dilettantisms Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
dilettantisms ka kya matlab hota hai
दिलवाले
Adjective:
कला-प्रेमी,
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dilettantisms शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
मुहम्मद बिन तुग़लक़ कला-प्रेमी एवं अनुभवी सेनापति था।
1996 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे।
कला-प्रेमी रेनर ज़ेबस्त के अनुसार इस गिरजाघर जैसी कोई इमारत पूरे जगत के इतिहास में शायद नहीं मिलेगी।
हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं, (गुमनाम, 1966), हास्यगीत।
उनके कुछ यादगार गाने थे "एक चतुर नार" "पडोसन" से, "आओ ट्विस्ट करें" "भूत बंगला" से, "ये दो दिवाने दिल के" "जोहर मेहमूद इन गोवा" से, "हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं" "गुमनाम" से।
इनका जन्म उत्तर प्रदेश के हाथरस नगर में २९ अक्टूबर सन १९३२ को एक सभ्रांत कला-प्रेमी परिवार में हुआ था।
भरतपुर के शासक कुशल शासक ही नहीं थे, वरन अच्छे कला-प्रेमी एवं कला संरक्षक थे।
जैसे कि बाज़ीगर और दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे।
ख़ान की कुछ फ़िल्में जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (१९९५), कुछ कुछ होता है (१९९८), देवदास (२००२), चक दे! इंडिया (२००७), ओम शांति ओम (२००७), रब ने बना दी जोड़ी (२००८) और रा.वन (२०११) अब तक की सबसे बड़ी हिट फ़िल्मों में रही है और कभी ख़ुशी कभी ग़म (२००१), कल हो ना हो (२००३), वीर ज़ारा (२००६)।
फ़्रेंच कोर्स ख़त्म करने के बाद करण पेरिस से जन संचार में एक डिग्री प्राप्त करना चाहते थे लेकिन उनके मित्र आदित्य चोपड़ा ने उनकी फ़िल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे के लिए मदद पूछा और जौहर ने हाँ कहा।
|1995 || दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे || रॉकी || सहायक निर्देशक भी।
वे एक लोकप्रिय कला-प्रेमी भी थे।
यहाँ पर दिलवाले दुल्हनियाँ ले जाएंगे से लेकर ढाई अक्षर प्रेम के, जुदाई, हीरो जैसी फिल्में फिल्माईं गईं हैं।
|1995 || दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे || ||।
१९९६ - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार - दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे।
जब करण स्विट्सरलैंड मे दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे पर काम कर रहे थे, तब शाहरुख खान ने करण को सुझाव दिया कि वह अपनी ख़ुद की फ़िल्म का निर्देशिन करे।
भथेरण परिवार तथा उस्ता परिवार के कलाकारों के कला-प्रेमी राजा अनूपसिंह के युग में बीकानेर शैली को चर्मोत्कर्ष पर पहुंचा दिया जिसके सचित्र-ग्रंथ तथा लघुचित्र राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली, बड़ौदा संग्रहालय तथा महाराजा बीकानेर कर्णसिंह के निजी संग्रह में आज भी उपलब्ध हैं।