dedal Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
dedal ka kya matlab hota hai
देडल
Noun:
सलूक, सरोकार, ठान, क्रय-विक्रय, लेन-देन, संख्या, तादाद, मात्रा, परिमाण, मिक़दार, व्यवहार, समझौता, सौदा,
Verb:
विक्रय करना, बेचना, व्यापार करना, तिजारत करना, पहुंचा देना, पहुंचाना, विभाजन करना, तक़सीम करना, बांट देना, बांटना,
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dedal शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
हालांकि एक आम आदमी को एक हजार साल से बहुत अधिक पीछे के गणित के इतिहास से उतना सरोकार नहीं होना चाहिए, परंतु वैज्ञानिक, गणितज्ञ, प्रौद्योगिकीविद्, अर्थशास्त्री एवं कई अन्य विशेषज्ञ रोजमर्रा के जीवन में गणित की समुन्नत प्रणालियों का किसी न किसी रूप में एक विशाल, अकल्पनीय पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं।
पायलट ने पूछा कि वे यीशू के साथ किस प्रकार का सलूक चाहेंगे और उन लोगों ने मांग की, " उसे सूली पर लटका दो"().पायलट की पत्नी ने उसी दिन यीशू को सपने में देखा था, उसने पायलट को आगाह कर दिया कि "इस धार्मिक व्यक्ति के साथ कोई सरोकार न रखे"().।
१८०० ई. से पहले गणित का सरोकार मुख्यतः दो सामान्य समझ-बूझ की संकल्पनाओं, संख्या और आकृति से था।
औरंगजेब ने राजा संभाजी से बदसलूकी की और बुरा हाल कर के मार दिया।
फौज और सरकार इस इलज़ाम को बेबुनियाद बताते हैं, जबकि घटना पर पहुँचने वाले पहिले सरकारी अफसर और उस वक्त के कुपवाड़ा के डिपटी कमीश्नर S M यासिन अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं कि फौज ने "दरिंदो की तरह सलूक कीया था।
संभोग (या शादी) में देरी, या गर्भनिरोध करने के प्राकृतिक या कृत्रिम तरीके को अपनाना ज्यादा मामलों में व्यक्तिगत या पारिवारिक निर्णय होता है, इसका राज्य नीति या सामाजिक तौर पर होने वाले अनुमोदनों से कोई सरोकार नहीं होता है।
नौकरानी से विवाद के बाद अमेरिकी बदसलूकी का शिकार हुई देवयानी का तबादला न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में कर दिया गया।
हालाँकि, पुष्पा नंदू को अपना बेटा मानने लगती है जब उसे पता चलता है कि उसके साथ घर पर बदसलूकी की जाती है और वह अक्सर भूखा रह जाता है।
इसका निहितार्थ यह था कि उल्लेखनीय बौद्धिक या विकासात्मक विकलांगता वाले व्यक्ति भी "मानव" हैं (या "अब भी ईसाई") और उनके साथ बुनियादी मानवीय गरिमा के साथ सलूक किया जाना चाहिए।
उनका मकान मालिक उनके साथ बहुत बुरा सलूक करता है और उनके सारे पैसे लूट लेता है।
संतोष है अपना अभिप्राय स्पष्ट कर पाता हूं...(दादा कॉमरेड, संस्करण’ 59, पृ.4) अपने लेखकीय सरोकारों पर और विस्तार से टिप्पणी करते हुए बाद में उन्होंने लिखा, ‘मनुष्य के पूर्ण विकास और मुक्ति के लिए संघर्ष करना ही लेखक की सार्थकता है।
जॉन आस्टिन ने ‘विधिक प्रत्यक्षतावाद’ की स्थापना की जिसका दावा था कि कानून का सरोकार किसी उच्चतर नैतिक या धार्मिक उसूल से न हो कर किसी सम्प्रभु व्यक्ति या संस्था से होता है।
लेटो ऍट्रेइडीज़ एक निपुण शासक हैं और अपने लोगों और अर्राकिस की फ़्रॅमॅन आबादी के साथ अच्छा सलूक करते हैं, जिस से उनकी सेना उनके लिए मर-मिटने को तैयार है।
इनके परिवार का संगीत से कोई खास सरोकार नहीं था।
कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि श्रीलाल शुक्ल के साहित्य में जीवन का संघर्ष है और उनका साहित्य सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है।
गुट निरपेक्ष आंदोलन और समूह-77 के संस्थापक सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था में भारत की हैसियत, विकासशील देशों के सरोकारों और आकांक्षाओं तथा अधिकाधिक न्यायसंगत अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना के अग्रणी समर्थक के रूप में मजबूत हुई।
20 जुलाई 2007 को मेरिल लिंच द्वारा एक अन्य ईरानी कर्मचारी से बदसलूकी के मामले में एक NASD मध्यस्थता पैनल ने मेरिल लिंच को एक पूर्व ईरानी कर्मचारी फरीबोर्ज जोजाजी को पारसी जातीयता के कारण हटाने के कारण 1600000 डॉलर भुगतान करने का आदेश दिया।
समस्याओं के बौद्धिक और क्रियात्मक विचार ने ही अभियंता को उन क्षेत्रों में भी प्रवेश करने योग्य बनाया है जो आरंभ से ही वैज्ञानिक, डाक्टर, अर्थशास्त्री, प्रबंधक, मानवीय-शास्त्र-वेत्ता इत्यादि से सरोकार रखते समझे जाते हैं।
सामाजिक विसंगतियो के प्रति गहरा सरोकार रखने वाला ही लेखक सच्चा व्यंगकार हो सकता है।
दुधवा वन विश्राम भवन का आरक्षण मुख्य वन संरक्षक-वन्य-जीव- लखनऊ से होता है, थारूहट दुधवा, वन विश्राम भवन बनकटी, किशनपुर, सोनारीपुर, बेलरायां, सलूकापुर का आरक्षण स्थानीय मुख्यालय से होगा।
16 दिसम्बर 2013 को अपनी सह-प्रतिभागी, सोफिया हयात के साथ मारपीट और बदसलूकी करने के आरोप में पुलिस ने इन्हें बिग बॉस के घर से गिरफ्तार कर लिया था।
"लेकिन मैं तुम्हें कहता हूं, अपने दुश्मनों से प्यार करो, जो तुम्हें शाप देते हैं, उन्हें आशीर्वाद दो, उनका भला करो, जो तुमसे नफरत करते हैं और उनके लिए प्रार्थना करो, जो तुमसे द्वेषपूर्ण सलूक करते हैं और उत्पीड़न करते हैं।
दूसरे विचार के अनुसार अमूर्तीकरण की प्रक्रिया को और आगे बढ़ाकर, गणित को केवल तर्कयुक्त विधान माना जाने लगा, जिसका किसी वस्तुविशेष से कोई सरोकार न था।
परिणामस्वरूप अल्पसंख्यक और हाशियाग्रस्त समूहों के मूल्य और सरोकार नज़रअंदाज़ किये जाते रहते हैं।
अपनी पत्रकारिता और लेखन-कर्म को जब यशपाल ‘बुलेट की जगह बुलेटिन’ के रूप में परिभाषित करते हैं तो एक तरह से वे अपने रचनात्मक सरोकारों पर ही टिप्पणी कर रहे होते हैं।