conducti Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
conducti ka kya matlab hota hai
आचरण
Noun:
वर्तन, चरित्र, आचार-व्यवहार, संचालन,
Verb:
आचरण करना, मार्ग दिखाना, नेतृत्व करना,
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conducti शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
बरह - कम्प्यूटर पर संस्कृत लिखने एवं फाण्ट परिवर्तन का औजार।
वास्तव में वेद व्यास जी ने सबसे पहले १,००,००० श्लोकों के परिमाण के 'भारत' नामक ग्रंथ की रचना की थी, इसमें उन्होने भारतवंशियों के चरित्रों के साथ-साथ अन्य कई महान ऋषियों, चन्द्रवंशी-सूर्यवंशी राजाओं के उपाख्यानों सहित कई अन्य धार्मिक उपाख्यान भी डाले।
बडौदा में ये प्राध्यापक, वाइस प्रिंसिपल, निजी सचिव आदि कार्य योग्यता पूर्वक करते रहे और इस दौरान हजारों छात्रों को चरित्रवान देशभक्त बनाया।
अंग्रेजी भाषा में वर्तनी (स्पेलिंग) की विकराल समस्या के कारगर समाधान के लिये देवनागरी पर आधारित देवग्रीक लिपि प्रस्तावित की गयी है।
बीसवी सदी के प्रारम्भ में आधुनिक शिक्षा के प्रसार और विश्वपटल पर बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के चलते भारत में एक बौद्धिक आन्दोलन का सूत्रपात हुआ जिसने सामाजिक और राजनीतिक स्तरों पर अनेक परिवर्तनों एवम आन्दोलनों की नीव रखी।
वर्षा ऋतु (Monsoon or Rainy) – जुलाई से सितम्बर तक, जिसमें सार्वाधिक वर्षा अगस्त महीने में होती है, वस्तुतः मानसून का आगमन और प्रत्यावर्तन (लौटना) दोनों क्रमिक रूप से होते हैं और अलग अलग स्थानों पर इनका समय अलग अलग होता है।
शब्दकोश (अन्य वर्तनी: शब्दकोष) एक बडी सूची या ऐसा ग्रन्थ जिसमें शब्दों की वर्तनी, उनकी व्युत्पत्ति, व्याकरणनिर्देश, अर्थ, परिभाषा, प्रयोग और पदार्थ आदि का सन्निवेश हो।
बौद्ध और धर्मों के अलग हो जाने के बाद वैदिक धर्म में काफ़ी परिवर्तन आया।
जैन धर्म में २४ पुराण तो तीर्थकरों के नाम पर हैं; और भी बहुत से हैं जिनमें तीर्थकरों के अलौकिक चरित्र, सब देवताओं से उनकी श्रेष्ठता, जैनधर्म संबंधी तत्वों का विस्तार से वर्णन, फलस्तुति, माहात्म्य आदि हैं।
रामायण के सारे चरित्र अपने धर्म का पालन करते हैं।
श्रुति हिन्दू धर्म के सर्वोच्च ग्रन्थ हैं, जो पूर्णत: अपरिवर्तनीय हैं, अर्थात् किसी भी युग में इनमे कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।
कम्प्यूटर प्रोग्रामों की सहायता से भारतीय लिपियों को परस्पर परिवर्तन बहुत आसान हो गया है।
कीर्तनिया नाटक का आरम्भ प्राय: शिव या कृष्ण के चरित्र का कीर्तन करने से हुआ।
इसमें हिंदी साहित्य से सम्बन्धित इतिहास, साहित्य सिद्धान्त आदि के अलावा समाजविज्ञान, धर्म, भारतीय संस्कृति, मानवाधिकार, पौराणिक चरित्र, पर्यावरण, पश्चिमी सिद्धान्तकार, अनुवाद सिद्धान्त, नवजागरण, वैश्विकरण, उत्तर-औपनिवेशिक विमर्श आदि कुल 32 विषय हैं।
सन् १९६६ में मानक देवनागरी वर्णमाला प्रकाशित की गई और १९६७ में ‘हिंदी वर्तनी का मानकीकरण’ प्रकाशित किया गया।
यह क्रम इतना तर्कपूर्ण है कि अन्तरराष्ट्रीय ध्वन्यात्मक संघ (IPA) ने अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला के निर्माण के लिये मामूली परिवर्तनों के साथ इसी क्रम को अंगीकार कर लिया।
उमास्वामी कहते है कि आस्रव या कार्मिक प्रवाह का कारण योग है साथ ही- सम्यक चरित्र अर्थात योग नियंत्रण और अन्त में निरोध मुक्ति के मार्ग मे बेहद आवश्यक है।
(७) ललितविस्तर (बुद्ध का चरित्र),।
रावण के चरित्र से सीख मिलती है कि अहंकार नाश का कारण होता है।
१९८३ में ‘देवनागरी लिपि तथा हिन्दी की वर्तनी का मानकीकरण’ प्रकाशित किया गया।
गीतगोविन्द में शृंगार रस का भरपूर प्रयोग हुआ है, तथा जो चित्र जयदेव ने श्री कृष्ण का गीतगोविन्द में प्रस्तुत किया है ठीक वैसा ही चरित्रांकन विद्यापति ने पदावली में किया है।
इसमें श्रीकृष्ण के चरित्र का वर्णन किया गया है।
जैसे - पंचवटी, सुदामा चरित्र, हल्दीघाटी, पथिक आदि खंडकाव्य हैं।
पाश्चात्य दार्शनिक अपने ज्ञान पर जोर देता है और अपने ज्ञान के अनुरूप अपने चरित्र का संचालन करना अनिवार्य नहीं समझता।