erodible Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
erodible ka kya matlab hota hai
क्षीण
Adjective:
भक्ष्य, भोज्य, खाने योग्य, खाद्य,
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erodible शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
चटनी-सौंठ-कढ़ी लेह्य दाल-भात भोज्य, लड्डू-पेड़ा, बरफी भक्ष्य और चना-परवल, मूंगफली चर्व्य हैं।
प्रकाश-संश्लेषण में पौधों द्वारा प्रति वर्ष लगभग १00 टेरावाट की सौर्य ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा के रूप में भोज्य पदार्थ के अणुओं में बाँध दिया जाता है।
सुश्रुत ने भोजन के छ: प्रकार गिनाए हैं: चूष्म, पेय, लेह्य, भोज्य, भक्ष्य और चर्व्यपाचन की दृष्टि से चूष्य पदार्थ सबसे अधिक सुपाच्य बताए गए हैं।
मल-मूत्र, रक्त, माँस, कुछ भी वे रुचिपूवर्क खा सकते हैं, वरन् मेवा, फल दूध, घी जैसे सात्त्विक पदार्थों की उपेक्षा करते हुए ये उन अभक्ष्यों में ही अधिक रुचि एवं तृप्ति का अनुभव करते हैं।
खिचड़ी, जोकि चावल तथा दालों से साथ कुछ मसालों को मिलाकर पकाया जाता है, भी भोज्य व्यंजनों में काफी लोकप्रिय है।
आहार- खाद्य-पदार्थ, भोज्यपदार्थ, भोजन, भक्ष्य-पदार्थ।
आहार- खाद्य-पदार्थ, भोज्यपदार्थ, भोजन, भक्ष्य-पदार्थ।
सूती वस्त्र भोज्य पदार्थ, यंत्र मोटर गाड़ियाँ एवं खनिजश् तेल मुख्य आयात हैं।
जिन जीवों को शूकर की योनि के अभ्यास बने हुए हैं, वे अभक्ष्य खाने में कोई संकोच नहीं करते।
यहाँ के उद्योगों में धातु, वस्त्र और भोज्य सामग्री का निर्माण, खनन, रसायन और सिलाई उद्योग मुख्य हैं।
चीन और इटली में इसका भोज्य पदार्थ के रूप में प्रयोग होता है।
भोज्य पदार्थ का जमाव, क्यों कि प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में बना भोजन यदि स्थानीय कोशिकाओं में एकत्रित होता रहे तो प्रकाश-संश्लेषण की दर धीमी हो जाती है।
(५) भक्ष्याभक्ष्य, शौच, अशुद्धि, स्त्रीधर्म।
योगसूत्र और योगशास्त्र में अत्यंत सात्विक आहार की उपादेयता बतलाकर अभक्ष्य भक्षणका निषेध किया गया है।
सुश्रुत ने भोजन के छ: प्रकार गिनाए हैं: चूष्म, पेय, लेह्य, भोज्य, भक्ष्य और चर्व्यपाचन की दृष्टि से चूष्य पदार्थ सबसे अधिक सुपाच्य बताए गए हैं।
इन उद्योगों में वस्त्र, रसायनक और भोज्य पदार्थ मुख्य हैं।
आंखों की रोशनी का अपने प्रकार से हरण करने के बाद भक्ष्य और अभक्ष्य का भोजन करवाता है, ऊंचे और नीचे स्थानों पर गिराता है, चोट देता है।
भावना करें कि अभक्ष्य के कुसंस्कारों से बचने, सत्पदार्थों से।
सरसों के बीज से तेल निकाला जाता है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थ बनाने और शरीर में लगाने में किया जाता है।
योगसूत्र और योगशास्त्र में अत्यन्त सात्विक आहार की उपादेयता बतलाकर अभक्ष्य भक्षण का निषेध किया गया है।
चटनी-सौंठ-कढ़ी लेह्य दाल-भात भोज्य, लड्डू-पेड़ा, बरफी भक्ष्य और चना-परवल, मूंगफली चर्व्य हैं।
केले के फल, घी, दूध, गेहूँ का चूर्ण अथवा गेहूँ के चूर्ण के अभाव में साठी चावल का चूर्ण, शक्कर या गुड़ - यह सब भक्ष्य सामग्री सवाया मात्रा में एकत्र कर निवेदित करनी चाहिए।
भावना करें कि अभक्ष्य के कुसंस्कारों से बचने, सत्पदार्थों से सुसंस्कार अजिर्त करते रहने का उत्तरदायित्व स्वीकार रहे हैं।