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exaration Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


exaration ka kya matlab hota hai


धिकरण

Noun:

भंजन, विप्रलंभ, विरह, विप्रयोग, विच्छेद, वियोजन, विभक्ति, पृथकभवन, बिलगाव, अलगाना, वियोग, विभाजन, पृथक्करण,



exaration शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



|1974 || दुख भंजन तेरा नाम || साधु ||।

दल भंजन गुर सूरमा वडयोद्धा बहु-परउपकारी॥।

उसमें संध्या, सूर्य, चंद्रमा, रात्रि, प्रदोष, अंधकार, दिन, प्रात:काल, मध्याह्न, मृगया, पर्वत, ऋतु, वन, सागर, संयोग, विप्रलंभ, मुनि, स्वर्ग, नगर, यज्ञ, संग्राम, यात्रा और विवाह आदि का यथासंभव सांगोपांग वर्णन होना चाहिए (साहित्यदर्पण, परिच्छेद 6,315-324)।

(कॉमिक्स) तिगडमबाज और साधु दुखभंजन, पितृभक्त कुणाल, महादानी कर्ण, तीन चित्रकथाएं, खेल पुरस्कार उपहार, (फुटकर गद्य) अभिवादन और खेद सहित।

1974 में बनी हिन्दी फ़िल्म दुख भंजन तेरा नाम 1974 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।

पं० मदन शर्मा ‘सुधाकर’ कविरत्न - पिनाकभंजनम्।

वियोग या विप्रलंभ शृंगार।

शृंगार मुख्यतः संयोग तथा विप्रलंभ या वियोग के नाम से दो भागों में विभाजित किया जाता है, किन्तु धनंजय आदि कुछ विद्वान् विप्रलंभ के पूर्वानुराग भेद को संयोग-विप्रलंभ-विरहित पूर्वावस्था मानकर अयोग की संज्ञा देते हैं तथा शेष विप्रयोग तथा संभोग नाम से दो भेद और करते हैं।

इसी प्रकार संयोग तथा विप्रलंभ या वियोग के नाम से दो भागों में विभाजित शृंगार रस का उदाहरण-।

श्रृंगार रस मुख्यत: संयोग तथा विप्रलंभ या वियोग के नाम से दो भागों में विभाजित किया जाता है, किंतु धनंजय आदि कुछ विद्वान् विप्रलंभ के पूर्वानुराग भेद को संयोग-विप्रलंभ-विरहित पूर्वावस्था मानकर अयोग की संज्ञा देते हैं तथा शेष विप्रयोग तथा संभोग नाम से दो भेद और करते हैं।

लौकिक वाक्य पौरुषेय (पुरुषकृत) होने के कारण पुरुषगत भ्रम, प्रमाद, विप्रलंभ (विप्रलिप्सा), करणापाटव आदि दोषों से युक्त होता है, अतएव पौरुषेय वाक्य प्रमाण नहीं होता।

दुःखभंजन स्थान, काली स्थान, ठाकुरबाड़ी, क्षेमतरणी, सूर्यमंदिर और साधबाबा इस पूर क्षेत्र में पूजनीय है।

यदि दु:खात्मक ही मानें तो फिर शृंगार के विप्रलंभ भेद को भी दु:खात्मक ही मानें तो फिर शृंगार के विप्रलंभ भेद को भी दु:खात्मक ही क्यों न माना जाए? इस प्रकार के अनेक तर्क देकर रसों की आनंदरूपता सिद्ध की जाती है।

|1974 || दुख भंजन तेरा नाम || ||।

"काव्यप्रकाश" का विरहहेतुक नया है और शापहेतुक भेद प्रवास के ही अंतर्गत गृहीत हो सकता है, "साहित्यदर्पण" में करुण विप्रलंभ की कल्पना की गई है।

विरह गुरुजनादि की समीपता के कारण पास रहकर भी नायिका तथा नायक के संयोग के होने का तथा करुण विप्रलंभ मृत्यु के अनंतर भी पुनर्जीवन द्वारा मिलन की आशा बनी रहनेवाले वियोग को कहते हैं।

भट्टनायक (10वीं शती ई.) ने सत्वोद्रैक के कारण ममत्व-परत्व-हीन दशा, अभिनवगुप्त (11वीं शती ई.) ने निर्विघ्न प्रतीति तथा आनंदवर्धन (9 श. उत्तर) ने करुण में माधुर्य तथा आर्द्रता की अवस्थित बताते हुए शृंगार, विप्रलंभ तथा करुण को उत्तरोत्तर प्रकर्षमय बताकर सभी रसों की आनंदस्वरूपता की ओर ही संकेत किया है।

साहिब की सिक्ख इतिहास में गुरु अर्जुन देव जी के सुपुत्र गुरु हरगोबिन्द साहिब की दल-भंजन योद्धा कहकर प्रशंसा की गई है।

उनके पास 100 या 1000 औषधियाँ हैं जिनसे वे मृत्यु को जीत लेते हैं तथा भक्तों का पाप-भंजन करते हैं।

ग्लीनमोर का पतला निचला भाग प्राचीन चट्टानी भागों के विभंजन (Fracture) से निर्मित हुआ है, इसमें अब भी भूचाल आते हैं।

|1974 || दुख भंजन तेरा नाम || डाकू दौले सिंह।

ख्याल का मुख्य रस सामान्यत: विप्रलंभ श्रृंगार है।

इसका पूर्व नाम मऊनाथ भंजन (उर्दु:امئو نات بنجن)) था।

शशिभूषण मन्दिर, भीड़भंजन गणपति, बाणेश्वर, चंद्रेश्वर-रत्नेश्वर, कपिलेश्वर, रोटलेश्वर, भालुका तीर्थ है।

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