copia Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
copia ka kya matlab hota hai
प्रतिलिपि
Noun:
गरी, नारियल, खोपरा,
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copia शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
हिन्दी को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है।
देवनागरी लिपि में ये सबसे करीबी देवनागरी वर्ण के नीचे बिन्दु (नुक़्ता) लगाकर लिखे जाते हैं।
(1) मानक हिन्दी - हिन्दी का मानकीकृत रूप, जिसकी लिपि देवनागरी है।
तमिल नाडु केलों और फूलों का सबसे बड़ा, आम, रबड़, मूंगफली, नारियल का दूसरा सबसे बड़ा और कॉफ़ी का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से हिन्दी और देवनागरी के मानकीकरण की दिशा में निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रयास हुये हैं :-।
वैज्ञानिक ढंग से देवनागरी लिखने के लिये एकरूपता के प्रयास।
देवनागरी लिपि में हिन्दी की ध्वनियाँ इस प्रकार हैं :।
देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है।
पुर्तगालियों ने 1498 की शुरुआत में द्वीपसमूह पर नियन्त्रण कर लिया था, और इसका मुख्य उद्देश्य नारियल की जटा से बने माल के दोहन था, 1545 में पुर्तगालियों को द्वीप से भगा दिया गया।
इसके अलावा यहां का तड़का, डालमा, पीठा तथा नारियल के तेल में बने पूड़ी जरुर खाएं।
माधवपुर तट नारियल के पेड़ से घिरे हुए सुंदर रेतीले तट है।
लोगों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना और नारियल की खेती है, साथ ही टूना मछली का निर्यात भी किया जाता है।
(4) उर्दू - हिन्दी का वह रूप जो देवनागरी लिपि के बजाय फ़ारसी-अरबी लिपि में लिखा जाता है।
शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा देवनागरी का मानकीकरण।
विश्व की प्रमुख भाषाएं देवनागरी एक भारतीय लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएँ लिखी जाती हैं।
इसे नागरी के नाम से भी जाना जाता है।
अपनी विशिष्ट सुगंध और स्वाद करी पत्ते, सरसों के बीज, धनिया, अदरक, लहसुन, मिर्च, काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, हरी इलायची, जीरा, जायफल, नारियल और गुलाब जल हर एक पकवान को सुगंधित और स्वादिष्ट बनाते है।
देवनागरी में 11 स्वर और 33 व्यंजन हैं।
नारियल, इमली, हरी मिर्च का प्रयोग होता है।
हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और शब्दावली के स्तर पर अधिकांशतः संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करती है।
द्वारों पर अलंकृत घड़ों का रखना, उसमें जल व नारियल रखना, वन्दनवार बांधना आदि को आज के आधुनिक युग में भी इसे आदरभाव, श्रद्धा और उपासना की दृष्टि से देखा जाता है।
संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, हरियाणवी, बुंदेली भाषा, डोगरी, खस, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली भाषाएँ), तमांग भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, नागपुरी, मैथिली, संताली, राजस्थानी भाषा, बघेली आदि भाषाएँ और स्थानीय बोलियाँ भी देवनागरी में लिखी जाती हैं।
समुद्र की रेत से तपता यह क्षेत्र अत्यंत गरम जलवायु लिए हुए है जो केले, नारियल और पाम के पेड़ों से खूबसूरत लगता है।
इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएँ भी देवनागरी में लिखी जाती हैं।
साथ ही केरल शैली की नारियल जटाएं और लकड़ी की हैंडीक्राफ्ट भी खरीदी जा सकती हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण फ़सलें तिलहन, दलहन, जूट, गन्ना और नारियल है।
यहाँ मुख्य निर्यात मूँगफली और इसका तेल, तम्बाकू, प्याज, कहवा, अबरख, मैंगनीज, चाय, मसाला, तेलहन, चमड़ा, नारियल इत्यादि हैं तथा आयात में कोयला, पेट्रोलियम, धातु, मशीनरी, लकड़ी, कागज, मोटर-साइकिल, रसायन, चावल और खाद्यान्न, लम्बे रेशे वाली कपास, रासायनिक पदार्थ, प्रमुख हैं।