feezing Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
feezing ka kya matlab hota hai
बहुत ठंडा
Noun:
धारण, मनोविकार, मत, सहानुभूति, चेतना, शान, बोध, स्पर्शशान, अनुभूति, अनुभव,
People Also Search:
fegaryfegs
fehmic
feign
feigned
feignedly
feigning
feignings
feigns
feijoa
fein
feiner
feinism
feint
feinted
feezing शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
कोशरचना की ऊपर वर्णित विधा को हम साधारणतः सामान्य भाषा शब्दकोश कह सकते हैं।
इसके अतिरिक्त वर्ण-क्रम के निर्धारण में भाषा-विज्ञान के कई अन्य पहलुओ का भी ध्यान रखा गया है।
उन्होंने मनोविकारों के निषेध का उपदेश देनेवालों पर जबर्दस्त आक्रमण किया और मनोवेगों के परिष्कार पर जोर दिया।
उन्होंने मनोविकारों पर हिंदी में पहली बार निबंध लेखन किया।
उनकी स्पष्ट धारणा थी कि देवनागरी लिपि भारत ही नहीं, संसार की सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि है।
(६) एक सर्वमान्य लिपि स्वीकार करने से भारत की विभिन्न भाषाओं में जो ज्ञान का भंडार भरा है उसे प्राप्त करने का एक साधारण व्यक्ति को सहज ही अवसर प्राप्त होगा।
चिन्तामणि के प्रमुख निबन्ध हैं- भाव या मनोविकार, उत्साह, श्रद्धा और भक्ति, करुणा, लज्जा और ग्लानि, घृणा, ईर्ष्या, भय, क्रोध, कविता क्या है, काव्य में लोक मंगल की साधनावस्था।
असल में ये संस्कृत के साधारण ड और ढ के बदले हुए रूप हैं।
देवनागरी में संयुक्ताक्षर की अवधारणा होने से भी बहुत अधिक कुंजियों की आवश्यकता पड़ रही थी।
शुक्ल जी के मनोविकार सम्बंधी निबन्ध परिणत प्रज्ञा की उपज हैं।
आत्मा और पुनर्जन्म के प्रति यही धारणाएँ बौद्ध धर्म और सिख धर्म का भी आधार है।
पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और शिव साधारण देव नहीं, बल्कि महादेव हैं और त्रिमूर्ति के सदस्य हैं।
देवता भी मानवोचित गुणों तथा मनोविकारों से युक्त हैं, यद्यपि उनकी शक्ति तथा सुंदरता अलौकिक है।
प्रसन्न रहे, ईष्र्या, द्वेष, क्रोध आदि मनोविकारों से बचती रहे।
(3) मनोवैज्ञानिक निबंध- मनोवैज्ञानिक निबंधों में करुणा, श्रद्धा, भक्ति, लज्जा, ग्लानि, क्रोध, लोभ और प्रीति आदि भावों तथा मनोविकारों पर लिखे गए निबंध आते हैं।
जन्म-मरण के चक्र में आत्मा स्वयं निर्लिप्त रह्ते हुए अगला शरीर धारण करती है।
नस्य के अयोग्य रोगी- अत्यंत कृश व्यक्ति, सुकुमार रोगी, मनोविकार, अति निद्रा, सर्पदंश आदि।
इस धारणा के अनुसार हिन्दू एक फ़ारसी शब्द है।
भाव, मनोविकार सम्बंधित मनोविश्लेषणात्मक निबन्ध उनके प्रमुख हस्ताक्षर हैं।
सहृदय के अंत:करण में जो मनोविकार, वासना या संस्कार रूप में सदा विद्यमान रहते हैं तथा जिन्हें कोई भी विरोधी या अविरोधी दबा नहीं सकता, उन्हें स्थायी भाव कहते हैं।
संस्कृत को संस्कारित करने वाले भी कोई साधारण भाषाविद् नहीं बल्कि महर्षि पाणिनि, महर्षि कात्यायन और योगशास्त्र के प्रणेता महर्षि पतंजलि हैं।
चौथी-पांचवी शताब्दी के बीच गुप्त साम्राज्य ने वृहद् गंगा के मैदानी क्षेत्र में प्रशासन तथा कर निर्धारण की एक जटिल प्रणाली बनाई; यह प्रणाली बाद के भारतीय राज्यों के लिए एक आदर्श बन गई।
ये ही छह आवेग अतिरंजित होने अथवा अनुपयुक्त विषयों के साथ संलग्न होने पर मनोविकार बन जाते हैं और अंतिम रूप में अनेक प्रकार के उन्मादों का रूप ले लेते हैं।
किसी भी जन्म में अपनी आज़ादी से किये गये कर्मों के मुताबिक आत्मा अगला शरीर धारण करती है।
प्रतिभा भी एक प्रकार का मनोविकार ही है।
तनाव अन्य अनेक मनोविकारों का प्रवेश द्वार है।