forehent Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
forehent ka kya matlab hota hai
फोरहेंट
Noun:
शिर, मत्था, ललाट, माथा,
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forehent शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
अन्य - बायें से दायें, शिरोरेखा, संयुक्ताक्षरों का प्रयोग, अधिकांश वर्णों में एक उर्ध्व-रेखा की प्रधानता, अनेक ध्वनियों को निरूपित करने की क्षमता आदि।
ॐ आदि वन्दिताय नमः . शिरः पूजयामि .।
अग्रहायण या अगहन या मार्गशीर्ष मृगशिरा में।
इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरोरेखा' कहते हैं।
४-अथर्वशिर उपनिषद् (सामवेद)।
इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे ‘शिरोरेखा’ कहते हैं।
इससे पूर्व मुम्बई में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने पथसंचलन किया और दादर स्थित गुरुद्वारे में मत्था टेका।
वर्तमान मे माँ शाकुम्भरी देवी के दरबार मे अनेकों विशिष्ट जन मत्था टेकने आते हैं।
प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमन्दिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं।
सिद्ध वीर गोगादेव के जन्मस्थान राजस्थान के चुरू जिले के दत्तखेड़ा ददरेवा में स्थित है जहाँ पर सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
परंपरा यह है कि यहाँ वाले श्रद्धालुजन सरोवर में स्नान करने के बाद ही गुरुद्वारे में मत्था टेकने जाते हैं।
(२) कुछ लोग शिरोरेखा का प्रयोग अनावश्यक मानते हैं।
यही कारण है कि भारतीय संगीत के सुर और लय की सहायता से मीरा, तुलसी, सूर और कबीर जैसे कवियों ने भक्त शिरोमणि की उपाधि प्राप्त की और अन्त में ब्रह्म के आनन्द में लीन हो गए।
जबकि सप्ताह में मंगलवार एवं शुक्रवार को भी मां के दरबार में दर्शनार्थी मत्था टेकते हैं।
मान्यता है कि इस मंदिर में मत्था टेकने वाले प्रत्येक भक्त की मनोकामना पूरी होती है।
प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं।
वेद-पुरुष के शिरोभाग को उपनिषद् कहते हैं।
यद्यपि प्राचीनकालमे माघशुक्ल प्रतिपदासे शिशिर ऋत्वारम्भ उत्तरायणारम्भ और नववर्षाम्भ तिनौं एक साथ माना जाता था।
यहां हर साल दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं और मत्था टेककर स्वयं को धन्य समझते हैं।
१९३५ में हिंदी साहित्य सम्मेलन ने नागरी लिपि सुधार समिति के माध्यम से 'अ' की बारहखड़ी और शिरोरेखा से संबंधित सुधार सुझाए।
गुरुग्रंथ साहिब को मत्था टेककर श्रद्धालु इसी परिक्रमा में बैठकर शबद-कीर्तन का आनन्द लेते हैं।
प्रतिवर्ष लाखों लोग गोगा जी के मंदिर में मत्था टेक तथा छड़ियों की विशेष पूजा करते हैं।
अथर्व-शिर अथर्व वेद, शैव उपिनषद्।
बीच रास्ते में अर्धकुवांरी (गुफा), हाथी मत्था और सांझी छत मध्यांतर पड़ते हैं और अंत में जाकर मुख्य गुफा आती है जहां प्रवेश से पूर्व यात्री शीतल जल में स्नान करते हैं और संकरे मुंह वाली गुफा में प्रवेश करते हैं।
धर्म निरपेक्षता का अद्भुत उदाहरण यहाँ देखने को मिलता है कि यहां से कुछ ही दूरी पर एरुमेलि नामक जगह पर श्री अयप्पन के सहयोगी माने जाने वाले मुसलिम धर्मानुयायी वावर का मकबरा भी है, जहां मत्था टेके बिना यहां की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती।
प्रत्येक शब्द के ऊपर एक रेखा खिंची होती है (कुछ वर्णों के ऊपर रेखा नहीं होती है) इसे शिरोरेखा कहते हैं।