carbies Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
carbies ka kya matlab hota hai
कार्बीज़
Noun:
परिगलन, यक्ष्मा, क्षय,
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carbies शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
भग परिगलन (gangrene) यह मीसल्स, प्रसूतिज्वर अथवा रतिजन्य रोगों में होता है।
RANKL, RANK और OPG, ट्यूमर परिगलन कारक और उसके ग्राहियों से निकट से जुड़े हुए हैं।
अग्नाशयी फोड़ा परिगलनकारी अग्नाशयशोथ के परिणामस्वरूप होने वाली परवर्ती जटिलता है, जो आरंभिक हमले के 4 हफ्तों के प्रारंभिक हमले के बाद होती है।
ब्रुसेलोसिस (brucellosis) यक्ष्मा या क्षय रोग, जींस डिज़ीज, स्तनकोप या थनेजा (mastitis), नाभी रोग (navel diseases), कुछ ऐसे जीवाणु रोग हैं, जो पशुपालकों एवं पशुचिकित्सकों के लिए चिंता के कारण बन जाते हैं।
कुछ रोग पशुओं से मनुष्यों को हो जाते हैं, ऐसे रोगों में ग्लैंडर्स, यक्ष्मा, ब्रुसेलोसिस, ऐंथ्रैक्स, प्लेग, सेलमोनेलोसिस, रैबीज़ (जलभीति), सिटेकोसिस, ऐस्परगिलोसिस (aspergillosis), मासिक रोग, क्यूफी वरगोटी (pox), अतिसार, लेप्टोस्पिरोसिस, आदि सामान्य रूप से पाए जानेवाले रोग हैं।
इसी प्रकार के यक्ष्मा एवं फिरंगज व्रण भी भग पर पाए जाते हैं।
मुंह के कैंसर के कारण भी छाले हो सकते हैं क्योंकि घाव का केंद्र रक्त के प्रवाह और परिगलनों को खो देता है।
घोरतम यातनाओं के अनंतर होनेवाली यक्ष्माक्रांत भाई की मृत्यु का तॉलस्तॉय पर मर्मातक प्रभाव पड़ा।
इसमें स्वच्छता, जलशोधन, मोरीपनाले के पानी और मल का विनाश, मक्खी, मच्छर तथा रोगवाहक अन्य कीटों का विनाश, रोगियों को अलगाया जाना, विसूचिकादि रोगों के टीके, त्रुटिजन्य रोगों के लिये त्रुटि द्रव्यों का वितरण, यक्ष्मा, रति रोग, गर्भिणी स्त्रियों तथा बालकों के लिये निदानिकाओं (chinics), की स्थापना, बच्चों के लिये दूध के वितरणादि का समावेश होता है।
ALT और AST के स्तर यकृत को नुकसान पहुंचने की सीमा तक अच्छी तरह से सहसंबद्ध नहीं होते है, यद्यपि इन स्तरों में बहुत उच्च स्तर से शीघ्र कमियां गंभीर परिगलन सूचित कर सकते हैं।
स्ट्रेप्टोमाइसीन, पैराएमाइनो सैलिसिलिक अम्ल, तथा आइसो निकोटिनिक ऐसिड हाइड्रेसाइड से यक्ष्मा रोग से मुक्त किया जा सकता है।
हल्का, या तेज ज्वर हो सकता है, जिसका कारण होता है यकृत कोशिकाओं को परिगलन (necrosis), या स्वत:लयन (autolysis) और सारणियों में आनुषंगिक संक्रमण।
जब परिणामस्वरूप परिगलनकारी अग्नाशयशोथ होता है और मरीज में संक्रमण के संकेत मिलते हैं, तो अग्नाशय में औषधि की गहरी पहुंच के कारण इमीपेनिम जैसी प्रतिजैवी औषधियों का इस्तेमाल शुरू करना अति आवश्यक होता है।
बालकों के घातक रोगों में टिटैनस, डिफ्थीरिया, यक्ष्मा, मेनेन्जाइटिस, एन्सेफलाइटिस, न्यूमोनिया, बाल यकृतशोथ आदि हैं।
यकृत में होने वाला पीलिया गंभीर यकृतशोथ (हैपेटाइटिस), यकृत की विषाक्तता और अल्कोहल संबंधी यकृत रोग का कारण बनता है, जिसके द्वारा कोशिका परिगलन यकृत के चयापचय करने की क्षमता और रक्त का निर्माण करने के लिये बिलीरूबिन उत्सर्जित करने की क्षमता कम करता है।
(2) निम्न शाखाओं के अधस्त्वक (subcutaneous tissue या hypodermis) - इनमें वृद्धावस्था में रक्त परिसंचरण के उचित रूप में न होने के कारण शोथ उत्पन्न हो जाता है, जिससे परिगलन होना प्रारम्भ हो जाता है।
पानीपत की पराजय के मर्मांतक आघात से पीड़ित महाराष्ट्र में माधवराव के ग्यारह वर्षीय शासन में दो वर्ष गृहयुद्ध में बीते, तथा अंतिम वर्ष यक्ष्मा के घातक रोग में व्यतीत हुआ।
प्रसव, गर्भपात, गोनोरिया, गर्भाशयभ्रंश, यक्ष्मा, अर्बुद, ग्रीवा का विस्फोट आदि के पश्चात् प्राय: उपद्रव रूप उपसर्ग होता है।
यकृत परिगलन (Necrosis) ।
अल्सेरेटिव चमड़े का परिगलन (UDN) नदियों के मीठे पानी में संक्रमण के 1970 और 1980 के दशक में वयस्क सैल्मन जो बुरी तरह प्रभावित.।
इस रोग के प्रधान लक्षण, यकृत कोशिकाओं का तीव्र परिगलन और यकृत की कोशिकाओं के स्वत:लयन, के कारण यकृत की आकृति का सिकुडना तथा पीलिया, ज्वर और संमूर्च्छा से प्राय: जीवन का अंत होता है।
तीव्र और उपतीव्र यकृतपरिगलन यकृत की कोशिकाओं के तीव्र विषाक्तन से होते हैं।
इनके अतिरिक्त बैक्टीरियल न्यूमोनिया भयानक बालरोग है, परंतु आधुनिक सल्फा ओषधियों तथा प्रतिजैविकी (पेनिसीलीन, टेरामाइसीन, स्ट्रेप्टोमाइसीन) से पराजित कर लिया गया है; बालकों में यक्ष्मा (tuberculosis) भी होता है।
(1) मुख, आमाशय अथवा आंत्र - इनमें विकृति द्वारा उत्पन्न शोथयुक्त परिगलन होता है।
छः वर्ष के साथ के बाद १९३५ में यक्ष्मा से धर्मवती की मृत्यु हो गयी।
फलस्वरूप, उस स्थान पर शोथ, कोशों का परिगलन, लसिका, प्लाज्मा कोशों और वृहत्केन्द्र श्वेताणुओं का अंत:सरण तथा थ्रांबोसिस हो जाती है, रक्तकोशिका फटने से तंतु में रक्तस्राव होता है।
इसी यात्रा में उन्हे यक्ष्मा (टीबी) से पीड़ित अपने बड़े भाई की मृत्यु देखने को मिली।
(6) क्षतांगों के प्रतिस्थापक एवं विकलांगों के पुनर्वासक और विभिन्न प्रकार की आंत्र यक्ष्मा तथा फुफ्फुस यक्ष्मा की चिकित्सा तथा अन्य नैदानिक कार्यों में उपयोगी,।