bookless Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
bookless ka kya matlab hota hai
बही अंशहीन
Adjective:
व्यर्थ, निकम्मा, बेफ़यादा, बेकार,
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bookless शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
अन्य व्यर्थ कर्मों से भी अपनेआप को दूर रखा जाता है।
राजा देवलसिम्हा ने अपने देश को मुक्त करने के लिए या भीनमाल पर प्रतिहार पकड़ को फिर से स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन व्यर्थ में।
पाखण्डी धूर्त्तों के द्वारा कपोलकल्पित स्वर्ग का सुख भोगने के लिये यहाँ यज्ञ आदि करना धर्म नहीं है बल्कि उसमें की जाने वाली पशु हिंसा आदि के कारण वह अधर्म ही है तथा हवन आदि करना तत्त्द वस्तुओं का दुरुपयोग तथा व्यर्थ शरीर को कष्ट देना है इसलिये जो कार्य शरीर को सुख पहुँचाये उसी को करना चाहिये।
अतएव साधारणत: मनावैज्ञानिक स्वप्न के विषय में चर्चा करनेवालों को निकम्मा व्यक्ति मानते हैं।
अकारथ- बेकार, व्यर्थ।
आलसी- सुस्त, स्फूर्तिहीन, निकम्मा, मंद, टीला, शिथिल, श्लथ, काहिल, अनुद्योगशील, कामचोर, दीर्घसूत्री, चेष्टाहीन, अकर्मण्य, काहिल, निखट्टू, अहदी, ठलुआ, निरुद्योगी।
पर सब व्यर्थ था, उनकी अकेलेपन की नीति के कारण।
अर्थ-रहित शब्द आत्मारहित शरीर की भाँति व्यर्थ होता है।
इसलिए यह कहना व्यर्थ है, कि किसी दिन इसका पूरा संहार हो जाएगा और उसके करने के लिए ईश्वर को मानने की आवश्यकता है।
परंतु शासक के रूप में वह बड़ा निकम्मा निकला और भोगविलास में अधिक रुचि रखने लगा।
यह रोग साधारणत: अच्छा हो जाता है लेकिन कभी कभी इस रोग से मुक्त हो जाने पर कुक्कुट निकम्मा हो जाता है।
अत: ठंढी जलवायु में जमकर वह निकम्मा न हो जाए, इससे बचाने के लिए उसमें 20 भाग ग्लिसरीन डाइनाइट्रोमोनोक्लो-रहाइड्रिन मिलाया जाता है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र लिखते हैं—'संस्कृत नाटक की भाँति हिंदी नाटक में उनका अनुसंधान करना या किसी नाटकांग में इनको यत्नपूर्वक रखकर नाटक लिखना व्यर्थ है; क्योंकि प्राचीन लक्षण रखकर आधुनिक नाटकादि की शोभा संपादन करने से उल्टा फल होता है और यत्न व्यर्थ हो जाता है।
ईसाई धर्म के अनुसार मूर्तिपूजा, हत्या, व्यभिचार व किसी को भी व्यर्थ आघात पहुंचाना पाप है।
पिताजी मुझे पहले ही बुरा व निकम्मा समझते हैं।
जो पाठशालाएँ इस काल में बालकों की लेखनशैली पर ध्यान नहीं देतीं वे जीवन भर के लिए बालक को इस दिशा से निकम्मा बना देती हैं।
" तब इन्द्र ने पुन: कुरू के पास जाकर कहा-"नरेश्वर, तुम व्यर्थ ही कष्ट कर रहे हो।
इस प्रकार का विश्लेषण बड़े काम की चीज है; व्यर्थ का गोरखधंधा नहीं है।
कुछ बीजों के उगने में बहुत समय की आवश्यकता होती है या वे विशेष ऋतु में उगते हैं और इससे पहले कि वे उगना प्रारंभ करें, लोग बहुधा उन्हें निकम्मा समझ बैठते हैं।
वह निकम्मा होने के ताने नहीं सुन सकने के कारण घर से बाहर रहता है और गली-गली मारा-मारा घुमता है।
क्रिश्चन प्लेटोवादी क्लीमेंट ऑफ़ एलेक्जेंड्रा ने लोगोस की उपमा शारीरिक रक्त से की, "आत्मा के सार तत्व" के रूप में, और कहा कि "प्राणी वीर्य मूलतः इसके रक्त का झाग है". क्लीमेंट प्रारंभिक ईसाई विचार को प्रतिबिंबित करते हैं कि "बीज को व्यर्थ नहीं करना चाहिए, न ही बिना सोचे-समझे बिखेरना चाहिए, न ही इसे इस तरह रोपना चाहिए कि यह पनप ही न सके".।
जहां तक प्रश्न इस पैसे को प्राप्त होने के बाद निकम्मापन बढ़ने की है, तो इस विषय में याचिका में स्पष्ट निर्णय दिया गया है कि यदि बेरोजगारी और निकम्मापन दोनों में से किसी एक को चुनने का ही विकल्प हो, तो निकम्मापन राष्ट्र के हित में है।
इनके होने से व्यक्ति के आचार और व्यवहार में कुछ विचित्रता आ जाती है, पर वह सर्वथा निकम्मा और अयोग्य नहीं हो जाता।
किन्तु अन्ततोगत्वा उन्होंने तप को व्यर्थ समझकर छोड़ दिया।