clitic Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
clitic ka kya matlab hota hai
क्लिटिक
Noun:
छिद्रान्वेषी, समीक्षक, आलोचक, समालोचक,
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clitic शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
विश्व में अन्य देशों के हुए विभाजनों की तुलना में यह बंटवारा इतने कोमल और शांतिपूर्वक ढंग से हुए कि इस घटना को इतिहासकार और समीक्षक कभी-कभी 'मख़मली तलाक़' कहते हैं।
समीक्षक का साहित्य प्रेमप्रगाढ़ है और गद्य शैली में काव्यचमत्कार तथा ओजपूर्ण शब्दविन्यासों की भरमार है।
"किड्श्रेड्स " के लिए एक समीक्षक ने कहा, "यह क्रिस्पी-पेज़ कहानी आपको चार अतिरिक्त हैरी पुस्तकों के लिए भूखा छोड़ देगी,जिसपे जे के रोलिंग पर काम कर रहे हैं।
आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी जैसे समीक्षक उनके काव्य को समष्टि परक मानते हैं।
विलियम लैंगलैण्ड की (क्रिश्चयन एरा 1332-1386) विज़न ऑफ़ पिरेस प्लौमैन की संरचना सपनों की श्रृंखला से चारों ओर से घिरी है जो प्रभु में आस्थावान जीवन को प्रोत्साहित करने के समय समकालीन गलतियों के प्रति छिद्रान्वेषी है।
उन्होंने मन की पीड़ा को इतने स्नेह और शृंगार से सजाया कि दीपशिखा में वह जन-जन की पीड़ा के रूप में स्थापित हुई और उसने केवल पाठकों को ही नहीं समीक्षकों को भी गहराई तक प्रभावित किया।
आरम्भिक समीक्षकों ने 'कंकाल' को यथार्थवादी और तितली को आदर्शोन्मुख यथार्थवादी रचना माना।
EBM समीक्षक बैंडोलियर ने कहा कि दो अध्ययनों में P6 से 52% रोगियों को नियंत्रण में सफलता मिली।
हालांकि, संगीत समीक्षक एस॰ कालिदास ने कहा कि घरानों में तत्वों की यह उधारी अब आम तौर पर स्वीकार कर ली गई है।
छिद्रान्वेषी लोग इन्हीं कथाओं का उपयोग मनमानी व्याख्या करके ईश्वर-विरोध के रूप में करते हैं।
प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक सोमा ए चट्टर्जी के शब्दों में "भारतीय फिल्मों की विशेषता है कि इसमें पत्रों द्वारा बोले जाने वाली भाषा, उनकी सामाजिक स्थिति, उनकी जाति, सांप्रदायिकता, व्यवसाय, वित्तीय स्थिति आदि के अनुसार ही होती है।
मानसिक दृष्टिकोण साधारणत: व्यक्ति के पूर्वगामी दृष्टिकोण पर निर्भर रहता है, जिससे कुछ व्यक्ति सुखी और दयालु रहते हैं, कुछ निराशावादी और छिद्रान्वेषी।
समीक्षकों में सर्वश्रेष्ठ "लांजाइनस" है जिसका प्रसिद्ध किंतु अपूर्ण ग्रंथ "शालीन के विषय में" प्राचीन समीक्षा साहित्य में अफलातून तथा अरस्तू के ग्रंथों का समकक्ष माना जाता है।
आख़री इंतख़ाबात 2005 में हुऐ और गुज़शता तमाम इंतख़ाबात की तरह इन इंतख़ाबात को भी अंतर्राष्ट्रीय समीक्षकों ने ग़ैर मुनसिफ़ाना क़रार दिया।
इस फ़िल्म को और मनोज के किरदार को समीक्षकों की तरफ से खाफी सराहना मिली।
कवि एवं नाटककार के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर अधिष्ठित होने के कारण प्रसाद जी की कहानियों पर लम्बे समय तक समीक्षकों ने उतना ध्यान नहीं दिया, जितना कि अपेक्षित था; जबकि विजयमोहन सिंह के शब्दों में : छायावादी और आदर्शवादी माने जाने वाले जयशंकर प्रसाद की पहली ही कहानी 'ग्राम' आश्चर्यजनक रूप से यथार्थवादी है।