discomforted Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
discomforted ka kya matlab hota hai
बेचैनी
Noun:
व्यथा, पीड़ा, क्लेश, बेचैनी, असुविधा,
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discomforted शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
वाणी की व्यथा -(1980)।
उनकी पीड़ा, वेदना, करुणा, कृत्रिम और बनावटी है।
शब्दार्थ व्यथा का अर्थ होता है पीड़ा।
केवल प्राणों का ही वध नहीं, बल्कि दूसरों को पीड़ा पहुँचाने वाले असत्य भाषण को भी हिंसा का एक अंग बताया है।
कर्मकाण्ड हो या धर्म, दर्शन हो या न्याय, सौन्दर्यशास्र हो या भक्ति-रचना, विरह-व्यथा हो या अभिसार, राजा का कृतित्व गान हो या सामान्य जनता के लिए गया में पिण्डदान, सभी क्षेत्रों में विद्यापति अपनी कालजयी रचनाओं की बदौलत जाने जाते हैं।
उनके सम्पूर्ण गद्य साहित्य में पीड़ा या वेदना के कहीं दर्शन नहीं होते बल्कि अदम्य रचनात्मक रोष समाज में बदलाव की अदम्य आकांक्षा और विकास के प्रति सहज लगाव परिलक्षित होता है।
‘साकेत' में मुख्य रूप से उनका प्रयोजन उर्मिला की व्यथा को चित्रित करना था।
नारियों की दुरवस्था तथा दुःखियों दीनों और असहायों की पीड़ा ने उसके हृदय में करुणा के भाव भर दिये थे।
इस विरहिणी नारी के जीवन वृत्त और पीड़ा की अनुभूतियों का विशद वर्णन आख्यानकारों ने नहीं किया है।
पंचवटी में लक्ष्मण से अपमानित शूर्पणखा ने अपने भाई रावण से अपनी व्यथा सुनाई और उसके कान भरते कहा "सीता अत्यंत सुंदर है और वह तुम्हारी पत्नी बनने के सर्वथा योग्य है।
दरअसल, हॉब्स इस भौतिकवादी और आनंदवादी विचार के प्रतिपादक थे कि मनुष्य का उद्देश्य अधिकतम आनंद और कम से कम पीड़ा भोगना है।
तुलसीदास जी जब काशी के विख्यात् घाट असीघाट पर रहने लगे तो एक रात कलियुग मूर्त रूप धारण कर उनके पास आया और उन्हें पीड़ा पहुँचाने लगा।
उनकी पीड़ा, वेदना, करुणा और दुखवाद में विश्व की कल्याण कामना निहित है।
व्यथा ही कविता की जन्मदात्री है।
परिवार में रहती हुई पतिवियुक्ता नारी की पीड़ा को जिस शिद्दत के साथ गुप्तजी अनुभव करते हैं और उसे जो बानगी देते हैं, वह आधुनिक साहित्य में दुर्लभ है।
नागार्जुन की ही कविता से पद उधार लें तो कह सकते हैं-स्वागत शोक में बीज निहित हैं विश्व व्यथा के।
प्रभाकर श्रोत्रिय जैसे मनीषी का मानना है कि जो लोग उन्हें पीड़ा और निराशा की कवयित्री मानते हैं वे यह नहीं जानते कि उस पीड़ा में कितनी आग है जो जीवन के सत्य को उजागर करती है।
उदाहरण व्यथा से नीले ओठों के बंकिम खिंचाव में व्यंग्य था या उल्लास।
उन्होंने मन की पीड़ा को इतने स्नेह और शृंगार से सजाया कि दीपशिखा में वह जन-जन की पीड़ा के रूप में स्थापित हुई और उसने केवल पाठकों को ही नहीं समीक्षकों को भी गहराई तक प्रभावित किया।
रहिमन निज मन की व्यथा मन ही राखो गोय।
धर्म और लोककथाओं में, जहन्नुम (नरक) जीवन के बाद का एक ऐसा स्थान है जिसमें बुरी आत्माओं को दंडात्मक पीड़ा के अधीन किया जाता है।
व्यथा मूलतः संस्कृत का शब्द है।
व्यथा या वेदना ही कविता की जन्मदात्री है।