eonism Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
eonism ka kya matlab hota hai
ईोनिज़्म
Noun:
वेदांत,
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eonism शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
शंकराचार्य के वेदांत की भाँति भगवन्माय: का विवर्त, अर्थात् असत् कार्य अथवा मिथ्या विलास नहीं है।
जो ईश्वर यानी शिव जी तथा वेदोक्त बातों जैसे न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदांत पर विश्वास करता है, उसे आस्तिक माना जाता है; जो नहीं करता वह नास्तिक है।
इसीलिए लौकायतिक आदि जड़वादी दर्शनों की भाँति सांख्य न केवल जड़ पदार्थ ही मानता है और न अनेक वेदांत संप्रदायों की भाँति वह केवल चिन्मात्र ब्रह्म या आत्मा को ही जगत् का मूल मानता है।
उनके प्रारम्भिक विश्वासों को ब्रह्म समाज ने जो एक निराकार ईश्वर में विश्वास और मूर्ति पूजा का प्रतिवाद करता था, ने प्रभावित किया और सुव्यवस्थित, युक्तिसंगत, अद्वैतवादी अवधारणाओं , धर्मशास्त्र ,वेदांत और उपनिषदों के एक चयनात्मक और आधुनिक ढंग से अध्यन पर प्रोत्साहित किया।
कैप्टन विक्रम जब मेजर बने और उनका तबादला पटना हो गया तो सावित्री बाई के जीवन को एक नयी दिशा मिली, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में संस्कृत नाटक, वेदांत, उपनिषद और हिन्दू धर्म पर गहन अध्ययन किया।
जैन धर्म, अद्वैत वेदांत के मोनिस्ट संप्रदाय और शैव सम्रदाय के अन्तर में योग का लक्ष्य मोक्ष का रूप लेता है, जो सभी सांसारिक कष्ट एवं जन्म और मृत्यु के चक्र (संसार) से मुक्ति प्राप्त करना है, उस क्षण में परम ब्रह्मण के साथ समरूपता का एक एहसास है।
AC भक्तिवेदांत स्वामी महाराज प्रभुपाद।
জজজ
इसको पढ़ाने के लिए छः अंगों- शिक्षा, कल्प, निरुक्त, व्याकरण, छन्द और ज्योतिष के अध्ययन और उपांगों जिनमें छः शास्त्र- पूर्वमीमांसा, वैशेषिक, न्याय, योग, सांख्य, और वेदांत व दस उपनिषद्- ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, मांडुक्य, ऐतरेय, तैतिरेय, छान्दोग्य और बृहदारण्यक आते हैं।
विज्ञान भी सनातन सत्य को पकड़ने में अभी तक कामयाब नहीं हुआ है किंतु वेदांत में उल्लेखित जिस सनातन सत्य की महिमा का वर्णन किया गया है विज्ञान धीरे-धीरे उससे सहमत होता नजर आ रहा है।
बस वह सनातनधर्मी परिवार में जन्मा हो, वेदांत, मीमांसा, चार्वाक, जैन, बौद्ध, आदि किसी भी दर्शन को मानता हो बस उसके सनातनी होने के लिए पर्याप्त है।
संत मे भी ज्ञानेश्वर महाराज, तुकाराम महाराज आदि. संत पुरुषोने वेदांत के ऊपर बहुत ग्रंथ लिखे है आज भी लोग संतो के उपदेशो के अनुकरण करते है।
इस अनीश्वरवाद, प्रकृति पुरुष द्वैतवाद, (प्रकृति) परिणामवाद आदि तथाकथित वेद विरुद्ध सिद्धांतों के कारण वेदबाह्य कहकर इसका खंडन करने वाले वेदांत भाष्यकार शंकराचार्य को भी ब्रह्मसूत्र 2.1.3 के भाष्य में लिखना ही पड़ा कि "अध्यात्मविषयक अनेक स्मृतियों के होने पर भी सांख्य योग स्मृतियों के ही निराकरण में प्रयत्न किया गया।
संत-संप्रदाय वेदांत दर्शन से प्रभावित थे और निर्गुण भक्ति की साधना तथा प्रचार करते थे।