espressione Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
espressione ka kya matlab hota hai
अभिव्यक्ति
Noun:
मुखाकृति, प्रवाद, उक्ति, व्यंजना, अभिव्यंजना, व्यंजक, अभिव्यक्ति,
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espressione शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
मुखाकृति की दृष्टि से प्राचीन मैक्सिको के लोग उसी जाति के प्रतीत होते हैं जिस जाति के भारत के उत्तर - पूर्वी क्षेत्र के निवासी हैं ।
अन्यापि वर्ण भुव गच्छति तत्सवर्णाभि सूर्यात्मज: अव्यतीति मुनि प्रवाद:॥।
मनुष्य भी कभी-कभी अपने भावों को प्रकट करने के लिए अंग-भंगिमा, भ्रू-संचालन, हाथ-पाँव-मुखाकृति आदि के संकेतों का प्रयोग करते हैं परन्तु वह भाषा के रूप में होते हुए भी ‘व्यक्त वाक्’ नहीं है।
गणपति, नरसिंह इत्यादि देवों की मुखाकृतियाँ होती है जिनकी पूजा नट नित्य किया करते हैं और नाट्य काल में व्रत धारण करते हैं।
यद्यपि वे तिब्बती भाषा बोलते हैं, उनके मुखाकृति की विशेषता आर्यो से मिलती-जुलती दिखती है।
जीवों के जन्म मरण का प्रवाद चलता रहता है किंतु समग्र संसार की न तो उत्पत्ति ही होती है, न विनाश।
इसके बावजूद बाबू श्यामसुंदर दास से लेकर बच्चन सिंह तक हिंदी आलोचना की तीन पीढ़ियाँ एक प्रवाद के रूप में मानती रही है कि प्रसाद के नाटक अभिनेय नहीं हैं।
गौर वर्ण, सुंदर सौम्य मुखाकृति, लंबे घुंघराले बाल, सुगठित शारीरिक सौष्ठव उन्हें सभी से अलग मुखरित करता था।
राजस्थान के प्रवाद (लेखक: डॉ॰ कन्हैयालाल सहल)।
शुक्र की कक्षा पृथ्वी की कक्षा के सापेक्ष थोड़ी झुकी हुई है; इसलिए, जब यह ग्रह पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है, आमतौर पर सूर्य के मुखाकृति को पार नहीं करता।
मुखाकृति सामान्य रखें।
किन्नरों की उत्पति के बारे में दो प्रवाद हैं-एक तो यह कि वे ब्रह्मा की छाया अथवा उनके पैर के अँगूठे से उत्पन्न हुए और दूसरा यह कि अरिष्टा और कश्पय उनके आदिजनक थे।
अन्य लोकप्रिय उपचारों में मुखाकृति विज्ञान - चेहरे के आकार का अध्ययन - तथा सम्मोहन (mesmerism), चुंबकों की मदद से मेस्मर उपचार शामिल थे।
यह भी प्रवाद है कि यह केवल वर्षा की बूँद का ही जलपीता है, प्यास से मर जाने पर भी नदी, तालाब आदि के जल में चोंच नहीं डुबोता।
नैयायिकों में जो प्रवाद प्रचलित हैं उनके अनुसार गौतम वेदव्यास के समकालीन ठहरते हैं; पर इसका कोई प्रमाण नहीं है।
जयपुर के निकट विराट नगर (पुराना नाम बैराठ) जहाँ पांडवों ने अज्ञातवास किया था, में पंचखंड पर्वत पर वज्रांग मंदिर नामक एक अनोखा देवालय है जहाँ हनुमान जी की बिना बन्दर की मुखाकृति और बिना पूंछ वाली मूर्ति स्थापित है जिसकी स्थापना अमर स्वतंत्रता सेनानी, यशस्वी लेखक महात्मा रामचन्द्र वीर ने की थी।
प्रवाद है कि यहीं भस्मासुर ने तप किया और यहीं वह भस्म भी हुआ था।
मैरी के चित्र दिखाते हैं कि उनका एक छोटा अंडाकार सिर था, एक लंबी आकर्षक गर्दन, चमकीले सुनहरे बाल, हल्की भूरी आँखें, आकर्षक पलकों पर करीने से बनाई हुई भौंहें, मुलायम व सपाट पीली त्वचा, उँचा माथा और सुव्यवस्थित मुखाकृति थी।
किन्नरों की उत्पत्ति में दो प्रवाद हैं।
जिस प्रकार वात्स्यायन के नामकरण पर मतभेद है उसी प्रकार उनके स्थितिकाल में भी अनेक मतवाद और प्रवाद प्रचलित हैं और कुछ विद्वानों के अनुसार उनका जीवनकाल ६०० ईसापूर्व तक पहुँचता है।
प्रवाद है कि वह चंद्रमा का एकांत प्रेमी है और रात भर उसी को एकटक देखा करता है।
प्रवाद है कि इसके फूल पर भ्रमर नहीं बैठते और शिव पर नहीं चढ़ाया जाता।