desagrement Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
desagrement ka kya matlab hota hai
असहमति
Noun:
विप्रतिपत्ति, वाद-विवाद, झंझट, भिन्नता, अंतर, भेद, बहस,
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desagrement शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
स्पष्ट तौर पर, राज्य, इसकी प्रकृति और भूमिका के बारे में बहुत विविध और गहन वाद-विवाद है।
महावीर का निर्वाण 72 वर्ष की अवस्था में ई. पू. 527 में हुआ और उसके पश्चात् शीघ्र ही उक्त अंगों की परंपरा में विप्रतिपत्तियाँ उत्पन्न होने लगीं।
ये पण्डित तो वाद-विवाद में ही पड़े रहते हैं।
मन की ऐसी ही विप्रतिपत्तियुक्त, द्विविधाग्रस्त, निश्चयरहित या विकल्पात्मक अवस्था को संशय कहा जाता है।
उसका प्राथमिक उत्तरदायित्व सभा में सौहार्दपूर्ण और सार्थक वाद-विवाद के लिए सभा के सभी वर्गों के बीच समन्वय बनाए रखना है।
अपनी यात्राओं के दौरान नानकदेव यहाँ रुके और नाथपन्थी योगियों के प्रमुख योगी भांगर नाथ के साथ उनका धार्मिक वाद-विवाद यहाँ पर हुआ।
मार्क्सवाद के भीतर भी राज्य के लेकर वाद-विवाद की समृद्घ परम्परा रही है।
इस वाद-विवाद को ऑस्ट्रेलिया के अन्दर इतिहास युद्धों के रूप में जाना जाता है।
अत: इन दोनों कृतियों को दण्डी रचित मानने में अधिकतर विद्वानों को कोई विप्रतिपत्ति नहीं है।
चूँकि विप्रतिपत्ति या विरोध यौक्तिक विचार को सह्य नहीं, अत: यह स्वभाव से ही उसके निराकरण की ओर अग्रसर हो जाता है तथा सत् और असत् नामक विरोधी प्रत्ययों के समन्वय का निष्पादन "भव" (becoming) नामक प्रत्यय में कर देता है।
इन्हें कॉलेज की वाद-विवाद टीम का सचिव भी बनाया गया था लेकिन स्वयं मोरारजी ने मुश्किल से ही किसी वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया होगा।
छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे।
इसी प्रकार ग्रन्थ में अनेक विरोध एवं विप्रतिपत्तियाँ विधमान हैं।
भारत की आज़ादी के समय आज़ादी और भारतीय राज्य की प्रकृति के बारे में भाकपा में गहन और रोचक वाद-विवाद हुआ।
वे किसी भी गुटबाज़ी या वाद-विवाद का हिस्सा नहीं बनते और किसी शांत कोने में आराम से अपना काम करते रहते हैं।
और सत् असत् की यह विप्रतिपत्ति ही सत् के भावी विकास का मूल हेतु बन जाती है।
उन्होंने पढ़ाई के अलावा खेलकूद, जिनमें हॉकी प्रमुख था, के अलावा वाद-विवाद में खूब नाम कमाया।
इसमें राज्य को पूँजीपति वर्गों का साधन मानने के साथ ही ‘राज्य की सापेक्षिक स्वायत्तता’ से जुड़ा वाद-विवाद भी शामिल रहा है।
उसने धार्मिक चर्चाओं व वाद-विवाद कार्यक्रमों की अनोखी शृंखला आरम्भ की थी, जिसमें मुस्लिम आलिम लोगों की जैन, सिख, हिन्दु, चार्वाक, नास्तिक, यहूदी, पुर्तगाली एवं कैथोलिक ईसाई धर्मशस्त्रियों से चर्चाएं हुआ करती थीं।