declaratively Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
declaratively ka kya matlab hota hai
घोषणात्मक रूप से
Adjective:
वर्णनात्मक, भावात्मक, प्रकाशक, कथात्मक,
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declaratively शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
स्पष्ट है कि शब्द के वस्तुनिष्ठ अर्थ और उसके भावात्मक संदर्भ को पूर्णतया विभक्त करना संभव है।
इधर पश्चिमी देशों - विशेषकर अमरीका में वर्णनात्मक भाषाविज्ञान का आशातीत विकास हुआ है।
इस प्रकार वे चेष्टाएँ भाषा के प्रतीक बन जाती हैं किन्तु मानव भावों को प्रकट करने का सबसे उपयुक्त साधन वह वर्णनात्मक भाषा है जिसे ‘व्यक्त वाक्’ की संज्ञा प्रदान की गई है।
पाणिनि से पूर्ण प्रभावित होकर ब्लूमफील्ड (अमरीका) ने सन् १९३२ ई. में 'लैंग्वेज' नामक अपना ग्रन्थ प्रकाशित करवाकर वर्णनात्मक भाषाविज्ञान के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।
सामाजिक जीवन में शब्द वस्तुनिष्ठ जगत् के शुष्क प्रतीक मात्र नहीं रह जाते बल्कि उनके साथ जीवन के अनुभव से उत्पन्न सरल से जटिल होते हुए भावात्मक संदर्भ जुड़ जाते हैं।
जयशंकर प्रसाद ने 'उर्वशी' एवं 'बभ्रुवाहन' चम्पू तथा अपूर्ण 'अग्निमित्र' को छोड़कर आठ ऐतिहासिक, तीन पौराणिक और दो भावात्मक, कुल तेरह नाटकों की सर्जना की।
दूसरे शबदो में इसका तात्पर्य यह है कि आधुनिक उत्कृष्ट कोशों में जहां एक ओर प्राचीन और पूर्ववर्ती वाङ्मय का शब्दप्रयोग के क्रमिक ज्ञान के लिये ऐतिहासिक अध्ययन होता है वहां भाषाविज्ञान के ऐतिहासिक, तुलनात्मक और वर्णनात्मक दुष्टिपक्षों का प्रौढ़ सहयोग और विनियोग अपेक्षित रहता है।
(१) वर्णनात्मक (descriptive)।
अपनी रागात्मक अनुभूति और कल्पना के कवि वर्ण्यवस्तु को भावात्मक बना देता है।
उनकी कविताओं में जहां तीखा क्षोभ है, वहीं मार्मिकता भी है, संवेदनशील बुनावट है तो भावात्मक कसावट भी है।
शुक्ल जी के मनोवैज्ञानिक निबंध भावात्मक शैली में लिखे गए हैं।
भावात्मकता एवं अनुभूति की गहनता उनके काव्य की सर्वाधिक प्रमुख विशेषता है।
२. भावात्मक शैली - भक्ति के पदों में,।
पाणिनि न केवल भारत के, अपितु संसार के सबसे बड़े भाषाविज्ञानी हैं, जिन्होंने वर्णनात्मक रूप में भाषा का विशद एवं व्यापक अध्ययन किया।
जिस विज्ञान के अन्तर्गत वर्णनात्मक, ऐतिहासिक और तुलनात्मक अध्ययन के सहारे भाषा की उत्पत्ति, गठन, प्रकृति एवं विकास आदि की सम्यक् व्याख्या करते हुए, इन सभी के विषय में सिद्धान्तों का निर्धारण हो, उसे भाषा विज्ञान कहते हैं।
गद्य शब्दों के भावात्मक संदर्भों के स्थान पर उनके वस्तुनिष्ठ प्रतीकात्मक अर्थ को ग्रहण करता है।
सन् 1930 के बाद जहाँ वर्णनात्मक भाषा-विज्ञान को पुनः महत्त्व प्राप्त हुआ, वहाँ तब से लेकर आज तक द्रुत गति में विकास हुआ है।
विवेचनात्मक, जिसमें विज्ञान, सौंदर्यशास्र, आलोचना, दर्शन, धर्म और नीतिशास्र, विधि, राजनीति इत्यादि आते हैं, एवं भावात्मक, जिसमें ऊपर के अनेक विषयों के अतिरिक्त आत्मपरक निबंध और नाटक आते हैं।
प्रारंभिक विद्वान वर्णनात्मक भूगोलवेत्ता थे।
कन्नड़ भगवती शैली आधुनिक कविगणों के भावात्मक रस से प्रेरित प्रसिद्ध संगीत शैली है।
भूगोल में प्रादेशिक उपागम का उद्भव भी भूगोल की वर्णनात्मक प्रकृति पर बल देता है।
यह पिछले ज्ञान, रीति-रिवाजों और लोगों के समूह के कला के अभिलेखों और वर्णनात्मक विवरणों की जांच करता है।
महाभाष्य के रचयिता पतंजलि के अनुसार ‘व्यक्त वाक्’ का अर्थ भाषा के वर्णनात्मक होने से ही है।
कविता शब्दों के शुद्ध प्रतीकात्मक अर्थ की उपेक्षा नहीं कर सकती, लेकिन उसका मुख्य उद्देश्य शब्दों के भावात्मक संदर्भों को अर्थपूर्ण संगठन है।