flagrance Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
flagrance ka kya matlab hota hai
सुगंध
Noun:
सुवास, सुगंधि, सौरभ,
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flagrance शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
यथा, वायु देवता से हमारा श्वास प्रश्वास चलता है, हवा को हम गंदा करते हैं; उत्तम सुगंधित पदार्थो के धूप-दीप से, होम हवन से, हवा पुन: स्वच्छ करनी चाहिए।
उनका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन और धूप को सुगंधित करने के लिए भी किया जाता है।
प्रत्येक मानव को जीवन में सद्गुणों की सुगंध आती है, सुविचारों की सुवास आती है, वह सुवास हमें प्रिय होनी चाहिए।
डॉ.विमल किशोर ढौंडियाल राजमणीयम् (खण्डकाव्य) भोजन को सुवास बनाने, रंगने या संरक्षित करने के उद्देश्य से उसमें मिलाए जाने वाले सूखे बीज, फल, जड़, छाल, या सब्जियों को मसाला (spice) कहते हैं।
इस प्रदेश में एक सुवासित वनस्पति होती है जिसे कैलास धूप कहते हैं।
इन नए रूपों को विशेष रूप से सुगंधित चंदन-नीम के पेड़ों से निर्धारित कड़ी धार्मिक रीतियों के अनुसार सुगंधित किया जाता है।
ऐल्कोहॉलयुक्त पेय की विशेषता उपयोग में आनेवाले कच्चे माल पर ही निर्भर नहीं करती, वरन् इसके स्वाद तथा सुवास पर बनाने की रीतियों का भी व्यापक प्रभाव पड़ता है।
डॉ॰ आषीर्वादी लाल श्रीवास्तव ने उसके शासन काल में इस क्षेत्र में प्रभूत मात्रा में उत्पन्न होने वाले स्निग्ध और सुगंधित चावल का विषेष रूप से उल्लेख किया है।
पत्तियाँ १ से २ इंच लम्बी सुगंधित और अंडाकार या आयताकार होती हैं।
रत्न सुवासित, चित्ताकर्षक, चिरस्थायीव दुर्लभ होने तथा अपने अद्भुत प्रभाव के कारण भी मनुष्य को अपने मोहपाश में बाँधे हुए हैं।
इसके अलावा जलयान निर्माण, स्वचालित यंत्र, चित्रमय परदे, सुगंधित द्रव्य, चीनी मिट्टी के बरतन, शराब, आभूषण, शृंगार की वस्तुओं, फीते, लकड़ी की वस्तुओं के उत्पादन में तो फ्रांस ने विश्व के अन्य देशों को पीछे छोड़ दिया है।
यहाँ के जनपदों की आबोहवा में कला, साहित्य और संस्कृति की मधुमयी सुवास तैरती रहती है।
भीमसेनजातक में यहाँ के उत्तम सुगंधित द्रव्यों का भी उल्लेख है।
रसायनज्ञ इस तेल के सुगंधित तत्व को सांश्लेषिक रीति से प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं।
(५) घ्राणज प्रत्यक्ष, जैसे, फूल सूँघने पर पता लगता है कि वह सुगंधित है।
युवा सुवासाः परिवीत आगात् स उ श्रेयान् भवति जायमानः।
खैर, चूना, सुपारी के योग से इसका बीड़ा लगाया जाता है और मुख की सुंदरता, सुगंधि, शुद्धि, श्रृंगार आदि के लिये चबा चबाकर उसे खाया जाता है।
प्रत्येक सुरा की अपनी विशेषता होती है और इसमें उपस्थित ऐल्कोहॉल की मात्रा उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती जितना उसका स्वाद, सुवास तथा अन्य "निजी विशेषताएँ"।
जबकि सुवासरा, भागपुरा, गरोठ और सीतामऊ पूर्वीय भाग में स्थित हैं।
आसवन द्वारा सुगंधित तेल निकाला जाता है।
एक उदाहरण देखें - "हिला-किंचा में जन्म लेले /कांटा-मूला से लदले-भिले/ जिंदगी भर सुख-दुख को तौर नै हो परवाह /....मूस-मूस मुसकी मूर्ति / हृदय में विकास को कामना/ करती आगे बढ़ाना/ ओहे मधुर-मुस्कान को साथ /....अमिट बनले समाज में / बस-सुवास भालें देवतन में।
इसके साथ विभिन्न प्रकार के सुगंधित, असुगंधित तमाखू, तरह तरह के पान के मसाले, लवंग, कपूर, सुगंधद्रव्य आदि का भी प्रयोग किया जाता है।
कुल मिला कर नेपाल के जड़ चेतन वातावरण में एक निश्चलता, निश्छलता, संगीत, संतोष और आह्लाद की सुवासित गंध व्याप्त रहती है।
मजेदार बात यह है कि अपनी परंपरा से इतने नजदीक से जुड़े रहने के कारण ही उनमें आधुनिकता की सुंदरता और सुवास थी।
अपनी विशिष्ट सुगंध और स्वाद करी पत्ते, सरसों के बीज, धनिया, अदरक, लहसुन, मिर्च, काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, हरी इलायची, जीरा, जायफल, नारियल और गुलाब जल हर एक पकवान को सुगंधित और स्वादिष्ट बनाते है।