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costive Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


costive ka kya matlab hota hai


महंगा

Adjective:

कंजूस, कृपण, मलबध्द, बध्दकोष्ठ,



costive शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



ये प्रवृत्ति से ही अपने ज्ञान को दूसरों को बाँटने के मामले में कंजूस हैं और इस बात का अधिक से अधिक ख्याल रखते हैं कि कहीं और कोई जात के किसी आदमी, विशेषकर किसी विदेशी को उनका ज्ञान नहीं मिल जाए।

यद्यपि कायस्थ वर्ग ही विशेषतया उनके काव्यों में, व्यंग्य-बाण का लक्ष्य बना है तथापि दुर्जन, वेश्या, वैद्य, छात्र, कदर्य (कंजूस) ज्योतिषी, कुट्टनी तथा संन्यासी इत्यादि पर भी तीखे व्यंग्य देखने को मिलते हैं।

दूसरे प्रकार की विशिष्टताएँ ये हैं कि वह कृपणता दिखाए, ईश्वर की प्रसन्नता की चिन्ता से बेपरवाह हो जाए और भली बात को झुठला दे।

अर्जुन को उस कृपण स्थिति में रोते देखकर कृष्ण ने उनका ध्यान दिलाया है कि इस प्रकार का क्लैव्य और हृदय की क्षुद्र दुर्बलता अर्जुन जैसे वीर के लिए उचित नहीं।

"महावंशटीका" से ज्ञात होता है कि अंतिम नंद कठोर शासक तथा लोभी और कृपण स्वभाव का व्यक्ति था।

33|19|तुम्हारे साथ कृपणता से काम लेते है।

आरम्भिक आर्थिक संकटों ने उन्हें कृपण प्रकृति (कंजूस) की अपेक्षा 'दयासागर' ही बनाया।

जिस पर यह अनुग्रह उतरता है, वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, असंतुष्ट एवं पिछड़ेपन से ग्रसित नहीं रहता।

जब अल्लाह की राह में देने की बात आती है तो हमें कंजूसी नहीं करना चाहिए।

उचित कार्यों में कंजूसी न की।

कार्टून फ्लिनट हार्ट ग्लोमगोल्ड- ये स्काटिश मूल का अमेरिकी अरब पति है जो बहुत ज्यादा कंजूस है पैसा कमाना कोई इस पात्र से सीखेँ इसका लक्ष्य किसी भी तरह स्क्रूज मैकडक को बरबाद करना है यह उसका नंबर एक का औध्योगिक तथा अमीरी मे प्रतिदव्न्दी है उसे गरीब करने हेतु किसी भी सीमा तक जा सकता है।

प्रत्यङ्गहीनान्विकलेन्द्रियांश्च जीर्णातुरादीन् कृपणांश्च दिक्षु।

सामान्यतः धन पाकर लोग कृपण, विलासी, अपव्ययी और अहंकारी हो जाते हैं।

जहाँ हास्य के कारण अर्थ का अनर्थ होने की संभावना हो अथवा अत्यंत करुण प्रसंग हो तो हास्य से बचूँगा अन्यथा मैं प्रसंग गत हास्य का उतना ही स्वागत करता हूँ जितना कि कृपण या कोई भी अनायास आए हुए धन का।

ये स्काटिश मूल का अमेरिकी अरबपति है जो बहुत ज्यादा कंजूस है।

रचनाकारों ने कंजूसी आदि की वृत्तियों पर अच्छे व्यंग्य किए हैं, परंतु अभी इस दिशा में अनेक विषय अछूते ही छूट गए हैं।

इसलिए मुसलमानों से कहा गया कि इस समय जो व्यक्ति भी कंजूसी से काम लेगा वह वास्तव कुछ न बिगाड़ेगा, बल्कि स्वयं अपने आप ही को तबाही के ख़तरे में डाल देगा ।

क्षेत्र अभी भी परिवहन सुविधाओ के मामले में कृपण ही है।

प्रकृति या स्वभाव का बेतुकापन है उजड्डपन, बेवकूफी, पाखंड, झेंप, खुशामद, अमर्यादित फैशनपरस्ती, कंजूसी, दिखावा पंडितमन्यता, अतिहास्यपात्रता, अनधिकारपूर्ण अहंमन्यता, आदि।

गणिकाओं के धन लूटने की तरीकों, अज्ञानी वैद्यों द्वारा झूठी औषधि प्रदान, अल्पज्ञ ज्योतिषियों, प्रभुजनों द्वारा दासों पर किये जाने वाले अत्याचार, दुर्जन एवं कदर्य (कंजूस) का चरित्र-चित्रण, सरकारी कर्मचारियों के दोषों आदि के उद्घाटन का संदर्भ क्षेमेन्द्र की अनेक रचनाओं का मुख्य प्रतिपाद्य विषय है।

आरम्भिक आर्थिक संकटों ने उन्हें कृपण प्रकृति (कंजूस) की अपेक्षा 'दयासागर' ही बनाया।

आम नकारात्मक लक्षणों में नीरस या कुंठित करने वाले प्रभाव और मनोभाव, भाषा में कृपणता (वाक् रोध), आनंद की अनुभूति करने की अक्षमता (विषय सुख का लोप), संबंध स्थापित करने की इच्छा का अभाव (असामाजिकता) और प्रेरणा की कमी (इच्छा शक्ति की कमी) शामिल हैं।

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