confectio Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
confectio ka kya matlab hota hai
मिठाई
Noun:
अवलेह, मिठाई,
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confectio शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
-जलेबी- भारत मिठाई घर राजापुर।
अधिक पूतिवस्तु के बन जाने पर क्रूस (+) के आकार का छेदन करके, चर्म भागों को चिमटी से उठाकर, उनके नीचे से पूतिवस्तु को काटकर निकाल दिया जाता है और मैग्नीशियम सल्फेट 45, ग्लिसरीन 55 और कार्बोलिक ऐसिड 0.5 भाग के अवलेह का लेप लगाने से व्रण स्वच्छ हो जाता है।
आसव, कांजी, अम्ल, अवलेह, आदि ने रसशास्त्र में योग दिया।
इनके शरीर का अधिकांश भाग मीसोग्लीया (mesoglea) नामक अवलेह (जेली) जैसी सामग्री का बना होता है जो एक पतली त्वचा के अन्दर बन्द होता है।
( Sensitivity to light ) आदि समस्याओं का अन्त, अब 100 प्रतिशत आयुर्वेदिक अवलेह अमृतम आई की माल्ट से करें।
मिठाई, 'कैंडी' और आतिशबाजी की ख़रीद भी इस दौरान अपने चरम सीमा पर रहती है।
अगर आप भुवनेश्वर जाएं तो इन मिठाईयों का जरुर स्वाद लें।
इसके मुरब्बे, पाक, अवलेह, ठंढाई, घृत आदि बनते हैं।
प्रथम मास में भ्रूण की अवलेह के समान आकृति होती है, दूसरे मास में यह कठोर हो जाती है, तीसरे में पाँच विशिष्ट उभार (अभिवृद्धियाँ) प्रकट हो जाती हैं तथा अंगों का मामूली विभेदीकरण होने लगता है।
हलवाईयों के वंशज, पटना के नगरीय क्षेत्र में बड़ी संख्या में बस गए इस कारण से यहां नगर में ही अच्छे पकवान तथा मिठाईयां उपलब्ध हो जाते हैं।
इनमें खाजा, मावे का लड्डू,मोतीचूर के लड्डू, काला जामुन, केसरिया पेड़ा, परवल की मिठाई, खुबी की लाई और चना मर्की एवं ठेकुआ आदि का नाम लिया जा सकता है।
बंगाली मिठाईयों से, जोकि प्रायः चाशनी में डूबे रहते हैं, भिन्न यहां के पकवान प्रायः सूखे रहते हैं।
मिठाईयों की विभिन्न किस्मों के अतिरिक्त अनरसा की गोली, खाजा, मोतीचूर लड्डू, तिलकुट यहाँ की खास पसंद है।
भारतीय मिठाई की दुकानें घी की मिठाइयों के लिए मशहूर हैं।
शायद यही कारण है कि आयुर्वेद के जनकों ने पाक, प्राश, अवलेह, आदि के रूप में हमारे लिए अनेक मधुर और बलवर्धक औषधियां तैयार की हैं।
भेषज्य निर्माण हेतु यदि किसी विज्ञ ज्योतिषी से मुहूर्त पूछकर निर्माण कार्य किया जावे तो चूर्ण, बटी, धृत, तैल, आसव, अरिष्ट, अर्क, अवलेह (इतरीफल, माजून लऊक आदि भी) रस, भस्म, रसायन, प्रतिविष एण्टीबायोटिक्स आदि के घान अत्यन्त गुणकारी निर्मित होते हैं।
यहाँ की मिठाई बालूशाही पुरे झारखण्ड में प्रसिद्ध है।
दो सदी पहले तक, यह विश्वास किया जाता रहा था कि खून रोकने में ममी एक दावा का काम करती है और चूरे के रूप में ([[मानव ममी अवलेह]] देखें) उसे औषधि की तरह बेचा जाता था।
मिठाई और सब्जियों के व्यंजन अक्सर इस समय के दौरान खाया जाता है और आतिशबाजी दिवाली से दो दिन पहले और बाद तक में जलाए जाते है।
यह प्रदेश अपनी मिठाईयों के लिये काफी प्रसिद्ध है - रसगुल्ले का आविष्कार भी यहीं हुआ था।
छप्पन भोग - रसगुल्ला, चन्द्रकला, रबड़ी, मूली, दधि, भात, दाल, चटनी, कढ़ी, साग-कढ़ी, मठरी, बड़ा, कोणिका, पूरी, खजरा, अवलेह, वाटी, सिखरिणी, मुरब्बा, मधुर, कषाय, तिक्त, कटु पदार्थ, अम्ल {खट्टा पदार्थ}, शक्करपारा, घेवर, चीला, मालपुआ, जलेबी, मेसूब, पापड़, सीरा, मोहनथाल, लौंगपूरी, खुरमा,।
यहां भारत के तीन प्रसिद्ध मिठाईयां रसगुल्ला, चेन्नापोडा (छेनापोड) तथा चेन्नागाजा (छेनागजा) मिलती हैं।