काल में मेरी अनुभूतियों में वैसी ही कौतूहल मिश्रित वेदना उमड़ आती थी, जैसे बालक के मन में दूर दिखायी देने वाली अप्राप्य सुनहली उषा और स्पर्श से दूर सजल मेघ के प्रथम दर्शन से उत्पन्न हो जाती है।
1932 में जब उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम॰ए॰ पास किया तब तक उनके दो कविता संग्रह नीहार तथा रश्मि प्रकाशित हो चुके थे।
इन धब्बों को ही नीहारिका कहते हैं।
शुक्र ग्रह, विभिन्न घूर्णन अवधि और झुकाव के साथ एक सौर नीहारिका से गठित हुआ हो सकता है।
जिज्ञासु हॉबिट पिप्पिन ने जादुई पालान्तीर का उपयोग करते हुए उसमें चुपके से नज़र गड़ाई।
शहर पाला राजवंश के शासकों के अधीन 10 - 11 वीं शताब्दी ई. तक असम की राजधानी के रूप में बने रहे।
उसके स्खलित हुए वीर्य से एरैक्थियस् का जन्म हुआ और उसको अथीना ने पाला।
१९३० में नीहार, १९३२ में रश्मि, १९३४ में नीरजा, तथा १९३६ में सांध्यगीत नामक उनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हुए।
हर हिस्से में टीमें पाला बदलती हैं और इसके लिए उन्हें पाँच मिनट का ब्रेक मिलता है।
इसमें पालामऊ व्याघ्र आरक्षित वन के 1,026 वर्ग किमी के अलावा 289 वर्ग किमी के अन्य क्षेत्र सम्मिलित हैं।
वे सिंध के शहर, अमरकोट में पैदा हुए जहाँ उनके चाचा अस्करी ने उन्हें पाला।
दूसरी परिकल्पना है कि छल्ले छोड़ी गई मूल नीहारिकीय सामग्री हैं जिनसे शनि बना है।
इस ब्रह्मांड में असंख्य नीहारिकाएँ हैं।
कहानी नीहार महादेवी वर्मा का पहला कविता-संग्रह है।
1885 ई0 के ऐंड्रोमिडा नीहारिका के अतिनवतारे ने छह दिनों में इतना अधिक प्रकाश विकीर्ण किया कि सूर्य कदाचित् उतने प्रकाश को 10 लाख वर्षो में विकीर्ण कर पाएगा।
शोमेर ने ‘दीप’ (नीहार), मधुर मधुर मेरे दीपक जल (नीरजा) और मोम सा तन गल चुका है कविताओं को उद्धृत करते हुए निष्कर्ष निकाला है कि ये कविताएं महादेवी के ‘आत्मभक्षी दीप’ अभिप्राय को ही व्याख्यायित नहीं करतीं बल्कि उनकी कविता की सामान्य मुद्रा और बुनावट का प्रतिनिधि रूप भी मानी जा सकती हैं।
१. नीहार (१९३०)२. रश्मि (१९३२)३. नीरजा (१९३४)४. सांध्यगीत (१९३६)।
इसमें उनके चार कविता संग्रह नीहार, नीरजा, रश्मि और सांध्यगीत संकलित किए गए हैं।
आम्बारी खुदाई 6 वीं शताब्दी ई. के शहर का पता लगाने. शहर के अलग - अलग समय अवधि में (यानी प्रकाश के पूर्व) प्रगाज्योतिस्पुर् और दुर्जोय् के रूप में जाना जाता था और वर्मन और कामारुपा राज्य के पाला राजवंशों के तहत राजधानी थी।
सिमडेगा की प्रमुख नदियाँ हैं - शंख, देव, गिरवा और पालामाड़ा।