convictism Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
convictism ka kya matlab hota hai
दोषवाद
Noun:
प्रतीति, आस्था, धारणा, दोषसिद्धि,
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convictism शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
/मानि प्रतीति सदा तुलसी, जगु काहे न सेवत देव धुनी को॥ (कवितावली-उत्तरकाण्ड १४६)।
प्रदेश के कई शहर अपनी धार्मिक आस्था के केंद्र के लिए जाने जाते रहे हैं।
इसके अनुसार यह भी प्रतीति होती है कि उन्हें बाएँ कान से भी उन्हें कम सुनाई पड़ता था।
कुछ प्रमुख सूक्त जिनमें आख्यान की प्रतीति होती है इस प्रकार हैं- श्वावाश्र सूक्त (5-61), मण्डूक सूक्त (7-103), इन्द्रवृत्र सूक्त (1-80, 2-12), विष्णु का त्रिविक्रम (1-154); सोम सूर्या विवाह (10-85)।
भेल स्थित श्रीराम मन्दिर, बरखेड़ा एक प्रसिद्ध आस्था का केन्द्र है।
भट्टनायक (10वीं शती ई.) ने सत्वोद्रैक के कारण ममत्व-परत्व-हीन दशा, अभिनवगुप्त (11वीं शती ई.) ने निर्विघ्न प्रतीति तथा आनंदवर्धन (9 श. उत्तर) ने करुण में माधुर्य तथा आर्द्रता की अवस्थित बताते हुए शृंगार, विप्रलंभ तथा करुण को उत्तरोत्तर प्रकर्षमय बताकर सभी रसों की आनंदस्वरूपता की ओर ही संकेत किया है।
भोपाल के अरेरा पहाड़ी पर पाँच दशक पूर्व स्थापित बिड़ला मन्दिर वर्षों से धार्मिक आस्था का केन्द्र रहा है।
विभिन्न कारणों से हुए भारी धर्मान्तरण के बाद भी विश्व के इस क्षेत्र की बहुसंख्यक आबादी इसी धर्म में आस्था रखती है।
परिणामस्वरूप उनके द्वारा रचित पुस्तकें भी एक अध्ययन-पुष्ट व्यक्ति की रचना होने की सहज प्रतीति कराती हैं।
यह नैयायिकों का मत है, जिससे वाक्य की वाक्यार्थ में पृथक् शक्ति की प्रतीति होती है, किंतु कुमारिल भट्ट ने अभिहितान्वय का समर्थन किया है।
कविता से कम विकसित अवस्था में भी गद्य की विशष्ट शक्ति को पहचानकर अरस्तु ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ रेटॉरिक में उसे प्रतीति परसुएशन, दूसरों को अपने विचारों से प्रभावित करने की भाषा कहा था, जिसके मुख्य तत्त्व हैं-विचारों का तर्कसंगत क्रम, वर्णन की सजीवता, कल्पना, चित्रयोजना, सहजता, लय, व्यक्तिवैचित्र्य, उक्ति-सौंदर्य, ओज, संयम।
उसी की विभावादि संयोग से परिपूर्ण होनेवाली निर्विघ्न-प्रतीति-ग्राह्य अवस्था रस कहलाती है।
यह आस्था और अनास्था का विचित्र संगम था।
शहर में विश्व प्रसिद्ध दरगाह आला हजरत स्थापित है,जो सुन्नी बरेलवी मुसलमानों की आस्था का प्रमुख केंद्र है।
इसके अलावा अलवर में नैहड़ा की छतरी जिसमें मुख्यतः अजबगढ प्रतापगढ व थानागाजी के ऐतिहासिक खण्डर व किले महल शामिल है, ऐतिहासिक नगर भानगढ, पवित्र पूजनिय धाम नारायणी माता व रिषी पाराशर महाराज का मंदिर है जो एक आस्था के साथ प्रकृति के सोन्द्रय लिय क्षेत्रीय लोगों के दिलों में बसा हुआ है।
जैसे की घट आदी की प्रतीति प्रदीप से होती है; किन्तु प्रज्वलित प्रदीप की प्रतीति के लिए दूसरे प्रदीप की अपेक्षा नहीं होती।
ठाकुर अनुकूलचंद्र के अनुयायियों के लिए यह स्थान धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
यहाँ हर छह वर्षों में अर्द्धकुम्भ और हर बारह वर्षों पर कुम्भ मेले का आयोजन होता है जिसमें विश्व के विभिन्न कोनों से करोड़ों श्रद्धालु पतितपावनी गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं।
आज भी यह मन्दिर जन आस्था का मुख्य केन्द्र बिन्दु है।
नगर के दक्षिणी भाग में स्तूपनुमा अवशेष पर बना रामचौरा मंदिर हिन्दू आस्था का महत्त्वपूर्ण केन्द्र है।
यह शहर दुनिया में सबसे संपन्न (किसी भी धार्मिक आस्था का) तीर्थ-स्थान है।
मिथ्या प्रतीति तथा भ्रम ।
इन पदों में सूर का वर्णन वात्सल्य रस की प्रतीति भक्तिरस के रूप में व्यक्त हुई है.।
वर्तमान प्रतीति से पूर्व का अभाव स्वीकृत है, इसके पीछेश् आने वाले अनुभव का भाव अभी हुआ नहीं; जो आदि और अंत में नहीं है, वह वर्तमान में भी वैसा ही है "जिस प्रकार स्वप्न और माया देखे जाते हैं, जैसे गंधर्वनगर दिखता है, उसी तरह पंडितों ने वेदांत में इस जगत् को देखा है।
वस्तुतः प्रसाद जी ने हिन्दी कहानी को अपने विशिष्ट योगदान के रूप में प्रेम की तीव्रता और प्रतीति के साथ कहानीपन को बनाए रखते हुए आन्तरिकता और अन्तर्मुखता के आयाम ही नहीं दिये बल्कि वास्तविकता के दोहरे स्वरूपों और जटिलताओं को पकड़ने, दरसाने और प्रस्तुत करने के लिए हिन्दी कहानी को सक्षम भी बनाया।