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bronzen Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


bronzen ka kya matlab hota hai


काँसा

Noun:

पीतल,



bronzen शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:

मछली, मखाना, आम, लीची तथा गन्ना जैसे कृषि उत्पाद के अलावे मधुबनी से पीतल की बरतन एवं हैंडलूम कपड़े का राज्य में तथा बाहर निर्यात किया जाता है।



इसलिए काँसा सुविधापूर्वक ढाला जा सकता है।

माना जाता है कि इस गन को तांबे और पीतल से बनाया गया है।

उद्योगों में सूत कातने, रँगने, मलमल बुनने, लकड़ी पर खुदाई का काम तथा पीतल का काम होता है।

कलई किए गए पीतल के बर्तनों के लिए यह नगर प्रसिद्ध है।

अष्ट धातु- सोना, चाँदी, ताँबा, पीतल, लोहा, काँसा, राँगा।

काँसा, पीतल, टाँका (सोल्डर) आदि मिश्रातु हैं।

कल्याण से काँसा, लकड़ी एवं वस्त्र का व्यापार होता था।

इसलिए ताँबे और राँगे की मिश्रधातु को काँसा या कांस्य कहते हैं।

दाहिना या तबला बहुधा लकड़ी का बना होता है जबकि बायाँ मिट्टी (पके बर्तन के रूप में जिस पर चमड़ा मढ़ा जाय) का भी होता है अथवा दोनों ही पीतल या फूल (मिश्र-धातु) के भी बने हो सकते हैं।

मैंगनीज़ काँसा में ६० भाग ताँबा, ४० भाग जस्ता और अल्प मैंगनीज़ रहता है।

रामगंगा नदी के तट पर स्थित मुरादाबाद पीतल पर की गई हस्तशिल्प के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

जयपुर के रौनक भरे बाजारों में दुकानें रंग बिरंगे सामानों से भरी हैं, जिनमें हथकरघा उत्पाद, बहुमूल्य पत्थर, हस्तकला से युक्त वनस्पति रंगों से बने वस्त्र, मीनाकारी आभूषण, पीतल का सजावटी सामान, राजस्थानी चित्रकला के नमूने, नागरा-मोजरी जूतियाँ, ब्लू पॉटरी, हाथीदांत के हस्तशिल्प और सफ़ेद संगमरमर की मूर्तियां आदि शामिल हैं।

ताँबे और राँगे को मिलाकर उसने काँसा बनाना जाना ओर तब धीरे-धीरे पत्थर के शस्त्रों का स्थान काँसे के शस्त्रों ने ले लिया।

मुरादाबाद विशेष रूप से प्राचीन समय की हस्तकला, पीतल के उत्पादों पर की रचनात्मकता और हॉर्न हैंडीक्राफ्ट के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है।

दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व (2nd millennium BC) - काँसा (Bronze) का प्रयोग शस्त्र एवं ढाल (armour) के लिये किया जाने लगा।

चाँदी, सोना, काँसा, पीतल और अष्टधातु की सभी मूर्तियाँ इसी प्रकार ढाली जाती हैं।

इस लेख में काँसा से अभिप्राय ताँबे और राँगे की मिश्रधातु से है।

काँसे के माथे (Cylinder head) बनाने से संपीडन अनुपात के बहुत अधिक रहने पर भी इंजन बिना अधिस्फोट के चलते है; इसका कारण यह है कि काँसा उष्मा का बहुत अच्छा चालक है।

चाय उद्योग के अतिरिक्त यहाँ अन्य कोई उन्नतिशील उद्योग नहीं है, केवल कुछ घरेलू उद्योग धंधे हैं, जिनमें सूती एवं रेशमी कपड़े बुनना, आभूषणों के काम, चटाइयाँ तथा टोकरियाँ बनाना, पीतल के बरतन बनाना आदि मुख्य हैं।

काँसा इसकी महत्व की मिश्रधातु है।

मुरादाबाद पीतल हस्तशिल्प के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है।

मुरादाबाद स्थित मुख्य बाजार पीतल मंडी है।

साधारण बोलचाल में कभी–कभी पीतल(Brass) को भी काँसा कह देते हैं, जो ताँबे तथा जस्ते की मिश्रधातु है और पीला होता है।

दिल्ली की प्रसिद्ध कलाओं में से कुछ हैं यहाँ के ज़रदोज़ी (सोने के तार का काम, जिसे ज़री भी कहा जाता है) और मीनाकारी (जिसमें पीतल के बर्तनों इत्यादि पर नक्काशी के बीच रोगन भरा जाता है।

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