deave Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
deave ka kya matlab hota hai
डेव
Noun:
प्रस्थान, विदाई, अवकाश अवधि, आज्ञा, विदा, छोड़ना, अवकाश, छुट्टी,
Verb:
प्रस्थान करना, विदा होना, त्यागना, छोड़कर मरना, चले जाना, रहने देना, छोड़ना,
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deave शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
वानरों की विदाई दी गई।
मां को उन्होंने भीगी आंखों से मौन विदाई दी।
भगवद्गीता तथा ब्रह्मसूत्र, उपनिषदों के साथ मिलकर वेदान्त की 'प्रस्थानत्रयी' कहलाते हैं।
पूर्वी चम्पारण ज़िले के नगर प्रस्थानत्रयी लिए प्रस्थानत्रयी देखें।
वहाँ से फिर राम ने आगे प्रस्थान किया और शरभंग मुनि से भेंट की।
इस क्रिया को आत्मा की अविलम्ब विदाई के रूप में मानते थे, क्योंकि कुछ संस्कृतियों में शवों में आत्माओं का कुछ अधिक समय तक उपस्थित रहना माना जाता था।
अभ्यागतों की विदाई दी गई।
हनुमान ने लंका की ओर प्रस्थान किया।
शिलांग मानसून की अनियमितता रहती है, मानसून जून में आता है और अगस्त के अंत तक लगभग बारिश होती है, किन्तु इसका आगमन और प्रस्थान अनिश्चित ही रहता है।
[५ero] [५]] माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2007, एक ही समय में जारी किया गया, जिसमें एक "रिबन" यूजर इंटरफेस था, जो अपने पूर्ववर्तियों से एक महत्वपूर्ण प्रस्थान था।
5,500 ईसा पूर्व महाभारत काल मेंं जब कुन्ती पुत्र पाँचों पाण्डव स्वर्गलोक की ओर प्रस्थान कर रहे थे तभी पाण्डुपुत्र भीम ने भगवान महादेव को दर्शन देने हेतु विनती की।
नायक की विदाई : चरित्र अभिनय ।
एक भावनात्मक धनराज अपने बेटे राज (आमिर खान) की कॉलेज विदाई पार्टी में घुस जाता है और देखता है कि उसका बेटा अपने सपनों को पूरा कर रहा है।
विभीषण को लंका का राज्य सौंप कर राम, सीता और लक्ष्मण के साथ पुष्पकविमान पर चढ़ कर अयोध्या के लिये प्रस्थान किया।
इन पुस्तकों में तीन महत्वपूर्ण पुस्तक शामिल हैं उपनिषद, भगवद गीता और ब्रह्मसूत्र, जिन्हें प्रस्थानत्रयी कहते हैं।
रात्रि-विश्राम के उपरांत यात्री पांचवें दिन अंतिम पड़ाव के लिए प्रस्थान करते हैं।
विदाई के समय मृदंग, ढोल, नगाड़े, घण्ट, शंख, झालर आदि बजने लगे।
प्रभु अपने संपूर्ण शरीर के साथ गोलोक प्रस्थान किये।
स्त्रियां देवी के माथे पर सिंदूर चढ़ाती हैं, व देवी को अश्रुपूरित विदाई देती हैं।
यदुकुल का संहार और पाण्डवों का महाप्रस्थान ।
विजय बहुत हद तक अनचाहे हो गई, 632 में विदाई तीर्थयात्रा से लौटने के कुछ महीने बाद, वह बीमार पड़ गए और वह इस दुनिया से विदा हो गए।
तदनन्तर द्वारका से लौटे हुए अर्जुन के मुख से यादवों के संहार का समाचार सुनकर युधिष्ठिर ने संसार की अनित्यता का विचार करके परीक्षित को राजासन पर बिठाया और द्रौपदी तथा भाइयों को साथ ले हिमालय की तरफ महाप्रस्थान के पथ पर अग्रसर हुए।