dhss Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
dhss ka kya matlab hota hai
डीएचएस
Noun:
पलंग, खाट, चारपाई,
Verb:
सोना,
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dhss शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
आजकल की मोहब्बत में रोज दिल तथा पलंग दोनों टूट रहे हैं।
ये वही वीर बर्बरीक हैं जिन्हें आज लोग खाटू के श्री श्याम, कलयुग के देव, श्याम सरकार, तीन बाणधारी, शीश के दानी, खाटू नरेश व अन्य अनगिनत नामों से जाने जाते हैं।
गद्दे आम तौर पर एक या दो व्यक्तियों के लिए बनाए जाते हैं और इन्हें आम तौर पर पलंग पर रखा जाता है, यद्यपि इन्हें फ़र्श जैसी किसी अन्य ठोस सतह पर भी रखा जा सकता है।
इसके अतिरिक्त हाथी दाँत की चूड़ियाँ, लाख की चूड़ियाँ तथा लाख से रंगी हुई लकड़ी के खिलौने तथा पलंग के पाये, सोने-चाँदी के ज़ेवर, ऊँट के चमड़े के बने हुए सुनहरी काम के तरह-तरह के सुन्दर कुप्पे, ऊँटो की काठियाँ, लाल मिट्टी के बर्त्तन आदि यहाँ बहुत अच्छे बनाए जाते हैं।
डीग के भवन में एक लम्बा-चौडा तख्तनुमा पलंग आज भी मौजूद है, जिस पर ठाकुर बदन सिंह, परिवार के समस्त बालकों के साथ शयन करते थे।
Image:Kanheri-beds.jpg|स्पार्टा के चबूतरे रूपी पलंग।
मेरे पलंग पे बिखरी हुई किताबों को,।
श्री खाटूश्याम जी की आरती।
खाटूश्याम, परिवारों की एक बड़ी संख्या के कुलदेवता है।
श्री खाटू श्याम जी का बाल्यकाल में नाम बर्बरीक था।
श्री कृष्ण जी बोले कलयुग में लोग तुम्हे श्याम के नाम से जानेगे | क्युकी की तुम हारने वाले के साथ हो | क्युकी बर्बरीक का शीश खाटू नगर में दफनाया गया था इसलिए उन्हें खाटूश्याम जी कहते है।
कैसे बने बर्बरीक खाटूश्याम जी ? ।
खाटू श्याम जी बाल अवस्था से बहुत बलशाली और वीर थे उन्होंने युद्ध कला अपनी माता मोरवी तथा भगवान् कृष्ण से सीखी ।
सुहासिनी के डिजाइनकर्ताओं की टीम ने पलंग की चादरों के लिए सिल्क पर भड़कीले रंगों के छापे विकसित किए।
उस दिन शाम को सू, जान्सी के पलंग के पास आकर बैठ गयी।
हिन्दू धर्म के अनुसार, खाटू श्याम जी कलियुग में श्री कृष्ण से वरदान प्राप्त किया था कि वे कलयुग में उनके नाम श्याम से पूजे जाएँगे।
रसायन शास्त्र श्री खाटू श्याम जी (Shree Khatu Shyam Jee) भारत देश के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में एक प्रसिद्ध कस्बा है, जहाँ पर बाबा श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है।
संस्कृत का संयुक्त व्यंजन और प्राकृत का द्वित्व रूप सिन्धी में समान हो गया है किन्तु उससे पहले का ह्रस्व स्वर दीर्घ नहीं होता जैसे धातु (हिन्दी, भात), ॼिभ (जिह्वा), खट (खट्वा, हिन्दी, खाट), सुठो (सुष्ठु)।
" चित्रलेखा ने द्वारिका जाकर सोते हुये अनिरुद्ध को पलंग सहित उषा के महल में पहुँचा दिया।
सुहासिनी ने जब पाया कि उसके डिजाइनकर्ताओं की टीम ने पलंग की वह चादर बनाई जो उनकी विक्रय के लिए निश्चित मूल्य से अधिक महँगी थी तब उसने लागत पर नियंत्रण के लिए चादर हेतु कपड़ा ही बदल दिया।
एक बार खाटू नगर के राजा को स्वप्न में मन्दिर निर्माण के लिए और वह शीश मन्दिर में सुशोभित करने के लिए प्रेरित किया गया।
खाटूश्याम जी पहले बर्बरीक के नाम से जाने जाते थे वे अतिबलशाली भीम के पुत्र घटोट्कच और प्रागज्योतिषपुर (वर्तमान आसाम) के राजा दैत्यराज मूर की पुत्री कामकटंककटा "मोरवी" के पुत्र थे खाटूश्याम जी ।
उनका शीश खाटू नगर (वर्तमान राजस्थान राज्य के सीकर जिला) में दफ़नाया गया इसलिए उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है।
अगर समस्त शरीर का कोई रोग हो तो उसके लिए किसी लोहे की जाली के पलंग या छिरछिरी बुनी हुई चारपाई पर रोगी को लिटाकर उसके नीचे खौलते हुए पानी के तीन बर्तन रख देने चाहिये और सबके ऊपर से एक बड़ा कम्बल इस प्रकार डाल देना चाहिये कि वह पूर्ण चारपाई को ढ़ककर जमीन को छूता रहे जिससे भाप बाहर न निकल सके।
श्री मोरवीनंदन खाटूश्याम जी ।