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escapisms Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


escapisms ka kya matlab hota hai


पलायनवाद

Noun:

पलायनवाद,



escapisms शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



पलायनवाद संघर्ष से श्रांत व्यक्ति को कल्पना के क्षेत्र में ले जाता है।

यहूदी पलायनवाद (Escapism) का कोशगत अर्थ है ऐसा साहित्य जो जीवनसंघर्ष से कुछ समय के लिए हमें दूर ले जा सके; जैसे जासूसी उपन्यास, संगीतात्मक सुखांत नाटक, चित्रपट आदि।

पलायनवाद का इतिहास ।

संस्कृत साहित्य में कथासरित्सागर, दशकुमारचरित, वासवदत्ता, कांदबरी जैसी कथाओं में पलायनवादी तत्व कम नहीं हैं।

पलायनवाद और यथार्थवाद ।

इस प्रकार पलायनवाद को प्रचलित अर्थ विवादास्पद है।

रीतिकालीन श्रृंगार को आचार्य शुक्ल और उनके बाद प्रगतिवादियों ने पलायनवाद का ही एक रूप माना है क्योंकि इस काव्य में जनसंवेदना का सर्वथा अभाव है।

पलायनवादी-साहित्य द्वारा जीवन का अनुसंधान भी होता है क्योंकि ऐसे साहित्य द्वारा हम जीवन की नीरस पुनरावृत्ति से कुछ क्षणों के लिए हटकर पुन: अधिक उत्साह से जीवनसंघर्ष में भाग ले सकते हैं।

इस प्रकार पलायनवाद को प्रचलित अर्थ विवादास्पद है।

साहित्य में पलायनवाद

किंतु यह अर्थ समझाने के पश्चात् शिपले न अपने अंगरेजी साहित्य कोश में यह भी लिखा है कि पलायनवादी साहित्य में जीवन से पलायन ही हो यह अनिवार्य नहीं है।

पलायनवाद और यथार्थवाद ।

पलायनवाद संघर्ष से श्रांत व्यक्ति को कल्पना के क्षेत्र में ले जाता है।

भक्तिकाल में जहाँ वैकुंठ की कल्पना है, राधाकृष्ण के अनवरत विलास का निरंतर ध्यान है, वह यथार्थवादी पंरपरा में न आ सकने के कारण पलायनवाद कहा जाएगा, यद्यपि राधाकृष्णवाद को मनोवैज्ञानिक दृष्टि से वासना का उदात्तीकरण भी कहा गया है।

यहूदी पलायनवाद (Escapism) का कोशगत अर्थ है ऐसा साहित्य जो जीवनसंघर्ष से कुछ समय के लिए हमें दूर ले जा सके; जैसे जासूसी उपन्यास, संगीतात्मक सुखांत नाटक, चित्रपट आदि।

रीतिकालीन श्रृंगार को आचार्य शुक्ल और उनके बाद प्रगतिवादियों ने पलायनवाद का ही एक रूप माना है क्योंकि इस काव्य में जनसंवेदना का सर्वथा अभाव है।

साहित्य में पलायनवाद

प्रसाद की यह पंक्ति पलायनवाद की स्तरीय पंक्ति मानी जाती है - "ले चल मुझे भुलावा देकर मेरे नाविक धीरे धीरे"।

संस्कृत साहित्य में कथासरित्सागर, दशकुमारचरित, वासवदत्ता, कांदबरी जैसी कथाओं में पलायनवादी तत्व कम नहीं हैं।

पलायनवादी-साहित्य द्वारा जीवन का अनुसंधान भी होता है क्योंकि ऐसे साहित्य द्वारा हम जीवन की नीरस पुनरावृत्ति से कुछ क्षणों के लिए हटकर पुन: अधिक उत्साह से जीवनसंघर्ष में भाग ले सकते हैं।

पलायनवाद का इतिहास ।

प्रसाद की यह पंक्ति पलायनवाद की स्तरीय पंक्ति मानी जाती है - "ले चल मुझे भुलावा देकर मेरे नाविक धीरे धीरे"।

पलायनवाद साहित्य में विशेषत: यथार्थवाद का विरोधी माना जाने लगा है।

किंतु यह अर्थ समझाने के पश्चात् शिपले न अपने अंगरेजी साहित्य कोश में यह भी लिखा है कि पलायनवादी साहित्य में जीवन से पलायन ही हो यह अनिवार्य नहीं है।

काव्य में "कविपरंपराओं" और बाद में "कामशास्त्र" के प्रभाव के कारण जो नायक-नायिका-तत्व-वादी साहित्य लिखा गया, उसे भी एक सीमा तक पलायनवादी कहा जा सकता है, यद्यपि यथार्थ का सर्वथा अभाव उसमें कहीं नहीं है।

काव्य में "कविपरंपराओं" और बाद में "कामशास्त्र" के प्रभाव के कारण जो नायक-नायिका-तत्व-वादी साहित्य लिखा गया, उसे भी एक सीमा तक पलायनवादी कहा जा सकता है, यद्यपि यथार्थ का सर्वथा अभाव उसमें कहीं नहीं है।

भक्तिकाल में जहाँ वैकुंठ की कल्पना है, राधाकृष्ण के अनवरत विलास का निरंतर ध्यान है, वह यथार्थवादी पंरपरा में न आ सकने के कारण पलायनवाद कहा जाएगा, यद्यपि राधाकृष्णवाद को मनोवैज्ञानिक दृष्टि से वासना का उदात्तीकरण भी कहा गया है।

Synonyms:

recreation, escape, diversion,



Antonyms:

inactivity, lend oneself, arrive, confront,



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