contrist Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
contrist ka kya matlab hota hai
वैषम्य
Noun:
व्यतिरेक, विषमता, विरोध,
Verb:
विषम होना, विषमता दिखाना,
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contrist शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
उक्त तीनों अनुमानों में प्रत्येक के तीन भेद माने जाते हैं- "केवलान्वयी", "केवलव्यतिरेकी" और अन्वयव्यतिरेकी।
जलवायु की विषमता के कारण यहाँ की बनस्पतियाँ भी एक सी नहीं हैं।
सांख्याचार्यों के इस प्रकृति-कारण-वाद का महान गुण यह है कि पृथक्-पृथक् धर्म वाले सत्, रजस् तथा तमस् तत्वों के आधार पर जगत् की विषमता का किया गया समाधान बड़ा बुद्धिगम्य प्रतीत होता है।
पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है।
कुछ लोग अन्यन्त विषम परिस्थिति में भी पर्याप्त सीमा तक सम और शान्त रहते हैं तथा कुछ अन्य साधारण-सी विषमता में भी अशान्त हो जाने के कारण सहसा भीषण हृदय-रोग से आहत हो जाते हैं।
इसके आगे, भाषा कब बनी, कैसे बनी ? इसका प्रारम्भिक एवं प्राचीन स्वरूप क्या था ? इसमें कब-कब, क्या-क्या परिवर्तन हुए और उन परिवर्तनों के क्या कारण हैं ? अथवा कुल मिलाकर भाषा कैसे विकसित हुई ? उस विकास के क्या कारण हैं ? कौन सी भाषा किस दूसरी भाषा से कितनी समानता या विषमता रखती है ? यह सब भाषा का विशेष ज्ञान या ‘भाषा-विज्ञान’ कहा जाएगा।
हिंदी का अन्य भारतीय भाषाओं तथा उनके साहित्यों के साथ तुलनात्मक और व्यतिरेकी अध्ययन।
दृश्यविस्मृतिपर्यन्तं कुर्याद् गुरुपदार्चनम् | तादृशस्यैव कैवल्यं न च तद्व्यतिरेकिणः || १३५||।
हिंदी भाषा और अन्य भारतीय भाषाओं का व्यतिरेकी और तुलनात्मक अध्ययन।
इसका नतीजा सामाजिक विषमता और वर्गीय प्रभुत्व को बनाये रखने में निकलता है।
अमानता- असादृश्य, असाम्य, वैषम्य, पार्थक्य, पृथकता, विभिन्नता, भिन्नत्व, भिन्नता, भेद, अन्तर, फर्क, विषमता, विभेद, असमता, असदृशता।
व्याप्ति मुख्य रूप से दो प्रकार की मानी गई है - "अन्वयव्याप्ति" और "व्यतिरेकव्याप्ति"।
शनि केवल अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देने वाले लोगो को ही प्रताडित करते है।
इस प्रकार संक्रियात्मक दृष्टि से अनुवाद को जहाँ भाषा प्रयोग की एक विधा के रूप में जाना जाता है, वहाँ सैद्धान्तिक दृष्टि से इसका सम्बन्ध भाषा पाठ तुलना तथा व्यतिरेकी विश्लेषण की तकनीकों पर आधारित भाषा सम्बन्धों के प्रश्न से (तुलनात्मक-व्यतिरेकी पाठ भाषाविज्ञान यही है) जोड़ा जाता है।
प्रजातीय संघर्ष कहीं सरकारी नीतियों से पुष्ट है तो कहीं प्रच्छन्न रूप में, जिससे विभिन्न वर्गों के बीच विषमता पायी जाती है।
यहाँ उक्त पाँचों के रूपों से संपन्न होना केवल अन्वयव्यतिरेकी सद्धेतु के लिए ही आवश्यक है।
धरातल की विषमता के कारण सड़कों का विस्तार अधिक नहीं हो सका है, केवल मैदानी भागों में कुछ सड़कों का निर्माण हुआ है।
इन दोनों अंगों के आकार में विषमता के कारण तीखे और चंचल बोल - ता, तिन, ना इत्यादि दाहिने पर बजाये जाते हैं और बायें का आकार बड़ा होने के कारण गंभीर आवाज वाले नाद धे, धिग इत्यादि बायें पर बजते हैं।
और सबसे बड़ी त्रुटि इस सिद्धान्त में यह है कि यह राजनीतिक समानता किन्तु आर्थिक विषमता पर आधारित है।
इस अन्वय व्यतिरेक से शरीर ही चैतन्य का आधार अर्थात आत्मा सिद्ध होता है।
पर दोनों प्रक्रियाओं का लक्ष्य विषमता को समाप्त कर समता स्थापन ही होता है।
यह विभाग अन्वयव्यतिरेक के आधार पर किया जाता है।